
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष मदन लाल सैनी ने मुगल शासक अकबर के बारे में बयान दिया है।जो तुष्टिकरण पुजारियों की नींद और रोटी हराम कर सकता है। क्योकि कुर्सी के भूखे कांग्रेस और वामपंथी इतिहासकारों ने भारत के गौरवविंत इतिहास को तोड़मरोड़ कर आतताई मुगलों के इतिहास को इस तरह प्रस्तुत किया, भारतीय जनता उसी को अपना वास्तविक इतिहास मानने लगे। यह भारतवासियो का दुर्भाग्य है कि अपने वास्तविक इतिहास से शिक्षित होते हुए भी अशिक्षित हैं। वास्तविक इतिहास की बात करने वालों को साम्प्रदायिक, फिरकापरस्त और शांति का दुश्मन आदि नामों से सम्बोधित किया जाता है। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मानव संसाधन केन्द्रीय मंत्री डॉ मुरली मनोहर जोशी ने जब देश के वास्तविक इतिहास को उजागर करने का प्रयास किया जा रहा था, तुष्टिकरण पुजारियों ने मुगलाई इतिहास पर हमला होता देख, "इतिहास का भगवाकरण कर भारत के इतिहास से छेड़छाड़ की जा रही है", का शोर मचाकर तत्कालीन प्रधानमंत्री पर दबाव बनाना शुरू कर दिया, जिस कारण डॉ जोशी को अपने कदम पीछे हटाने को मजबूर होना पड़ा था।

क्या कहीं ऐसा होता है कि देश की जनता को अपने ही वास्तविक इतिहास से अज्ञान रख, हमलावरों के इतिहास को बड़ा-चढ़ाकर पढ़ाया जाए? लेकिन यह विश्व में कहीं और नहीं, केवल भारत में ही सम्भव हो सकता है, जहाँ नेताओं को देश से अधिक अपनी कुर्सी और तिजोरी की चिन्ता रहती है। 80 के दशक में स्वतन्त्र पत्रकारिता करते शीर्षक "अनारकली कौन थी?" जिसे कई समाचार-पत्रों ने अपने फिल्म पृष्ठ पर बड़ी प्रमुखता से प्रकाशित किया था और फिल्म साप्तहिक Screen ने अंग्रेजी में "Was Anarkali A Myth?" इस लेख का इतना प्रभाव पड़ा कि मेरे स्कूल के दौरान प्रदर्शित फिल्में 'अनारकली' और 'मुग़ल-ए-आज़म' के निर्माताओं को प्रदर्शन के कई वर्षों उपरान्त फिल्म के अंत में "फिल्म का इतिहास से कोई मतलब नहीं" देना पड़ा था।
सैनी ने कहा, 'वह(अकबर) औरतों के कपड़ों में मीना बाजार जाता था और वहां दुष्कर्म करता था।बीकानेर की रानी किरन देवी के साथ अकबर ने दुर्व्यवहार किया था।' उन्होंने कहा, 'दुर्व्यवहार करने पर रानी ने सम्राट के गले पर तलवार रख दी थी और अकबर को अपने जीवन के लिए रानी से भीख मांगनी पड़ी थी।' कांग्रेस ने सैनी के इस बयान को समाज में तनाव पैदा करने वाला और इतिहास को विकृत करने वाला बताया है। सैनी ने यह बयान भाजपा के मुख्यालय में महाराणा प्रताप की जयंती के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम के बाद दिया।
यह कटु सत्य है कि जब अकबर ने अपने जीवन की भीख माँगी थी।
