
यह फैसला ऐसे समय में आया है, जबकि संयुक्त राष्ट्र की 1267 प्रतिबंध समिति को जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने के लिए नया प्रस्ताव मिला है। पाकिस्तान में सक्रिय स्थित जैश ने ही पुलवामा हमले की जिम्मेदारी ली है, जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवानों की जान चली गई।
सूत्रों का कहना है कि भारत ने हाफिज की आतंकी गतिविधियों से जुड़ी 'गोपनीय जानकारियां' यूएन को सौंपी थीं, जिसके आधार पर इस वैश्विक संस्था ने उसे प्रतिबंधित सूची से हटाने का उसका आवेदन खारिज कर दिया। हाफिज लश्कर-ए-तैयबा का भी सह-संस्थापक है, जिसने 2008 में मुंबई हमले को अंजाम दिया था। इस हमले में 166 लोगों की जान चली गई थी। इसके बाद ही 10 दिसंबर, 2008 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने उस पर प्रतिबंध लगाया था।
हाफिज ने लाहौर की संस्था मिर्जा एंड मिर्जा के जरिये 2017 में यह अपील दायर की थी, जो पाकिस्तान में नजरबंदी में रह रहा है। हालांकि यूएन ने हाफिज के वकील से यह स्पष्ट कर दिया कि उसके खिलाफ प्रतिबंध जारी रहेंगे। साथ ही यह भी कहा कि उसके खिलाफ प्रतिबंध जारी रखने को लेकर पर्याप्त और तर्कसंगत साक्ष्य हैं। प्रतिबंध सूची से हटाने के लिए हाफिज के आवेदन का विरोध भारत के साथ-साथ अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने भी किया था। हालांकि पाकिस्तान ने इसका विरोध नहीं किया।
पुलवामा हमले के बाद अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन ने फरवरी में जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को भी प्रतिबंधित करने के लिए प्रस्ताव दिया है, जबकि जैश पहले से ही यूएन की प्रतिबंध सूची में शामिल है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने हाल ही में एक इंटरव्यू में स्वीकार किया था कि जैश सरगना मसूद अजहर पाकिस्तान में ही है।
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