

आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
भारतीय जनसंघ की स्थापना से लेकर वर्तमान भारतीय जनता पार्टी द्वारा जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35A का विरोध करने के ही कारण गैर-भाजपाई भाजपा को मुस्लिम विरोधी और साम्प्रदायिक करार देते रहे हैं। जवाहर लाल नेहरू से लेकर आज तक कांग्रेस और इसके समर्थक दल इन अनुच्छेदों की आड़ में अपना साम्प्रदायिक कार्ड खेल समस्त मुस्लिम समाज को भ्रमित कर, देश की मुख्यधारा से अलग रख केवल अपने वोटबैंक के रूप में इस्तेमाल करते रहे हैं।
स्मरण हो, भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जम्मू-कश्मीर जाने से पूर्व वहाँ की सरकार से परमिट लेने की प्रथा, वहाँ का अलग प्रधानमन्त्री, एक देश दो प्रधान, एक देश दो विधान आदि को समाप्त करने के लिए नेहरू के मंत्रिमण्डल को त्याग इन कुप्रथाओं के विरुद्ध बिना परमिट के जम्मू-कश्मीर कूच करने के कारण वहां के तत्कालीन प्रधानमन्त्री शेख अब्दुल्ला ने गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया, जहाँ से उनका शव ही बाहर आया यानि नेहरू द्वारा कुरीतियों के विरुद्ध डॉ मुखर्जी ने अपना बलिदान दे दिया। परिणामस्वरूप, विवश होकर नेहरू ने जम्मू-कश्मीर जाने से पूर्व परमिट प्रथा और शेख अब्दुल्ला के प्रधानमन्त्री पद को तो समाप्त कर दिया, लेकिन इन अनुच्छेदों को समाप्त नहीं किया।जम्मू कश्मीर के प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष रविंदर रैना ने मई 26 को कहा कि उनकी पार्टी संविधान के अनुच्छेदों 370 और 35 ए को जल्दी हटाने के पक्ष में है। रैना ने उम्मीद जताई कि प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी अपने बलबूते अगली सरकार बनाएगी। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘अनुच्छेद 370 जम्मू कश्मीर के लोगों के साथ सबसे बड़ा अन्याय है, यह एक अस्थायी संक्रमणकालीन प्रावधान है जबकि 35ए सबसे बड़ी संवैधानिक गलती है जिसे संसद की सहमति के बगैर पिछले दरवाजे से जोड़ा गया था। हम उम्मीद करते हैं कि इन दोनों संवैधानिक प्रावधानों को जल्दी हटाया जाएगा।’
अवलोकन करें:-
कश्मीर के राजनेताओं पर प्रदेश के लोगों को इन अनुच्छेदों पर भ्रमित करने का आरोप लगाते हुए रैना ने कहा कि अनुच्छेद 370 ‘घृणा की दीवार’ है और कश्मीर की मौजूदा स्थिति के लिए यही जिम्मेदार है।
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