भारत के लिए खतरा बनने जा रहे चीन का मालदीव ने पलट दिया पूरा खेल

MON ECN INTE china was going to be a threat to india but maldives reversed the entire game
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
भारत में मोदी विरोधी मोदी के विदेशी दौरों पर हज़ारों प्रश्नचिन्ह लगाते रहते हैं कि जब देखो भारत से बाहर घूमते रहते हैं, देश में क्या हो रहा है, उसकी चिन्ता नहीं। परन्तु उन्ही विदेशी दौरों का प्रभाव शायद विरोधी देख नहीं पा रहे या फिर नज़रअंदाज़ करने का ड्रामा कर रहे हैं। प्राप्त समाचारों के अनुसार, मालदीव ने भारत के पक्ष में खड़े होकर चीन के इरादों को चकनाचूर कर दिया है। 
इससे पूर्व आतंकवाद के मुद्दे पर भी केवल चीन को छोड़ पाकिस्तान के विरुद्ध भारत के साथ खड़ा है। आतंकवाद की समस्या पर हर सम्भव मदद भी करने को तैयार है। जबकि भारत में तुष्टिकरण पुजारी अपनी कुर्सी की खातिर इस्लामिक आतंकियों को संरक्षण देने की खातिर हिन्दू धर्म को ही बदनाम नहीं बल्कि कलंकित करने का कोई अवसर गँवाना नहीं चाहते।  
हिंद महासागर पर भारत के वर्चस्व के लिहाज से अहम रहे द्वीपीय देश मालदीव से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नजदीकियां एक बार फिर रंग लाई हैं। दरअसल मालदीव ने लगभग 4 साल पुराना कानून रद्द करके चीन को बड़ा झटका दिया है। इससे चीन की भारत के वर्चस्व वाले हिंद महासागर में दखलंदाजी की कोशिशें नाकाम हो गई हैं। अगर चीन मालदीव में जमीन खरीदने में कामयाब हो जाता, तो उसे इंडियन नेवी की एक्टिविटीज पर नजर रखना आसान हो जाता।

4 साल पुराना कानून किया रद्द

मालदीव सरकार ने हाल में अपनी संप्रभुता को नुकसान होने की चिंताओं को जाहिर करते हुए उसकी संसद द्वारा 2015 में पारित कानून को रद्द कर दिया। इस कानून से मालदीव में विदेशियों द्वारा संपत्ति खरीदने का रास्ता साफ हो गया था।

मालदीव में चीन ने किया है भारी निवेश

मालदीव दुनिया की व्यस्ततम शिपिंग लेन्स में से एक के नजदीक है। इसे प्रभाव में लेने के लिए भारत और चीन के बीच खासी होड़ देखने को मिलती है। चीन ने पिछली सरकार में मालदीव में इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खासा निवेश किया है, जिसके पीछे उसकी मंशा भारत की मालदीव पर पकड़ कमजोर करना थी।

मालदीव में जमीन नहीं खरीद सकेगा चीन

वर्ष 2015 में पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की अगुआई के नियंत्रण वाली सरकार ने मालदीव के भूमि स्वामित्व कानून में बड़ा बदलाव किया था। इसके तहत 1 अरब डॉलर (7 हजार करोड़ रुपए) के निवेश के इच्छुक विदेशी जमीन खरीद सकते थे। हालांकि कानून के अस्तित्व में आने के बाद बीते चार साल में किसी विदेशी ने वहां पर निवेश नहीं किया है।
अवलोकन करें:-
इस वेबसाइट का परिचय

NIGAMRAJENDRA.BLOGSPOT.COM
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार भारत में विरोधी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर नितरोज कोई न कोई आरोप लगा रहे हैं, वही द...

सैन्य इस्तेमाल की थी आशंका

चीन समर्थिक यामीन के इस फैसले से विदेशी शक्तियों द्वारा उसकी जमीन सैन्य उद्देश्यों से इस्तेमाल की आशंकाएं पैदा हो गई तीं। इसी हफ्ते मालदीव की संसद में इस कानून को रद्द करने वाला प्रस्ताव पेश किया था। पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने बीते चाल चुनाव प्रचार के दौरान इसका वादा भी किया था।
राष्ट्रपति के प्रवक्ता इब्राहिम हुड ने बुधवार को कहा, ‘जमीन मालदीव के सबसे मूल्यवान स्रोतों में से एक है और यह काफी सीमित हैं। कुदरती तौर पर यह हमारी पहचान से भी जुड़ा हुआ है। किसी अन्य कमोडिटी की तरह अपनी पहचान को बेचना खासा मुश्किल है।’ हुड ने कहा, ‘राष्ट्रपति इस जुड़ाव और इससे संबंधित भावनाओं को समझते हैं।’

No comments: