
तेलंगाना से आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
सत्तर के दशक में गुरुदत्त फिल्म्स कम्बाइन की सिल्वर जुबली फिल्म "बहारें फिर भी आएंगी" का बहुचर्चित गीत "बदल जाए अगर माली, चमन होता नहीं खाली, बहारें फिर भी आएंगी..." को यदि आज के सन्दर्भ में देखा जाए, तो इस तरह होता: "बदल जाए अगर सरकार, महँगाई फिर भी आएगी..." कोई अतिश्योक्ति नहीं।
अभी सम्पन्न हुए लोकसभा चुनावों में विपक्ष ने केवल प्रधानमंत्री मोदी का विरोध किया, जातिवाद, सर्जिकल एवं एयर स्ट्राइक के सबूत माँगने, और मुस्लिम तुष्टिकरण की बात की, यानि अपने स्वार्थ को लेकर शोर मचाया, लेकिन किसी ने जनता की समस्या को लेकर मोदी सरकार पर प्रहार नहीं किया, मसलन बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, जनसंधानो का आभाव और विदेशों में जमा काला धन आदि आदि।
प्रधानमन्त्री मोदी एलपीजी पर सब्सिडी छोड़ने के लिए जनता से आव्हान करते हैं, और जनता प्रधानमंत्री के आव्हान को सम्मानपूर्वक स्वीकार करते करोड़ों लोग सब्सिडी छोड़ देते हैं, लेकिन निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से सरकारी मुफ्त सुविधाओं को छोड़ने का आव्हान नहीं किया, जबकि सबसे अधिक धन की बर्बादी इन्हे मिलने वाली मुफ्त की सुविधाओं पर होने के अतिरिक्त संसद कैंटीन को दी जा रही सब्सिडी पर हो रही है। यदि कोई पार्षद विधायक बन जाता है तो पार्षद के साथ-साथ विधायक की पेंशन, और अगर सांसद बन गया, फिर पार्षद से लेकर सांसद तक की यानि 3 पेंशन, जबकि एक चुनाव जीतने पर नेता अपनी एक पीढ़ी का प्रबन्ध कर लेता है, फिर उसे पेंशन की क्या जरुरत? राजनीति जनसेवा है या व्यापार? अगर जनसेवा है फिर ये मुफ्त सुविधाएँ क्यों? यदि इन इन सब पर अंकुश लगा दिया जाए और वर्षों से सुन रहे विदेश में जमा काला धन वापस आ जाए, तो अर्थशास्त्रियों के अनुसार "देश में कम से कम 30 वर्ष तक किसी नए टैक्स लगाने की जरुरत नहीं पड़ेगी।"
चर्चित क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने अपने राज्यसभा कार्यकाल में मिले वेतन को वापस कर भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद, जो केवल अपने खर्चे के लिए कुछ रूपए रख, शेष राशि रक्षा कोष में दे दिया करते थे, के समक्ष आने का प्रयास कर पुनः एक उदाहरण प्रस्तुत कर इतिहास दोहराने का प्रयास किया।
आज तेलंगाना में टमाटर 60 रूपए, खीरा 40/50 रूपए, आलू 30/40 रूपए, प्याज 30 रूपए, गोभी 30 रूपए प्रति(वजन अथवा आकार चाहे जितना हो), आदि आदि।

केंद्र में दूसरी बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद देश के आम आदमी को पहला झटका लगा है। देश की सबसे बड़ी सरकारी तेल कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (IOCL) ने घरेलू रसोई गैस के दाम बढ़ा दिए हैं।
25 रुपए महंगा हुआ बिना सब्सिडी वाला सिलेंडर
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन की ओर से मई 31 को जारी बयान के अनुसार, बिना सब्सिडी वाले घरेलू गैस सिलेंडर की कीमतों में 25 रुपए और सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर की कीमतों में 1 रुपए 23 पैसे की बढ़ोतरी कर दी है। यह नई कीमतें 1 जून से पूरे देश में प्रभावी हो गई हैं। इंडियन ऑयल ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक जून से सब्सिडी वाला गैस सिलेंडर 497 रुपए 37 पैसे का मिलेगा। मई में इसकी कीमत 496 रुपये 14 पैसे थी। इसके साथ ही दिल्ली में बिना सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर की कीमत में 25 रुपए की वृद्धि की गयी है। मई में इसकी कीमत 712 रुपए 50 पैसे थी जो जून में बढ़कर 737 रुपए 50 पैसे हो गई है। इंडियन ऑयल ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में रसोई गैस की कीमतों में परिवर्तन और डॉलर की तुलना में रुपए की विनिमय दर में आए बदलावों के मद्देनजर रसोई गैस की कीमतें बढ़ाई गई हैं।
No comments:
Post a Comment