एग्जिट पोल्स के नतीजे घोषित होने के बाद अब सबकी निगाह 23 मई को घोषित होने वाले नतीजों पर टिकी है। देश ही नहीं विदेशों की निगाह भी दुनिया के इस सबसे बड़े लोकतंत्र के नतीजों पर टिकी है, खासकर कि पाकिस्तान की। जब से एग्जिट पोल्स के नतीजे आए हैं पाकिस्तानी मीडिया में भी हिंदुस्तान की खबरें छाई हुईं हैं। तमाम चैनल अपनी डिबेट्स में इन एग्जिट पोल्स को लेकर चर्चा कर रहे हैं।
तमाम पाकिस्तानी चैनल एग्जिट पोल्स में मोदी सरकार के दुबारा आने को लेकर अपनी-अपनी राय बता रहे हैं। भारत की विपक्षी दलों की तरह पाकिस्तान के टीवी चैनल्स भी बता रहे हैं कि ये एग्जिट पोल्स गलत साबित हो सकते हैं। एक टीवी चैनल तो सीधे-सीधे कह रहा है कि मोदी के सत्ता में आने से पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाही और तेज हो सकती है। भारत में विरोधियों को भी हकीकत में यही चिन्ता खाए जा रही है, इसीलिए ईवीएम पर निशाना साध रहे हैं। पाकिस्तान मीडिया खुद मान रहा है कि वो ब्रेसब्री से भारतीय चुनावों के नतीजों की घोषणा का इंतजार कर रहा है।
एक एक्सपर्ट ने माना कि यदि मोदी जीतते हैं तो पाकिस्तान को लेकर उनके नजरिये में कोई खास बदलाव नहीं आने वाला है। वहीं एक अन्य चैनल के एक्सपर्ट मानते हैं कि मोदी का फिर से पीएम बनने का मतलब है पाकिस्तान के लिए फिर से टफ टाइम शुरु होने वाला है। कई एक्सपर्ट मानते हैं कि मोदी जब मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद अपना पहला भाषण देंगे तो तब साफ होगा कि उनकी पाकिस्तान को लेकर क्या नीति है।
दरअसल पाकिस्तानी मीडिया भी मानता है कि पीएम मोदी ने पाकिस्तान को विश्व में अलग-थलग करने में बड़ी भूमिका निभाई है। खुद कई वरिष्ठ पत्रकार मानते हैं कि मोदी का इंडियन पॉलिटिक्स में तगड़ा होल्ड है जबकि राहुल गांधी एक कमजोर लीडर साबित हुए हैं। यही कारण है कि एग्जिट पोल के नतीजे घोषित होने के बाद पाकिस्तान में इंटरनेट पर सबसे ज्यादा 88 फीसदी नरेंद्र मोदी को सर्च किया जबकि 12 फीसदी लोगों ने राहुल गांधी को सर्च किया।
सोशल मीडिया में पाकिस्तानी लोग भी कह रहे हैं कि पीएम मोदीकी सत्ता में वापसी नहीं होनी चाहिए क्योंकि उन्होंने बालाकोट में एयर स्ट्राइक करने के अलावा सर्जिकल स्ट्राइक कराई। पाकिस्तानी लोग कहते हैं कि मोदी की सत्ता में वापसी पाकिस्तान के लिए हितकारी नहीं हैं।
सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान जनमानस इस बात को भी स्वीकार कर रहा है कि सरकार और फौज आतंकवादियों के सरगनाओं को संरक्षण देना पाकिस्तान के लिए मुसीबत पैदा कर रहे हैं। क्योकि सरकार केवल नाम की हैं, वास्तव में सरकार का संचालन फौज द्वारा ही किया जाता है और किसी सरकार में फौज के खिलाफ जाने का साहस नहीं। मोदी सरकार के पुनः वापसी होने पर पाकिस्तान सरकार और फौज को भारत के विरुद्ध अपनी सोंच में बदलाव लाना होगा। ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो से लेकर बेनज़ीर भुट्टो तक भारत से 1000 साल तक लड़ने की सोंच रखते रहे, परन्तु पाकिस्तान के विकास की तरफ सभी की सोंच एकदम विपरीत रही।
तमाम पाकिस्तानी चैनल एग्जिट पोल्स में मोदी सरकार के दुबारा आने को लेकर अपनी-अपनी राय बता रहे हैं। भारत की विपक्षी दलों की तरह पाकिस्तान के टीवी चैनल्स भी बता रहे हैं कि ये एग्जिट पोल्स गलत साबित हो सकते हैं। एक टीवी चैनल तो सीधे-सीधे कह रहा है कि मोदी के सत्ता में आने से पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाही और तेज हो सकती है। भारत में विरोधियों को भी हकीकत में यही चिन्ता खाए जा रही है, इसीलिए ईवीएम पर निशाना साध रहे हैं। पाकिस्तान मीडिया खुद मान रहा है कि वो ब्रेसब्री से भारतीय चुनावों के नतीजों की घोषणा का इंतजार कर रहा है।
एक एक्सपर्ट ने माना कि यदि मोदी जीतते हैं तो पाकिस्तान को लेकर उनके नजरिये में कोई खास बदलाव नहीं आने वाला है। वहीं एक अन्य चैनल के एक्सपर्ट मानते हैं कि मोदी का फिर से पीएम बनने का मतलब है पाकिस्तान के लिए फिर से टफ टाइम शुरु होने वाला है। कई एक्सपर्ट मानते हैं कि मोदी जब मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद अपना पहला भाषण देंगे तो तब साफ होगा कि उनकी पाकिस्तान को लेकर क्या नीति है।
दरअसल पाकिस्तानी मीडिया भी मानता है कि पीएम मोदी ने पाकिस्तान को विश्व में अलग-थलग करने में बड़ी भूमिका निभाई है। खुद कई वरिष्ठ पत्रकार मानते हैं कि मोदी का इंडियन पॉलिटिक्स में तगड़ा होल्ड है जबकि राहुल गांधी एक कमजोर लीडर साबित हुए हैं। यही कारण है कि एग्जिट पोल के नतीजे घोषित होने के बाद पाकिस्तान में इंटरनेट पर सबसे ज्यादा 88 फीसदी नरेंद्र मोदी को सर्च किया जबकि 12 फीसदी लोगों ने राहुल गांधी को सर्च किया।
सोशल मीडिया में पाकिस्तानी लोग भी कह रहे हैं कि पीएम मोदीकी सत्ता में वापसी नहीं होनी चाहिए क्योंकि उन्होंने बालाकोट में एयर स्ट्राइक करने के अलावा सर्जिकल स्ट्राइक कराई। पाकिस्तानी लोग कहते हैं कि मोदी की सत्ता में वापसी पाकिस्तान के लिए हितकारी नहीं हैं।
सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान जनमानस इस बात को भी स्वीकार कर रहा है कि सरकार और फौज आतंकवादियों के सरगनाओं को संरक्षण देना पाकिस्तान के लिए मुसीबत पैदा कर रहे हैं। क्योकि सरकार केवल नाम की हैं, वास्तव में सरकार का संचालन फौज द्वारा ही किया जाता है और किसी सरकार में फौज के खिलाफ जाने का साहस नहीं। मोदी सरकार के पुनः वापसी होने पर पाकिस्तान सरकार और फौज को भारत के विरुद्ध अपनी सोंच में बदलाव लाना होगा। ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो से लेकर बेनज़ीर भुट्टो तक भारत से 1000 साल तक लड़ने की सोंच रखते रहे, परन्तु पाकिस्तान के विकास की तरफ सभी की सोंच एकदम विपरीत रही।
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