क्या लोकसभा 2019 परिणाम देश में अराजकता फैलाएगा?

अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने ये तस्वीर छापी है, जिसमें पीएम मोदी को फौजी तानाशाह के ड्रेस में दिखाया गया है, जबकि राहुल गांधी को गरीब फटेहाल दिखाया गया है। दोनों के मुकाबले में देश टूट रहा है।
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
23 मई को चुनाव परिणाम घोषित होते ही, 1555 में फ्रेंच ज्योतिष नोस्त्रेदामस की भविष्यवाणी एक बार पुनः चरितार्थ होने जा रही है। भारत को अखण्ड भारत देखने के सपने को संजोय समस्त नागरिकों को हर पल सतर्क रहना होगा। परिणामों के बाद देश में #not in my name, #awardvapasi, #intolerance, #metoo, #mob lynching आदि गैंगों के प्रायोजक अपनी नापाक हरकतों के साथ किसी न किसी नाम से देश में अराजकता फ़ैलाने का प्रयास कर सकते हैं, ये वही नेता होंगे जिन्हे आज तक जनमानस अपना हितैषी समझता रहा है, वास्तव में ये लोग जनसुविधाओं के नाम पर जनता का उपहास करते रहे हैं। 
उपेन्द्र कुशवाह का मीडिया के समक्ष मोदी सरकार की वापसी होने की स्थिति में खून-खराबे की बात ने सिद्ध कर दिया है कि बिल्लियाँ थैले से बाहर(Cats are trying to come out from the bags) आने को लालायित हैं। भाजपा उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा द्वारा नाथूराम गोडसे पर व्यक्त किए विचारों पर मोदी विरोधी साध्वी प्रज्ञा के विरुद्ध लामबंद हो सकते हैं, लेकिन कुशवाह के देश में खून-खराबा करने की गम्भीर बात का विरोध करने की बजाए गुप्त समर्थन कर रहे हैं।      
2019 के लोकसभा चुनाव में अगर भारतीय जनता पार्टी जीतती है तो क्या देश में गृहयुद्ध छिड़ जाएगा? ये सवाल सोशल मीडिया से लेकर आम लोगों की बातचीत में छाया हुआ है। देश के अलग-अलग इलाकों से जो इनपुट्स आ रहे हैं, उनके मुताबिक यह शक बिल्कुल सही है। खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक उन्हें भी यह जानकारी मिली है कि 23 मई को होने वाली मतगणना के बाद देश में अराजकता फैलाने की कोशिश हो सकती है। दरअसल ज्यादातर एग्जिट पोल में नरेंद्र मोदी सरकार की वापसी का अनुमान लगाया गया है, वैसे भी गठबंधन की सहयोगी पार्टी के एक नेता, कुशवाह ने तो स्पष्ट रूप से भाजपा के पुनः सत्तारूढ़ होने पर खून-खराबे की बात मीडिया में बोल दी है। जिसके बाद से कांग्रेस की अगुवाई में पूरा विपक्ष हमलावर है। फिलहाल ईवीएम में धांधली के आरोप लगाए जा रहे हैं, जिनमें से अब तक एक भी सही नहीं पाया गया। 
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खुफिया सूत्रों के मुताबिक असली नतीजे भी अगर इसी तर्ज पर रहे तो विपक्ष उस प्लान पर काम करने को तैयार बैठा है, जिसे अब तक ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ का प्लान कहा जाता रहा है। इसके तहत देश की तमाम विपक्षी पार्टियां एकजुट होकर पूरी चुनावी प्रक्रिया को चुनौती देंगी और कहेंगी कि उन्हें इस चुनाव पर भरोसा नहीं है।एक तरफ लड़ाई को सुप्रीम कोर्ट ले जाया जाएगा, दूसरी तरफ देश के अलग-अलग सड़कों पर बड़े पैमाने पर हिंसा भड़काने की कोशिश हो सकती है।

दक्षिण भारत को अलग देश बनाने की मांग?

