आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
विधानसभा चुनाव से पहले दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार महिलाओं के लिए बड़ा ऐलान कर सकती है। दिल्ली सरकार जल्द ही महिला यात्रियों के लिए बस और मेट्रो का किराया माफ कर सकती है, ताकि उनके लिए सार्वजनिक यात्रा को सुविधाजनक बनाया जा सके।
द टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने कहा, 'सरकार सार्वजनिक परिवहन में महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा की योजना बना रही है। इस निर्णय के कारण दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन, दिल्ली परिवहन निगम और क्लस्टर स्कीम की बसों को राजस्व का नुकसान उठाना पड़ेगा।'
माना जाता है कि दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत की अध्यक्षता में डीएमआरसी के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर संभावित परिदृश्य पर विचार किया जा रहा है, जहां महिला यात्री रियायत या पूर्ण शुल्क माफी का लाभ उठा सकती हैं। गहलोत ने इस संबंध में अधिकारियों से प्रस्ताव तैयार करने को कहा है।
वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि ये कदम उठाने के लिए रास्ता निकाला जा रहा है, क्योंकि तकनीकी चुनौतियों की वजह से इसे लागू करना मुश्किल है। हालांकि, DMRC (दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन) द्वारा अभी तक इस तरह की योजना पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।
मेट्रो में हर दिन करीब 30 लाख लोग यात्रा करते हैं, जिसमें से 25 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं होती हैं। दिल्ली में मेट्रो की तुलना में लोग बस ज्यादा उपयोग करते हैं, लेकिन बस में महिला यात्रियों की संख्या 20 प्रतिशत से ज्यादा नहीं है। बस में यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या 42 लाख के करीब है।
दिल्ली सरकार के इस फैसले को चुनाव से जोड़कर भी देखा जा सकता है। अगले साल की शुरुआत में दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने हैं। लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद आम आदमी पार्टी की नजर अब विधानसभा चुनाव पर है।
प्रति वर्ष 1200 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा
नई योजना का सीधा फायदा आप सरकार को आने वाले विधानसभा चुनाव में हो सकता है। सूत्रों ने बताया कि हालिया लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद दिल्ली सरकार मास्टर स्ट्रोक योजना की तलाश में है जिससे वह मतदाताओं का भरोसा फिर पा सके। एक हिंदी अखबार में प्रकाशित खबर के मुताबिक दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन से पूछा है कि वह बताए कि महिलाओं को दी जाने वाली यह सुविधा वो कैसे लागू करेगा? इसके लिए मुफ्त पास की सुविधा दी जाएगी या किसी अन्य विकल्प की तलाश करनी होगी? एक अनुमान के मुताबिक अगर ये योजना लागू की जाती है तो दिल्ली सरकार पर प्रति वर्ष 1200 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा?
लगता है, अरविन्द केजरीवाल दिल्ली वालों को मुफ्तखोर बनाकर महिला मतदाताओं को लुभाने में प्रयत्नशील है। एक तरफ केजरीवाल कहते हैं कि मोदी सरकार हमें काम करने नहीं देती, फिर किस आधार पर महिलाओं को बसों और मेट्रो में मुफ्त सफर करवाएंगे? क्योंकि केन्द्र में फिर से आ गयी है। अपनी चुनावी रैलियों में तेज भागते बिजली के मीटर बदलने की बात कही थी, तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित द्वारा किए घोटालों के 370 आरोप दिखाकर में जेल भेजने की बात भी कही थी, दोनों ही बातें पूरी नहीं हुई। केजरीवाल जी आपके कई विधायकों ने अपने क्षेत्रों में कई विकास कार्य किये हैं, उनको आधार बनाकर क्यों नहीं चुनाव की बिसात बिछाते। आखिर कब तक जनता को मुफ्तखोरी के सब्जबाग दिखाकर रिछाते रहोगे?
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