भास्कर न्यूज़ के अनुसार इतिहास के विशेषज्ञ राजेंद्र राठौर बताते हैं, शुरुआत में अकबर को भारत में हुकूमत करने के लिए हिंदुओं को साथ में रखना मजबूरी थी। लेकिन बाद में फतेहपुर सीकरी के इबादत खाने में अलग-अलग धर्मों के आचार्य और संत−महात्माओं के साथ बातचीत करते रहने से अकबर के धार्मिक विचारों में बड़ी क्रांति हुई। उस समय हिंदू और मुसलमानों में धार्मिक मतभेद भी बढ़ने लगे थे, तो अकबर ने नए धर्म के बारे में सोचा। इसके अलावा अबुलफजल के अकबरनामा के मुताबिक, अकबर ने कहा था कि जितने धर्म होंगे उतने ही दल होंगे। ऐसे में आपस में शत्रुता होती है। इसलिए सभी धर्मों का समन्वय जरूरत है। इससे ईश्वर के प्रति आदर बढ़ेगा और लोगों में शांति रहेगी।
अकबर ने सर्वधर्म समन्वय का रास्ता पकड़ा, जिसे ‘सुलह कुल’ कहा गया। इसी को आगे बढ़ाकर उसने 40 साल की उम्र में साल 1582 में दीन-ए-इलाही बनाया।
मुग़ल शासको के कितने भी गुणगान कर लो लेकिन भारत में जितने भी मुग़ल आये उन्होंने अपनी नीचता दिखाने में कसर नहीं छोड़ी।
भारत में स्त्रियों का सबसे ज्यादा शोषण मुग़ल के आने के बाद ही शुरू हुआ। मुग़ल शासन काल से पर्दाप्रथा, जौहर, वैश्यावृति, शारीरिक शोषण ने जोर पकड़ा। इनमें महान अकबर भी किसी से पीछे नहीं था।
![]() |
इस वीरांगना के इस साहसिक कदम ने मीना बाजार बन्द करवाया था |
*सिर्फ 22 साल की उम्र में अकबर पूरी तरह से वासना लिप्त हो चुका था. शाह अबुल माली और मिर्जा शैफुदीन हुसैन के घर की स्त्रियाँ भी अकबर की वासना की बलि चढ़ चुकी थीं।
*अकबर ने आगरा और अन्य जगह के लगभग 15-20 परिवारों की स्त्रियों को अपने हरम में लाना चाहता था। जिसके बाद आगरा के मुख्य मुसलमान दरबारियों में गुप्त बैठक बुलाई गई और अकबर की हत्या करने की योजना तैयार की गई थी। लेकिन अकबर को मार पाना इतना आसान नहीं था।
*अकबर के इस वासना कुकर्म और उसके ऐयाशी से उसकी प्रजा भी काफी नाराज़ थी। अकबर के परिवार की औरतें और रिश्तेदार भी अकबर से और अकबर का मीना बाज़ार से नफरत करते थे। परिवार के सदस्यों ने अकबर को मारने के लिए तीर कमान तक सीखना शुरू कर दिया था, क्योकि अकबर को पास रहकर मार पाना असम्भव था।
*1564 में अकबर द्वारा औलिया दरगाह पर दर्शन का आयोजन कराया गया था, जहाँ मदरसे से नीचे आते वक़्त अकबर पर तीर कमान चलना शुरू हो गया। अंगरक्षकों ने अकबर की जान बचाई और दिल्ली महल में लेकर आये। खून से लथपथ अकबर का इलाज लगभग दस दिनों तक चला था।
*इस मौत के डर ने अकबर को झकझोर दिया। जिसके बाद अकबर ने दुसरो की पत्नियों को छीनकर हरम में लाना बंद किया था।
*लेकिन अकबर का मीना बाज़ार चलता था। मीना बाजार के बहाने औरतों को बुलाकर उनकी इज्ज़त लूटने का सिलसिला चल ही रहा था। इस मीना बाज़ार की आड़ में अकबर औरतों को बुलवाता और अपनी वासना शांत कर छोड़ देता था।
*अकबर औरतों को घुमने के बहाने मीना बाज़ार में लाता था और उनकी इज्ज़त लूटकर अपनी हवास पूरी करता था। यहाँ बड़े बड़े राजा और शासक की बहु बेटियों को बुलाकर उनको देखता और जो पसंद आ जाती उसकी इज्ज़त लूटता था।
ये था अकबर और अकबर का मीना बाज़ार – वैसे तो अकबर का इतिहास और जीवन नीचतापूर्ण और दरिंदगी से भरा हुआ था, लेकिन पता नहीं क्यों भारत के इतिहास में अकबर को महान शासक कहा गया।
अकबर की महानता का गुणगान तो कई इतिहासकारों ने किया है लेकिन अकबर की औछी हरकतों का वर्णन बहुत कम इतिहासकारों ने किया है
