जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उस कश्मीरी व्यक्ति का आवेदन केंद्र को भेज दिया है, जिसमें उसने अपने बेटे को वापस भारत लाने का अनुरोध किया है! बताया गया कि, कश्मीर निवासी आदिल अहमद आतंकवादी संगठन आईएसआईएस में शामिल हो गया था और अब सीरिया में अमेरिकी सहयोगी बलों की हिरासत में है।
अधिकारियों ने जून 2 को बताया कि, आदिल अहमद ने अपनी एमबीए की पढ़ाई ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड से की थी। उसने इस साल की शुरुआत में सीरिया में आईएसआईएस के अन्य लड़ाकों के साथ अमेरिकी सहयोगी बलों द्वारा पकड़े जाने के बाद आत्मसमर्पण कर दिया था। अहमद 2013 में सीरिया गया था और अपने परिवार को सूचित किया था कि, वह वहां एक एनजीओ के साथ काम कर रहा है। उसके पिता फयाज अहमद एक ठेकेदार के तौर पर कार्य करते हैं और एक डिपार्टमेंटल स्टोर भी चलाते हैं।
अधिकारियों ने जून 2 को बताया कि, आदिल अहमद ने अपनी एमबीए की पढ़ाई ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड से की थी। उसने इस साल की शुरुआत में सीरिया में आईएसआईएस के अन्य लड़ाकों के साथ अमेरिकी सहयोगी बलों द्वारा पकड़े जाने के बाद आत्मसमर्पण कर दिया था। अहमद 2013 में सीरिया गया था और अपने परिवार को सूचित किया था कि, वह वहां एक एनजीओ के साथ काम कर रहा है। उसके पिता फयाज अहमद एक ठेकेदार के तौर पर कार्य करते हैं और एक डिपार्टमेंटल स्टोर भी चलाते हैं।
पिता को उम्मीद- मोदी सरकार करेगी मदद
फयाज को अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है कि, उनका बेटा इस खतरनाक आतंकवादी संगठन में शामिल हो गया है! वह अपने पुत्र की वापसी के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर भटक रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि, राजधानी देहली में नई सरकार आने के बाद चीजें (पुत्र को वापस लाने की दिशा में) आगे बढ़ेंगी !’
अधिकारियों ने बताया कि, फयाज अहमद की अर्जी आवश्यक कार्रवाई के लिए नई देहली में केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों को भेज दी गई है। एक अधिकारी ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा, ‘अगर आदिल को वापस लाया जाता है तो वह आईएसआईएस के कामकाज के तरीके और उनकी योजनाओं के बारे में बता सकता है !’
ऐसे में प्रश्न यह भी होता है कि जब बेटा अमेरिकी सहयोगी बलों की हिरासत में है, तब ही क्यों गुहार लगाई? जब विश्व किसी भी तरह के आतंकवाद के विरुद्ध एकजुट है, इस स्थिति में क्या भारत सरकार की माँग उचित होगी? और जब भारत सरकार इसे फाँसी देगी, यहाँ आतंकवाद समर्थक वकीलों और नेताओं का आधी रात को सुप्रीम कोर्ट के ताले खुलवाकर mercy petition फाइल कर देंगे। जेएनयू जैसे शिक्षण संस्थानों में "टुकड़े-टुकड़े गैंग" सक्रीय हो जाएगा। अमेरिका में ऐसा कोई गैंग साहस नहीं करेगा।
अवलोकन करें:-
अवलोकन करें:-
No comments:
Post a Comment