आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
साध्वी प्रज्ञा भारतीय जनता पार्टी के टिकट मिलने के बाद लगातार खबरों में बनी हुई हैं। शहीद हेमंत करकरे पर दिए गए अपने बयान के बाद से कई लोगों ने प्रज्ञा ठाकुर को अपने निशाने पर ले लिया है। इसी कड़ी में कांगेस नेता प्रिया दत्त ने ट्विटर पर पोस्ट पर लिखा है कि मैं बीजेपी कैंडिडेंट प्रज्ञा ठाकुर के हेमंत करकरे पर दिए गए बयान का का कड़ा विरोध करती हूं। इस तरह के बयान हमारे शहीद जवानों के प्रति बीजेपी की असली भावना को बताते हैं। साध्वी प्रज्ञा ने कहा था कि हेमंत करकरे को उन्होंने श्राप दिया था जिसकी वजह से वो 26/11 के हमले में शहीद हुए थे।
प्रिया के ट्विटर पोस्ट के बाद साध्वी ने भी पलटवार करते हुए कहा कि इनके भाई को 1993 में मुंबई में हुए नरसंहार की पूरी जानकारी थी। कोर्ट ने भी उन्हें दोषी पाया और जेल में ये सजा भी काटकर आए। इनके दाऊद के साथ जो संबंध हैं वो आप यूट्यूब पर भी देख सकते है। क्या इन्होंने कभी अपने देशद्रोही भाई का विरोध किया? कभी उसे भी कंडेम कीजिए मैडम। साध्वी प्रज्ञा पहले ही बता चुकी हैं कि वो ट्विटर पर नहीं हैं. ये उनके नाम से बना पैरोडी अकाउंट है।
साध्वी प्रज्ञा सेलेब्स के निशाने पर बनी हुई हैं। एक्टर संजय खान की बेटी फराह खान ने भी अप्रैल 21 को ट्विटर पोस्ट के जरिए प्रज्ञा ठाकुर को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि तुम्हारी गंदी सोच को लेकर राम का नाम बदनाम ना करे। तुम जैसी ने हिन्दु धर्म का नाम बर्बाद किया हैं जैसे ओसामा बिन लादिन्न और हाफ़िज सएड ने इस्लाम का नाम बर्बाद किया। धर्म भेद भाव रखना नहीं सिखाता हैं। तुम जैसे लोग नफ़रत फैलाते हैं। हमारे देश को तुम जैसे तोड़ना चाहते हो।
फराह को साध्वी प्रज्ञा को आरोपित करने से पूर्व रामजन्मभूमि पर विवाद करने वाले हिन्दू-मुस्लिम कांग्रेसी और इसके समर्थक दलों की भूमिका का अवलोकन कर यही बात उन्हें बोलती, आपको जवाब देने भारी पड़ जाते। आप पर 'काफिर' और न जाने कितने आरोप लग गए होते। फराह को कांग्रेस से प्रश्न करना था कि "जब तत्कालीन प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर इस मुद्दे को समाप्त कर रहे थे, फिर किस आधार पर राजीव गाँधी ने चन्द्रशेखर सरकार से समर्थन वापस लेकर, सरकार गिरायी थी? वास्तव में हिन्दू-मुस्लिम में बीच मतभेद और लड़ाई-झगड़ा करवाकर कांग्रेस अब तक राज करती आयी है। अगर फराह को इस बात का ज्ञान नहीं है, निम्न लेख पढ़, यही प्रश्न कांग्रेस से करें:
अवलोकन करें:-
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मध्य प्रदेश के भोपाल सीट से बीजेपी प्रत्याशी बनाई गईं साध्वी प्रज्ञा ने चुनावी सभा में दावा किया है कि बाबरी विध्वंस में वह भी शामिल थीं। उन्होंने कहा, 'हम भव्य मंदिर बनाने जाएंगे। राम मंदिर वाले बयान पर मुझे दो नोटिस मिले हैं। हम विधिवत जवाब देंगे. मैं धर्म की बात कर रही हूं। अपने राम पर बात कर रही हूं।मैंने जो कहा अपनी बात पर अडिग हूं।'
