देशभर के फैमिली कोर्ट में चल रहे तलाक (Divorce) मामलों
में एक अनूठा मामला सामने आया है. इस केस में पति के तलाक (Divorce) की
मांग की तो पत्नी ने चौंकाने वाली मांग कर दी. मामला महाराष्ट्र के नांदेड़
फैमिली कोर्ट का है. जहां तलाक (Divorce) पाने की चाहत रखने वाले पति से
महिला ने गर्भधारणा की मांग की है. इतना ही नहीं, मामले में जज के आदेश से
देशभर के तलाक (Divorce) के मामलों में चौंकाने वाला मोड़ आ सकता है.
पत्नी ने कहा, 'मैं तलाक (Divorce) से पहले पति से प्रेग्नेंट होना चाहती हूं'
ख़बर में कोर्ट के आदेश के अनुसार, महिला एवं पुरुष का परिचय गुप्त रखा जा रहा है. लेकिन, इतना सार्वजनिक है की यह डॉक्टर दम्पति का मामला है, जिसकी सुनवाई महाराष्ट्र के नांदेड़ फैमिली कोर्ट में चल रही है. मामले में डॉक्टर पत्नी ने कोर्ट में मांग की है कि, उसे अपने पति से गर्भ ठहराना है. वह अपनी ढलती उम्र के चलते जल्द से जल्द अपने पति से गर्भवती होना चाहती है.
महिला को दूसरे बच्चे का है कानूनन अधिकार है
गौरतलब है कि ऐसी मांग करने वाली महिला को तलाक (Divorce) की मांग करने वाले पति के साथ छह साल तक चली असफल शादी से हुआ लड़का पहले से है. अपने लड़के को भाई या बहन का सुख देने के लिए महिला ने तलाक (Divorce) मांगने वाले पति से बच्चा मांगा है. वह खुद बच्चा जनना चाहती है.
महिला के वकील शिवराज पाटिल ने ZEE मीडिया से बातचीत में कहा कि दम्पति को दो संतान पाने का कानूनन अधिकार है. चूंकि डॉक्टर महिला का तलाक (Divorce) मंजूर नहीं हुआ है, ऐसे में वह अब भी अपने पति के साथ शादी में बंधी है. लिहाजा भले उसका पति तलाक (Divorce) मांग रहा हो औरत उससे गर्भधारणा की चाहत रख सकती है.
IVF तकनीक से महिला की मांग होगी पूरी
इस तर्क अनुसार नांदेड़ फैमिली कोर्ट की जज स्वाति चव्हाण ने महिला की मांग को देखते हुए आईवीएफ एक्सपर्ट और मैरेज काउंसलर को भी निर्धारित किया है. कोर्ट अपने आदेश में कहता है कि, महिला को संतान सुख देने के लिए आईवीएफ तकनीक के इस्तेमाल पर विचार हो. इसके लिए सर्वप्रथम महिला और पुरुष की मेडिकल जांच कराई जाए.
महिला कोर्ट के फैसले से खुश है
महिला और पुरुष को एक महीने के भीतर यह प्रक्रिया का सामना करना होगा. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि, इस प्रक्रिया का खर्च याचिकाकर्ता महिला को ही उठाना होगा. यहां बता दें कि, आईवीएफ कृत्रिम गर्भधारणा कि वह तकनीक है, जिसमें बिना शारीरिक सम्बन्ध बनाए केवल पुरुष के शुक्राणु महिला के गर्भ में धारण कराए जाते हैं.
कोर्ट के फैसले से खुश महिला ने ZEE मीडिया से बातचीत में कहा है कि, जज का फैसला दार्शनिक है और कई महिलाओं को मददगार साबित होगा. महिला दावा करती है कि अगर उसका पति उसे गर्भवती करता है तो वह अपनी दूसरी संतान के भरण पोषण का खर्च खुद उठाएगी.(एजेंसीज इनपुट्स)
पत्नी ने कहा, 'मैं तलाक (Divorce) से पहले पति से प्रेग्नेंट होना चाहती हूं'
ख़बर में कोर्ट के आदेश के अनुसार, महिला एवं पुरुष का परिचय गुप्त रखा जा रहा है. लेकिन, इतना सार्वजनिक है की यह डॉक्टर दम्पति का मामला है, जिसकी सुनवाई महाराष्ट्र के नांदेड़ फैमिली कोर्ट में चल रही है. मामले में डॉक्टर पत्नी ने कोर्ट में मांग की है कि, उसे अपने पति से गर्भ ठहराना है. वह अपनी ढलती उम्र के चलते जल्द से जल्द अपने पति से गर्भवती होना चाहती है.
महिला को दूसरे बच्चे का है कानूनन अधिकार है
गौरतलब है कि ऐसी मांग करने वाली महिला को तलाक (Divorce) की मांग करने वाले पति के साथ छह साल तक चली असफल शादी से हुआ लड़का पहले से है. अपने लड़के को भाई या बहन का सुख देने के लिए महिला ने तलाक (Divorce) मांगने वाले पति से बच्चा मांगा है. वह खुद बच्चा जनना चाहती है.
महिला के वकील शिवराज पाटिल ने ZEE मीडिया से बातचीत में कहा कि दम्पति को दो संतान पाने का कानूनन अधिकार है. चूंकि डॉक्टर महिला का तलाक (Divorce) मंजूर नहीं हुआ है, ऐसे में वह अब भी अपने पति के साथ शादी में बंधी है. लिहाजा भले उसका पति तलाक (Divorce) मांग रहा हो औरत उससे गर्भधारणा की चाहत रख सकती है.
IVF तकनीक से महिला की मांग होगी पूरी
इस तर्क अनुसार नांदेड़ फैमिली कोर्ट की जज स्वाति चव्हाण ने महिला की मांग को देखते हुए आईवीएफ एक्सपर्ट और मैरेज काउंसलर को भी निर्धारित किया है. कोर्ट अपने आदेश में कहता है कि, महिला को संतान सुख देने के लिए आईवीएफ तकनीक के इस्तेमाल पर विचार हो. इसके लिए सर्वप्रथम महिला और पुरुष की मेडिकल जांच कराई जाए.
महिला कोर्ट के फैसले से खुश है
महिला और पुरुष को एक महीने के भीतर यह प्रक्रिया का सामना करना होगा. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि, इस प्रक्रिया का खर्च याचिकाकर्ता महिला को ही उठाना होगा. यहां बता दें कि, आईवीएफ कृत्रिम गर्भधारणा कि वह तकनीक है, जिसमें बिना शारीरिक सम्बन्ध बनाए केवल पुरुष के शुक्राणु महिला के गर्भ में धारण कराए जाते हैं.
कोर्ट के फैसले से खुश महिला ने ZEE मीडिया से बातचीत में कहा है कि, जज का फैसला दार्शनिक है और कई महिलाओं को मददगार साबित होगा. महिला दावा करती है कि अगर उसका पति उसे गर्भवती करता है तो वह अपनी दूसरी संतान के भरण पोषण का खर्च खुद उठाएगी.(एजेंसीज इनपुट्स)
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