आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
एक तरफ भारत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से विरोधी पक्ष इतना अधिक विचलित है कि आतंकवाद पर प्रहार करने पर भारतीय संविधान की शपथ खाने वाले मोदी विरोधी पाकिस्तान की बोली बोल, पाकिस्तान में सुर्खियाँ बटोर, भारतीय जनमानस को गुमराह कर रहे हैं। वहीँ दूसरी ओर विदेशी देश आतंकवाद समस्या पर मुखरित हो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों पर प्रतिबन्ध करने की गुहार लगा रहे हैं।
पाकिस्तान की बोली बोलने वाले मोदी विरोधी वही तुष्टिकरण पुजारी हैं, जो भारत में हो रही इस्लामिक आतंकी घटना को "हिन्दू आतंकवाद" और "भगवा आतंकवाद" नाम देकर मरने वाले बेगुनाहों की लाशों पर बैठ मालपुए खाते रहे थे, अब इनके वो मालपुए और हलवा-पूरी बंद होने से हताश हुए कभी "लोकतन्त्र खतरे में", कभी गंगा-यमुना तहजीब खतरे में", तो कभी "संविधान खतरे में" की दुहाई देकर प्रधानमंत्री को "खून का सौदागर", "खून का दलाल", "चोर", "चाय वाला" और न जाने कितने ही नामों से देश की जनता को भ्रमित कर रहे हैं। हकीकत में स्थिति एकदम विपरीत है, जिसे हर शान्तिप्रिय भारतवासी को समझनी होगी।
जनता को इस बात को भी नहीं भूलना होगा कि "यदि 2014 में सत्ता परिवर्तन नहीं हुआ होता और यूपीए सरकार वापस आ गयी होती, "Anti-violence communal" बिल जो संसद में पेश होने से किसी कारणवश रुका हुआ था, कोई बड़ी बात नहीं, निश्चित रूप से अब तक संसद में पेश होकर, पास भी हो गया होता। यह बिल समस्त गैर-मुस्लिमों के लिए इतना अधिक खतरनाक था, भारत को इस्लामिक देश कोई नहीं रोक सकता था और जनता को मुग़ल शासन में हुई हिन्दू-विरोधी हरकतों की पुनःवृत्ति हो गयी होती। जनता को 2014 में नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से क्या लाभ अथवा हानि हुई पता नहीं, लेकिन मेरे अनुमान से हिन्दू धर्म कलंकित होने से बच गया। इस्लामिक आतंकी घटना को "हिन्दू आतंकवाद" या "भगवा आतंकवाद" का नाम देकर बेगुनाह हिन्दू साधु-संतों और साध्वियों को जेलों में डाल आतंकवादियों को संरक्षण दिया जा रहा था।
देश में पल रहे पाकिस्तान समर्थक उर्फ़ आतंकी सुरक्षा कर्मियों को मारते रहे, उन पर पथराव करते रहे, कभी पिछली सरकारों की आँखें नहीं खुली।
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो |
अभी यह साफ नहीं है कि अमेरिका के इस प्रस्ताव पर वोटिंग कब होगी। लेकिन आशंका जताई जा रही है कि चीन एक बार फिर इस पर वीटो लगा सकता है। अमेरिका ने यह प्रस्ताव 15 सदस्यीय काउंसिल को दिया है। इसमें कहा गया है कि मसूद अजहर पर बैन लगाया जाना चाहिए। इसी के साथ ही उसकी संपत्तियां जब्त करने और उसकी विदेश यात्राओं पर प्रतिबंध लग जाएगा। इसे भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है।
हाल ही में चीन ने चौथी बार मसूद को बैन करने और वैश्विक आतंकी घोषित करने वाले प्रस्ताव पर रोक लगाई थी। चीन की ओर से चौथी बार लगाई गई यह रोक टेक्निकल होल्ड के रूप में थी। इस पर चीन का कहना है कि वह मसूद को लेकर और जानकारियां और तथ्य जुटा रहा है। चीन का यह टेक्निकल होल्ड नौ महीने तक मान्य रह सकता है।
Reuters: The United States circulated a resolution- drafted with British and French support - to the 15-member council that would designate JeM leader Masood Azhar, subjecting him to an arms embargo, travel ban and asset freeze, diplomats said.
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