अकबर अपने गंदे इरादों से प्रतिवर्ष दिल्ली में नौरोज का मेला आयोजित करवाता था जिसमें पुरुषों का प्रवेश निषेध था अकबर इस मेले में महिला की वेष-भूषा में जाता था और जो महिला उसे मंत्र मुग्ध कर देती थी उसे दासियाँ छल कपटवश अकबर के सम्मुख ले जाती थी एक दिन नौरोज के मेले में महाराणा प्रताप की भतीजी छोटे भाई महाराज शक्तिसिंह की पुत्री मेले की सजावट देखने के लिए आई जिनका नाम बाईसा किरणदेवी था जिनका विवाह बीकानेर के पृथ्वीराज जी से हुआ।
बाईसा किरणदेवी की सुंदरता को देखकर अकबर अपने आप पर काबू नही रख पाया और उसने बिना सोचे समझे दासियों के माध्यम से धोखे से जनाना महल में बुला लिया जैसे ही अकबर ने बाईसा किरणदेवी को स्पर्श करने की कोशिश की किरणदेवी ने कमर से कटार निकाली और अकबर को ऩीचे पटकर छाती पर पैर रखकर कटार गर्दन पर लगा दी और कहा नींच... नराधम तुझे पता नहीं मैं उन महाराणा प्रताप की भतीजी हुं जिनके नाम से तुझे नींद नहीं आती है बोल तेरी आखिरी इच्छा क्या है अकबर का खुन सुख गया कभी सोचा नहीं होगा कि सम्राट अकबर आज एक राजपूत बाईसा के चरणों में होगा अकबर बोला मुझे पहचानने में भूल हो गई मुझे माफ कर दो देवी तो किरण देवी ने कहा कि आज के बाद दिल्ली में नौरोज का मेला नहीं लगेगा और किसी भी नारी को परेशान नहीं करेगा अकबर ने हाथ जोड़कर कहा आज के बाद कभी मेला नहीं लगेगा उस दिन के बाद कभी मेला नहीं लगा
इस घटना का वर्णन गिरधर आसिया द्वारा रचित सगत रासो मे 632 पृष्ठ संख्या पर दिया गया है बीकानेर संग्रहालय में लगी एक पेटिंग मे भी इस घटना को एक दोहे के माध्यम से बताया गया है
किरण सिंहणी सी चढी उर पर खींच कटार
भीख मांगता प्राण की अकबर हाथ पसार
धन्य है किरण बाईसा उनकी वीरता को कोटिशः प्रणाम !
इतना ही नहीं, दीने इलाही चलाने वाले अकबर ने किस तरह ज्वाला माता की जोत को बुझाने का दुस्साहस किया था।
विस्तार से निम्न लेखों में पढ़िए।
अवलोकन करें:-
Madan Lal Saini, Rajasthan BJP Chief in Jaipur: Akbar had set up Meena bazaar, women used to do all the work there, men weren't allowed. The way Akbar used to go there in disguise & do misdeeds, it is recorded in history. (6.6.19)
सैनी जैसे नेता ही इतिहास की सच्चाई जानते हुए भी जब पीछे राजनीतिक शब्दावली का इस्तेमाल करेंगे, इतिहासकार क्या करेंगे? सैनी साहब पलटी मारने से पूर्व सुरुचि प्रकाशन या संघ के इतिहास प्रकोष्ठ से ही पुस्तकें मंगवाकर अध्ययन कर लेते, पलटी मारकर आपने तो वास्तविक इतिहास को झूठलाने वालों को बल दे दिया। आपने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कार्यशैली से भी कुछ नहीं सीखा, प्रदेश को उनके कार्यों के बारे में क्या शिक्षित करोगे? मोदी जी कोई शब्द बोलने से पूर्व उसके भावार्थ और परिणाम को देख कर ही बोलते हैं। यदि लोकसभा आप जैसे नेताओं के भरोसे लड़ा जाए, भाजपा सत्ता में आ ही नहीं सकती। ये ये मोदी जी का ही परिश्रम है।
No comments:
Post a Comment