
जिस पार्टी को देखो भारतीय संस्कृति की बात करती नज़र आती है, लेकिन धरातल पर उसे नकारती ही प्रतीत होती है। मध्य प्रदेश में इतने वर्ष भारतीय जनता पार्टी की सरकार रही, वह भी इस धरोहर को उजागर करने में असमर्थ रही। काश! लोकतन्त्र का मन्दिर किसी इस्लामिक तर्ज पर बना होता, हर राजनेता इसके कसीदे पढ़ने का कोई अवसर नहीं चूकते। क्योकि हिन्दुत्व की बात करने में सबको साम्प्रदायिकता दिखती है और इस्लामिक बात करने में धर्म-निरपेक्षता एवं समाजवाद।
जैसा अभी चुनाव आयोग ने सिद्ध कर दिया। जब तक नेता मुस्लिम हितों अथवा उनसे से एकजुट होकर वोट करने को कहते थे, चुनाव आयोग भी अपने कान और आँख बंद रखे रहता है, जहाँ किसी हिन्दू ने मुस्लिम समाज को दरकिनार कर हिन्दुत्व को सम्बोधित करते ईंट का जवाब पत्थर से देने पर, तुरन्त चुनाव आयोग को साम्प्रदायिकता नज़र आने पर कार्यवाही करने पर असली दोषी को कम और ईंट का जवाब पत्थर से देने वाले को अधिक समय के लिए बैन कर दिया जाता है। कहने का अभिप्राय यह है कि भारतवर्ष में छद्दमता वास्तविकता से कहीं अधिक प्रभावी है। वास्तविकता की बात करने वाले को शान्ति का दुश्मन, फिरकापरस्त और साम्प्रदायिक और पता नहीं कितने नामों से कलंकित किया जाता है।
विश्व में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जहाँ देश के गौरवमयी इतिहास को ठंठे बस्ते में डाल छद्दम इतिहास को पढ़ाया जाता है।
नेताओं ने भुला दिया वह मंदिर, जिसकी तर्ज पर बनी है संसद
संसद को लोकतंत्र का मंदिर कहा जाता है। देश का हर नेता यहां पहुंचने का सपना देखता है। दिलचस्प है कि लोकतंत्र के इस मंदिर यानी संसद का निर्माण भी एक मंदिर की तर्ज पर ही हुई है। हालांकि देश में बनी तमाम सरकारों ने इस मंदिर की ऐसी अनदेखी की कि आजादी के लगभग 7 दशक बाद भी इस मंदिर तक आम लोगों का पहुंचना काफी मुश्किल बना हुआ है।
किसी भी राज्य सरकार ने नहीं ली सुध
मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह के बाद कमलनाथ हिंदुत्व के रथ पर सवार होकर सूबे की सियासत तक पहुंच जाते हैं। लेकिन मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में पड़ने वाले हिंदू मंदिर चौसठ योगिनी की कोई सुध लेने वाला नहीं है। यहां तक जाने का कोई साधन नहीं है। अगर आप यहां जाना चाहते हैं, तो आपको किराए पर टैक्सी का सहारा लेना पड़ेगा। साथ ही सड़क की हालत बद से बद्दतर है। यह वहीं राज्य हैं, जहां के मुख्यमंत्री राज्य की सड़कों को न्यूयार्क की तरह बनाने का दावा करते थे।
चौसठ योगिनी मंदिर
इस मंदिर का निर्माण क्षत्रिय राजाओं ने 1323 ई. में कराया था। करीब 200 सीढ़ियों चढ़ने के बाद इस मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। यह मंदिर एक वृत्तीय आधार पर निर्मित है और इसमें 64 कमरे हैं। हर कमरे में एक-एक शिवलिंग है। मंदिर के मध्य में एक खुला हुआ मंडप है। इसमें एक विशाल शिवलिंग है। यह मंदर 101 खंभो पर टिका है। इस मंदिर को ऐतिहासिक स्मारक घोषित किया है।
कौन हैं चौसठ योगिनी माता
चौसठ योगिनी माता आदिशक्ति काली का अवतार हैं। घोर नामक दैत्य के साथ युद्ध करते हुए मां काली ने यह अवतार लिए थे। इन देवियों में दस महाविघाएं और सिद्ध विघाओं की भी गणनी की जाती है। ये योगिनी तंत्र और योग विद्या से संबंध रखती हैं। चौसठ योगिन मंदिर को एक जमाने में तांत्रिक यूनिवर्सिटी कहलाता है।
आसपास के टूरिस्ट प्लेस
मुरैना में कई टूरिस्ट प्लेस हैं। इसमें मितावली स्थित चौसठ योगिनी मंदिर है। इसके पास ही पड़ावली है। इसके अलावा शनिचरा मंदिर भी पास है। वहीं ग्वालियर के फोर्ट का दीदार किया जा सकता है, जहां हाल ही में लुकाछिपी मूवी की शूटिंग हुई है। इसके साथ ही ग्वालियर के जय विलास पैसेस को भी घूम सकते हैं।
शनिचरा
शनिचरा मंदिर को श्रद्धा के साथ पर्यटन के तौर पर विकसित किया जा रहा है। शनिवार को मंदिर में हजारों की संख्या में श्रृद्धालु पहुंचते हैं। शनीचरी अमावस्या पर यहां विशेष मेले का आयोजन होता है।
पड़ावली
पड़वली मंदिरों का समूह है, जो मुरैना जिले में स्थित है। इन मंदिरों का निर्माण 10वीं शताब्दी मे हुआ था। अपने समकालीन मध्य भारत के इन सभी मंदिरों में इनका स्थान अद्वितीय है। इस मंदिर का सबसे आकर्षक भाग अर्द्ध मंडप में विद्यमान मूर्तियां हैं। इसमें नृत्य करते हुए भगवान शिव और विष्णु का अवतार माने जाना वाल वामन की मूर्तिया देखी जा सकती हैं।
बटेश्वर
यह स्थल मुरैना मुख्यालय से लगभग 45 कि0मी0 दूर स्थित होकर समूह मंदिरो के नाम से प्रसि़द्ध है। यह पढावली ग्राम से 2 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां पर कई शिवमंदिरों का समूह है, जो जीर्ण शीर्ण अवस्था में है। यह मंदिर प्रतिहार कालीन है।
ग्वालियर का किला

इन टूरिस्ट प्लेस घूमने का खर्च
दिल्ली से सीधे मुरैना जाने से अच्छा होगा कि ग्वालियर जाया जाएं, यहां तक आवागमन के साधन आसानी से मिल जाते हैं। साथ ही रुकने के लिए अच्छे होटल भी मिल जाएंगे। ग्वालियर जाने का एक फायदा यह होता है, कि ग्वालियर का किला और जय विलास पैलेस घूम सकते हैं। दिल्ली से ग्वालियर जाने का सेकेंड स्लीपर किराया 235 रुपए है। ग्वालियर में 500 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से होटल आराम से मिल जाते हैं। खाने पर प्रतिदिन 500 रुपए तक आ सकता है। वहीं कैब से मितावली, पड़ावली, बटेश्वर, शनिशचरा मंदिर घूमने का खर्च 2000 रुपए आ जाता है। कैब इसलिए क्योंकि यहां तक आने का कोई साधन नहीं है। तीन लोग दो दिन का टूर बनाते हैं, हर एक का 2000 रुपए खर्च आता है।
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