लोकसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ने के साथ-साथ नेताओं के बीच जुबानी जंग तेज होती जा रही है और वे अपनी आलोचना में प्रधानमंत्री पद की गरिमा का ख्याल भी नहीं रख रहे। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता माजिद मेमन ने अप्रैल1 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया। उन्होंने प्रधानमंत्री को 'अनपढ़ और जाहिल' कहा। राजनीति में भाषा की मर्यादा कितने नीचे गिरती जा रही है मेनन का बयान उसे दर्शाने के लिए काफी है। मेमन ने कहा कि जनता सीधे प्रधानमंत्री का चुनाव नहीं करती।
इतने वरिष्ठ नेता होते हुए भी, माजिद यह भूल गए कि यूपीए के समय 2009 में डॉ मनमोहन सिंह, 2014 में भाजपा ने नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री मनोनीत कर चुनाव लड़ा था, और वर्तमान 2019 चुनाव भी मोदी को प्रधानमंत्री के ही नेतृत्व में मैदान में है। यानि जनता ही प्रधानमन्त्री चुन रही है।
माजिद ने कहा, 'मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री भी एक अनपढ़, जाहिल या रास्ते पर चलने वाले आदमी की तरह बात करते हैं। वो इतने बड़े पद पर बैठे हैं, उनका पद एक संवैधानिक पद है। उस संवैधानिक पद के लिए प्रधानमंत्री रास्ते में नहीं चुना जाता।' मेनन ने कहा कि यहां जनता प्रधानमंत्री का चुनाव नहीं करती बल्कि जनता द्वारा चुने गए सांसद प्रधानमंत्री का चुनाव करते हैं। इस बार भी सबसे बड़ा दल अपना प्रधानमंत्री चुनेगा।
राजनीतिज्ञों से अच्छे आचरण की उम्मीद की जाती है। चाहे वह भाषा हो या उनका व्यवहार। जनता नेताओं को एक आदर्श व्यक्तित्व के रूप में देखती है और उनका अनुसरण करती है।लेकिन हाल के दिनों में विरोधी नेताओं पर हमला बोलते समय माननीय भाषा की गरिमा भूलते जा रहे हैं। उन्होंने आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया है। मेनन का बयान उन्हीं बयानों में से एक है। लोकसभा चुनावों की सरगर्मी तेज हो गई है, ऐसे में नेता एक-दूसरे पर तीखे हमले भी जारी रखेंगे लेकिन उन्हें भाषा की मर्यादा का ख्याल रखना चाहिए।
नेताओं के आपत्तिजनक बयान और आचरण का यह पहली घटना नहीं आई है। नेताओं के आचरण का एक भद्दा नमूना पिछले महीने उत्तर प्रदेश के संत कबीरनगर में देखने को मिला था जहां भाजपा सांसद और विधायक आपस में भिड़ गए। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ। इस वीडियो में स्थानीय सांसद शरद त्रिपाठी विधायक राकेश सिंह बघेल को जूते से पीटते नजर आए थे। इसके बाद विधायक ने भी उन पर हमला किया। इस घटना को लेकर विपक्षी दलों ने भाजपा की आ
लगता है, नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते जिस तरह से गोधरा दंगों को काबू किया था, उसने इनके विरोधियों के सोंचने-समझने की बुद्धि ही भ्रष्ट कर दी। तब से लेकर अब तक जिसे देखो वही जो मन में आया मोदी को बक दिया। कभी "मौत का सौदागर", "खून का दलाल", "चौकीदार चोर", "चाय वाला", और पता नहीं क्या-क्या कहा, और अब "अनपढ़ जाहिल" बोल दिया। इन लोगों को नहीं मालूम कि इस तरह के कुतर्कों से मोदी को थाली में सजा कर सत्ता दे रहे हैं।