साध्वी प्रज्ञा भारतीय जनता पार्टी के टिकट मिलने के बाद लगातार खबरों में बनी हुई हैं। शहीद हेमंत करकरे पर दिए गए अपने बयान के बाद से कई लोगों ने प्रज्ञा ठाकुर को अपने निशाने पर ले लिया है। इसी कड़ी में कांगेस नेता प्रिया दत्त ने ट्विटर पर पोस्ट पर लिखा है कि मैं बीजेपी कैंडिडेंट प्रज्ञा ठाकुर के हेमंत करकरे पर दिए गए बयान का का कड़ा विरोध करती हूं। इस तरह के बयान हमारे शहीद जवानों के प्रति बीजेपी की असली भावना को बताते हैं। साध्वी प्रज्ञा ने कहा था कि हेमंत करकरे को उन्होंने श्राप दिया था जिसकी वजह से वो 26/11 के हमले में शहीद हुए थे।
प्रिया के ट्विटर पोस्ट के बाद साध्वी ने भी पलटवार करते हुए कहा कि इनके भाई को 1993 में मुंबई में हुए नरसंहार की पूरी जानकारी थी। कोर्ट ने भी उन्हें दोषी पाया और जेल में ये सजा भी काटकर आए। इनके दाऊद के साथ जो संबंध हैं वो आप यूट्यूब पर भी देख सकते है। क्या इन्होंने कभी अपने देशद्रोही भाई का विरोध किया? कभी उसे भी कंडेम कीजिए मैडम। साध्वी प्रज्ञा पहले ही बता चुकी हैं कि वो ट्विटर पर नहीं हैं. ये उनके नाम से बना पैरोडी अकाउंट है।
इनके भाई को १९९३ में मुंबई में हुए नरसंहार की पूरी जानकारी थी. कोर्ट ने भी उन्हें दोषी पाया है और जेल में ये सजा भी काटकर आए है. इनके दाऊद के साथ जो संबंध है वो आप यूट्यूब पर भी देख सकते है. क्या इन्होंने कभी अपने देशद्रोही भाई का विरोध किया? कभी उसे भी condemn कीजिए मैडम.
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कोर्ट में ये बयान किसने दिया? |
फराह को साध्वी प्रज्ञा को आरोपित करने से पूर्व रामजन्मभूमि पर विवाद करने वाले हिन्दू-मुस्लिम कांग्रेसी और इसके समर्थक दलों की भूमिका का अवलोकन कर यही बात उन्हें बोलती, आपको जवाब देने भारी पड़ जाते। आप पर 'काफिर' और न जाने कितने आरोप लग गए होते। फराह को कांग्रेस से प्रश्न करना था कि "जब तत्कालीन प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर इस मुद्दे को समाप्त कर रहे थे, फिर किस आधार पर राजीव गाँधी ने चन्द्रशेखर सरकार से समर्थन वापस लेकर, सरकार गिरायी थी? वास्तव में हिन्दू-मुस्लिम में बीच मतभेद और लड़ाई-झगड़ा करवाकर कांग्रेस अब तक राज करती आयी है। अगर फराह को इस बात का ज्ञान नहीं है, निम्न लेख पढ़, यही प्रश्न कांग्रेस से करें:
अवलोकन करें:-
साध्वी को जबरदस्ती आतंकवाद का आरोप स्वीकार करवाने के लिए जिस तरह उन्हें और अन्य बेकसूरों को प्रताड़ित किया गया था, काश ऐसी प्रताड़ना किसी मुस्लिम के साथ हुई होती, #metoo, #intolerance, #not in my name, #mob lynching, #award vapsi आदि आदि जितने भी गैंग हैं, सबके सब सडकों पर आकर हेमंत करकरे के विरुद्ध प्रदर्शन कर उनको ऐसा निर्दयी निर्देश करने वालो को फांसी की माँग कर रहे होते। आधी रात को अदालतें खुलवा दी जाती। परन्तु, अफ़सोस, यह प्रताड़ना किसी मुस्लिम के साथ नहीं बल्कि एक हिन्दू के साथ हुई। आतंकवादियों को खूब बिरयानी खिलाई जाती थी, और बेकसूरों को बेल्टों से पिटाई और भूखा रखा जाता था?
