
23 मई को नतीजे घोषित किए जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी देश की सबसे अधिक सांसदों वाली पार्टी बनकर उभरी और एनडीए सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें जीतने वाला गठबंधन बन गया। यह भी पहली बार है कि कोई गैर-कांग्रेसी सरकार ने पूर्ण बहुमत से पुनः वापसी की है। 17वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 303 सीटों पर जीत मिली है। वहीं, चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 72 अन्य सीटों पर भाजपा प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे।
देश की 72 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां पर भाजपा को औसत रूप से 1.27 लाख वोटों से विजय मिली है और जिन सीटों पर पिछले चुनावों में वह दूसरे नंबर रही थी, उन पर 4.35 लाख वोट से जीती है। इससे यह साफ जाहिर होता है कि 2014 के बाद पार्टी ने उन सीटों पर बहुत अधिक फोकस करके अपने जनाधार को मजबूत किया, जहां पर वह दूसरे नंबर पर थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा कुल 436 सीटों पर लड़ी। इसमें से 303 सीटें जीतने में सफल रही।
ओडिशा और पश्चिम बंगाल दो ऐसे राज्य हैं, जहां पर भाजपा को 2014 की तुलना में बहुत अधिक लाभ मिला है। ओडिशा में भाजपा को आठ मिली हैं और पश्चिम बंगाल में 18 सीटों के साथ राज्य की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। टीएमसी को 22 सीटें मिली हैं। कांग्रेस को दो सीटों पर संतोष करना पड़ा है। टीएमसी जिन सीटों पर जीती है, उन सभी सीटों पर भाजपा दूसरे नंबर पर रही है। ओडिशा में बीजेडी ने 12 सीटें जीती है। इन सीटों पर भी भाजपा ने बीजेडी को मुख्य चुनौती दी है।
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी 80 सीटों में से 78 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। दो सीटों पर सहयोगी अपना दल चुनाव लड़ा था, जिसमें से भाजपा की झोली में 62 सीटें आईं और दो पर अपना दल को जीत मिली है। शेष 16 सीटों पर भाजपा दूसरे नंबर पर रही है।
लोकसभा चुनाव के दौरान यह उम्मीद की जा रही थी कि सपा-बसपा और रालोद गठबंधन अपने जातीय समीकरणों के आधार पर भाजपा की विजय यात्रा को रोकने में कामयाब हो जाएगा। लेकिन, यह संभव नहीं हो पाया और भाजपा को 40 सीटों पर कुल पड़े वोट का आधे से अधिक वोट मिला है। जिससे यह साफ हो गया कि सपा-बसपा और रालोद का जातीय समीकरण पूरी तरह से धराशाही हो गया।
वहीं, गुजरात में सभी 26 सीटों, दिल्ली की सभी सात सीटों, उत्तराखंड की सभी पांच सीटों, हिमाचल प्रदेश की सभी चार सीटों और अरुणाचल प्रदेश की दोनों सीटों पर भाजपा को आधे से अधिक वोट हासिल हुए हैं। इसके अलावा, हरियाणा की 10 में से 9 सीटों, राजस्थान की 25 में से 23 सीटों पर 50 प्रतिशत से अधिक वोट मिला है। मध्य प्रदेश की 29 में से 25 सीटों, कर्नाटक की 28 में से 22 सीटों और झारखंड की 14 में से 8 सीटें ऐसी हैं, जहां पर आधे से अधिक वोट प्राप्त हुआ है
अकेले 303 सीटें जीतने और 72 सीटों पर दूसरे नंबर पर रहने के बावजूद देश भर में 50 से अधिक ऐसी सीटें हैं, जहां पर भाजपा प्रत्याशियों का प्रदर्शन बहुत खराब रहा है। इन सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हो गई है। इनमें से ज्यादातर सीटें दक्षिणी राज्यों आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और केरल की हैं। जबकि केरल में संघ का बहुत काम है। कई वर्षों से केरल में वामपंथियों द्वारा स्वयंसेवकों की बेदर्दी से हत्याएँ होती रही हैं। वहाँ भी भाजपा अगर आशानुरूप सीटें निकालने में असमर्थ रहती है, वह टिकट वितरण या अन्य किसी संगठात्मक कमी को दर्शाता है।
इन राज्यों में जमानत जब्त होना दिल्ली आदि राज्यों में कुछ संगठनों द्वारा मोदी-योगी-अमित पर ही निर्भर रहकर जन-जन तक पार्टी की गतिविधियों को न पहुँचाने के आरोप को प्रमाणित करता है, जिसे केन्द्रीय शीर्ष नेतृत्व को गम्भीरता से लेना होगा। वास्तव में हो ये रहा है कि ग्रुप बनाकर फोटो डाल अपनी सक्रीयता दिखाकर कमर्ठ पदाधिकारी सिद्ध कर रहे हैं, जबकि धरातल पर काम लगभग शून्य ही रहेगा। घूम-फिर कर देख लो वही लोग रहेंगे, कोई नया चेहरा नहीं दिखेगा।
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