कुछ नेता सुर्खियों में बने रहने के लिए विवादित बयान देते हैं। कुछ दिन पूर्व इटावा से भाजपा प्रत्याशी राम शंकर कठेरिया ने बसपा सुप्रीमो मायावती पर आपत्तिजनक बयान दिया। कठेरिया ने कहा कि बसपा जब शासन में थी तो उनके खिलाफ कई मुकदमें दर्ज कराए गए। लेकिन उनकी लड़ाई जारी रही और मायावती उन्हें जेल भेजने में नाकाम रहीं। केंद्र और प्रदेश में आज भाजपा की सरकार है। अगर किसी ने भाजपा पर उंगली उठाने की कोशिश की तो उसकी उंगली तोड़ दी जाएगी।
इतने वरिष्ठ नेता होते हुए भी, माजिद यह भूल गए कि यूपीए के समय 2009 में डॉ मनमोहन सिंह, 2014 में भाजपा ने नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री मनोनीत कर चुनाव लड़ा था, और वर्तमान 2019 चुनाव भी मोदी को प्रधानमंत्री के ही नेतृत्व में मैदान में है। यानि जनता ही प्रधानमन्त्री चुन रही है।
माजिद ने कहा, 'मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री भी एक अनपढ़, जाहिल या रास्ते पर चलने वाले आदमी की तरह बात करते हैं। वो इतने बड़े पद पर बैठे हैं, उनका पद एक संवैधानिक पद है। उस संवैधानिक पद के लिए प्रधानमंत्री रास्ते में नहीं चुना जाता।' मेनन ने कहा कि यहां जनता प्रधानमंत्री का चुनाव नहीं करती बल्कि जनता द्वारा चुने गए सांसद प्रधानमंत्री का चुनाव करते हैं। इस बार भी सबसे बड़ा दल अपना प्रधानमंत्री चुनेगा।
राजनीतिज्ञों से अच्छे आचरण की उम्मीद की जाती है। चाहे वह भाषा हो या उनका व्यवहार। जनता नेताओं को एक आदर्श व्यक्तित्व के रूप में देखती है और उनका अनुसरण करती है।लेकिन हाल के दिनों में विरोधी नेताओं पर हमला बोलते समय माननीय भाषा की गरिमा भूलते जा रहे हैं। उन्होंने आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया है। मेनन का बयान उन्हीं बयानों में से एक है। लोकसभा चुनावों की सरगर्मी तेज हो गई है, ऐसे में नेता एक-दूसरे पर तीखे हमले भी जारी रखेंगे लेकिन उन्हें भाषा की मर्यादा का ख्याल रखना चाहिए।
नेताओं के आपत्तिजनक बयान और आचरण का यह पहली घटना नहीं आई है। नेताओं के आचरण का एक भद्दा नमूना पिछले महीने उत्तर प्रदेश के संत कबीरनगर में देखने को मिला था जहां भाजपा सांसद और विधायक आपस में भिड़ गए। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ। इस वीडियो में स्थानीय सांसद शरद त्रिपाठी विधायक राकेश सिंह बघेल को जूते से पीटते नजर आए थे। इसके बाद विधायक ने भी उन पर हमला किया। इस घटना को लेकर विपक्षी दलों ने भाजपा की आ
#WATCH Majeed Memon, NCP: Mujhe lagta hai ki Pradhan Mantri bhi ek anpadh, jahil ya raaste pe chalne wale aadmi ki tarah baat karte hain. Vo itne bade pad pe baithe hain, Unka pad ek sanvaidhanik pad hai, uss sanvaidhanik pad mein Pradhan Mantri raaste mein nahi chuna jata.
कुछ नेता सुर्खियों में बने रहने के लिए विवादित बयान देते हैं। कुछ दिन पूर्व इटावा से भाजपा प्रत्याशी राम शंकर कठेरिया ने बसपा सुप्रीमो मायावती पर आपत्तिजनक बयान दिया। कठेरिया ने कहा कि बसपा जब शासन में थी तो उनके खिलाफ कई मुकदमें दर्ज कराए गए। लेकिन उनकी लड़ाई जारी रही और मायावती उन्हें जेल भेजने में नाकाम रहीं। केंद्र और प्रदेश में आज भाजपा की सरकार है। अगर किसी ने भाजपा पर उंगली उठाने की कोशिश की तो उसकी उंगली तोड़ दी जाएगी।
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