काश! आज हेमंत जीवित होते, बताते प्रताड़ित करवाने वालों के नाम
हिन्दू धर्म तो मृतात्माओं का सम्मान करने को कहता है। रावण की मृत्यु के बाद भगवान श्री राम ने उन्हें बाकायदा प्रणाम किया था और लक्ष्मण समेत दूसरों को भी उन्हें प्रणाम करने को कहा था, क्योंकि हिन्दू धर्म मृतकों का इसी तरह सम्मान करना सिखाता है। उसके बावजूद एक साध्वी एक मृतक को कलंकित कर रही है, क्यों? बल्कि चुनाव उपरान्त साध्वी प्रज्ञा को हेमंत करकरे की फाइल खुलवाने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों को मजबूर करना चाहिए। करकरे एक अफसर थे और उन्हें आदेशों को पालन करना था, जिस कारण वह बलि का बकरा बन गए और उनको आदेश देने वाले मालपुए खा रहे हैं। काश! आज हेमंत करकरे जीवित होते। राजनीति में भूचाल नहीं बवंडर आ गया होता, जब "हिन्दू आतंकवाद" और "भगवा आतंकवाद" के नाम पर बेकसूरों को प्रताड़ित करवाने वालों के नाम बोलते। वोट बैंक की राजनीति में देश की संस्कृति से खिलवाड़ किया गया और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी छूट गए।
काश! आज हेमंत जीवित होते, बताते प्रताड़ित करवाने वालों के नाम
हिन्दू धर्म तो मृतात्माओं का सम्मान करने को कहता है। रावण की मृत्यु के बाद भगवान श्री राम ने उन्हें बाकायदा प्रणाम किया था और लक्ष्मण समेत दूसरों को भी उन्हें प्रणाम करने को कहा था, क्योंकि हिन्दू धर्म मृतकों का इसी तरह सम्मान करना सिखाता है। उसके बावजूद एक साध्वी एक मृतक को कलंकित कर रही है, क्यों? बल्कि चुनाव उपरान्त साध्वी प्रज्ञा को हेमंत करकरे की फाइल खुलवाने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों को मजबूर करना चाहिए। करकरे एक अफसर थे और उन्हें आदेशों को पालन करना था, जिस कारण वह बलि का बकरा बन गए और उनको आदेश देने वाले मालपुए खा रहे हैं। काश! आज हेमंत करकरे जीवित होते। राजनीति में भूचाल नहीं बवंडर आ गया होता, जब "हिन्दू आतंकवाद" और "भगवा आतंकवाद" के नाम पर बेकसूरों को प्रताड़ित करवाने वालों के नाम बोलते। वोट बैंक की राजनीति में देश की संस्कृति से खिलवाड़ किया गया और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी छूट गए।
ज्ञात हो, जब 7 नवम्बर 1966 को गौ-हत्या का विरोध कर रहे निहत्ते साधु-संतों पर गोलियाँ चलवाकर उनकी लाशें बिछने के साथ-साथ पार्लियामेंट स्ट्रीट उनके खून से नहा रही थी, तब कृपालु जी महाराज ने तत्कालीन प्रधानमन्त्री इन्दिरा गाँधी को श्राप दिया था कि "इन्दिरा जिस तरह आज गोपाष्ठमी के दिन निर्दोष और निहत्ते साधु-सन्तों के खून की होली खेली जा रही है, तेरी भी मौत गोपाष्ठमी के ही दिन होगी।" संयोगवश 31 अक्टूबर 1984 को गोपाष्ठमी थी। अपने आराध्य पुरुषोत्तम श्रीराम को काल्पनिक बताने वालों को क्या मालूम श्राप किस स्थिति में और क्यों दिया जाता है? यह निर्दोष साधु-संतों को श्राप एवं हाय का ही परिणाम है कि कांग्रेस निरन्तर पाताललोक की ओर अग्रसर है।
स्मरण हो, बटला हाउस में जब पुलिस अधिकारी महेश शर्मा की आतंकवादियों द्वारा हत्या होने पर यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गाँधी द्वारा दिवंगत महेश शर्मा पर आँसू बहाने की बजाए आतंकवादी के मरने पर आंसू बाहे जाने पर ये सब क्यों सूरदास बन गए थे? विपरीत इसके अपने वोट बैंक को खुश करने खूब प्रचार किया गया था कि सोनिया जी अपने आंसू रोक नहीं पायीं। कुछ तो शर्म करो।
स्मरण हो, बटला हाउस में जब पुलिस अधिकारी महेश शर्मा की आतंकवादियों द्वारा हत्या होने पर यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गाँधी द्वारा दिवंगत महेश शर्मा पर आँसू बहाने की बजाए आतंकवादी के मरने पर आंसू बाहे जाने पर ये सब क्यों सूरदास बन गए थे? विपरीत इसके अपने वोट बैंक को खुश करने खूब प्रचार किया गया था कि सोनिया जी अपने आंसू रोक नहीं पायीं। कुछ तो शर्म करो।
तुम्हारी गंदी सोच को लेकर राम का नाम बदनाम ना करे । तुम जैसी ने हिन्दु धर्म का नाम बर्बाद किया हैं जैसे ओसामा बिन लादिन्न और हाफ़िज़ सएड ने इस्लाम का नाम बर्बाद किया। धर्म भेद भाव रखना नहीं सिखाता हैं। तुम जैसे लोग नफ़रत फैलाते हैं । हमारे देश को तुम जैसे तोड़ना चाहतें हो ।
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