दरअसल बीते कुछ हफ्तों से तमिलनाडु की पार्टी डीएमके और दक्षिण भारत की दूसरी पार्टियों के बीच बैठकों का सिलसिला अचानक तेज है। डीएमके के नेता स्टालिन, आंध्र प्रदेश के चंद्रबाबू नायडू, कर्नाटक के कुमारस्वामी और केरल की वामपंथी पार्टियां मुलाकातों के इस सिलसिले में शामिल हैं। एक प्राइवेट न्यूज़ चैनल के खुलासे के मुताबिक ये सभी नेता मिलकर दक्षिण भारत के सारे राज्यों को आपस में मिलाकर अलग देश बनाने की मांग रख सकते हैं। इसके मुताबिक शुरुआत स्टालिन करेंगे और कहेंगे कि उन्हें भारत की चुनावी प्रक्रिया और लोकतंत्र पर भरोसा नहीं है ऐसे में उनकी लड़ाई अब अलग देश के लिए होगी। तेलंगाना के चंद्रशेखर राव से भी कई दौर की मुलाकातें हुई हैं। हालांकि यह साफ नहीं है कि क्या वो भी इस प्लान में शामिल हैं। प्लान के मुताबिक दक्षिण भारत के साथ ही बंगाल में ममता बनर्जी भी कहेंगी कि चुनाव में धांधली हुई है और इसके विरोध में भारी तादाद में एक धर्म विशेष के लोगों को सड़कों पर उतारा जाएगा। जाहिर है ये दंगों की स्थिति होगी और हिंदुओं को इसका शिकार बनाया जाएगा। बंगाल में अभी से हिंदुओं के इलाकों पर हमलों की खबरें लगातार आ रही हैं। चैनल का दावा है कि दक्षिण भारत में केंद्र सरकार के दफ्तरों को निशाना बनाया जा सकता है। इन पर भीड़ से हमले करवाए जा सकते हैं। चेन्नई के मरीना बीच को प्रदर्शनकारियों का अड्डा बनाने की भी बात चैनल ने अपनी रिपोर्ट में दिखाई है।

चुनाव के नतीजे रद्द कराने की होगी कोशिश

जो जानकारी सामने आ रही है, उसके मुताबिक कांग्रेस पार्टी कोर्ट के आगे ये प्रस्ताव देगी कि लोकसभा चुनावों को रद्द करके कोई राष्ट्रीय सरकार बनाई जाए। वरना देश में इजिप्ट जैसी अराजकता की स्थिति पैदा हो जाएगी। ऐसा नहीं है कि ये सारी योजना एग्जिट पोल के बाद ही बनी है। संकेतों से यही लगता है कि इस पर लंबे समय से काम चल रहा था। कई विदेशी एजेंसियां इस साजिश पर अमल में दिन रात जुटी हुई हैं। इसी के तहत पिछले दिनों अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट और टाइम मैगजीन में पीएम मोदी के खिलाफ लेख छपवाए गए थे। इन दोनों ही लेखों में उन्हें ‘डिवाइडर’ यानी देश का बंटवारा करवाने वाले के तौर पर दिखाया गया है। इसके अलावा कांग्रेस पार्टी अपने और अपने सहयोगी दलों के नेताओं से लगातार ऐसे बयान दिलवा रही है जिससे मंसूबों का पता चलता है। मिसाल के तौर पर दिल्ली में आम आदमी पार्टी की प्रवक्ता ने तो बाकायदा ट्वीट करके लोगों को सड़कों पर उतरने के लिए उकसाया।

क्या कर रही है केंद्र सरकार?

हमारे सूत्र ने बताया कि केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों को किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार रहने को कहा गया है। इसके मुताबिक 23 मई के बाद से देशभर में पूरी सतर्कता बरती जाएगी। मंगलवार को इस खतरे के बारे में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से भी सवाल पूछा गया। इस पर राजनाथ सिंह ने कहा कि किसी भी शरारती तत्व के साथ मजबूती से निपटा जाएगा। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि अगर किसी तरह की साजिश रची जा रही है तो केंद्र सरकार ‘टिट फॉर टैट’ यानी दुष्ट के साथ दुष्टता का नियम पालन करेगी।
ये सब एक सोची समझी साजिश का हिस्सा है. जैसे नेहरू ने PM बनने के लिये देश का बंटवारा करा दिया था और लाखो लोग मरवा दिये, ऐसे ही कांग्रेस राहुल को PM बनने के लिये कुछ भी कर सकते है. मोदी को PM चुनने वाले लोग सजग और सावधान हो जाएं और इनका बहिष्कार करे.

I am sensing opposition is trying to drag the election result to the Supereme Court. What a mammoth conspiracy is being hatched, ordinary citizen can't even fathom what these India-haters are up to.

मोदी की नोटबंदी से विदेशी फंड और भ्रष्ट संशाधनों से चल रहे 20 हजार बंद NGO ही आज वामपंथियों और कांग्रेस की मदद से अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं के द्वारा उनकी छवि खराब करना चाहते हैं, लेकिन उनकी यह साजिश फिर भी नाकाम होगी !

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