
वाराणसी की एक छात्रा ने राय पर नौकरी देने का झांसा देकर उसका बलात्कार करने का आरोप लगाया है। राय ने लोकसभा चुनाव के दौरान अपना प्रचार नहीं किया फिर भी उन्होंने बसपा के टिकट पर जीत दर्ज की है। गत एक मई को मामला दर्ज होने के बाद पुलिस ने राय को पकड़ने के लिए आस-पास के इलाकों में दबिश दी लेकिन वह अब तक गिरफ्तार नहीं कर पाई है।
अब प्रश्न यह भी है कि बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार होने से फरार उम्मीदवार को जनता ने किस आधार पर वोट दिया? क्या ऐसे नेता अपराध समाप्त कर सकते है? क्या घोसी की जनता प्रदेश से महिला उत्पीड़न समाप्त करने के पक्ष में नहीं है? क्या मायावती ऐसे नेता को पार्टी से निकाल कानून से ऐसे लोगों पर सख्ती से पेश आने के लिए कहेंगीं?
प्रधान न्यायाधीश (सीजीआई) रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की अवकाश पीठ ने कहा कि वह राय को गिरफ्तारी से राहत देने वाली याचिका पर सुनवाई करने के पक्ष में नहीं हैं। इससे पहले भी शीर्ष अदालत राय को गिरफ्तारी से अंतरिम छूट देने से इंकार कर चुकी है। बता दें कि कॉलेज की छात्रा की शिकायत पर एक मई को राय के खिलाफ यह मामला दर्ज हुआ था।
छात्रा का आरोप है कि राय अपनी पत्नी से मिलाने के लिए उसे अपने घर ले गए जहां उन्होंने उसका यौन उत्पीड़न किया। राय ने अपने लगे आरोप से इंकार किया है।
राय के वकील का कहना है कि उत्तर प्रदेश में अग्रिम जमानत का कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए उच्च न्यायालय ने गिरफ्तारी से छूट का अनुरोध करने वाली राय की याचिका आठ मई को ठुकरा दी थी। बलात्कार मामले में अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए राय ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन उन्हें वहां से निराशा हाथ लगी क्योंकि कोर्ट ने उन्हें गिरफ्तारी पर स्टे देने से इंकार कर दिया।
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