
नासाम्स को भारतीय शहरों को हवाई हमले से सुरक्षा देने वाले सिस्टम्स में सबसे आखिरी छतरी की तरह इस्तेमाल किया जाएगा.
भारत ने पिछले साल 5 अक्टूबर को रूस से हवाई सुरक्षा देने वाले S 400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम का सौदा किया था. इन सिस्टम्स के अगले साल तक भारत आने की उम्मीद है. S 400 की रेंज 5 किमी से लेकर 400 किमी तक है औऱ भारत इनकी कुल 5 रेजीमेंट्स ख़रीद रहा है. इन्हें चीन औऱ पाकिस्तान की सीमा पर हवाई हमले से बचाव के लिए तैनात किया जाएगा. भारत पिछले काफी लंबे समय से स्वदेशी मिसाइल ड़िफेंस सिस्टम बना रहा है.
इसमें एडवांसड एयर डिफेंस यानि AAD और पृथ्वी एयर डिफेंसयानि PAD शामिल हैं. एएडी किसी भी बैलेस्टिक या क्रूज़ मिसाइल को वायुमंडल में आने के बाद 30 किमी की ऊंचाई पर 4.5 मैक की रफ्तार से बरबाद कर सकता है. वहीं पीएडी वायुमंडल के बाहर यानि 80 किमी से ज्यादा ऊंचाई पर 5 मैक की रफ्तार से जाती है औऱ किसी भी रेंज की बैलेस्टिक मिसाइल को नष्ट कर देती है.
भारत की मिसाइल शील्ड में सबसे बाहर की छतरी होगी. वहीं सबसे आखिरी सुरक्षा के लिए स्वदेशी आकाश मिसाइल डिफेंस सिस्टम और इज़रायल को सहयोग से बनने वाला ज़मीन से फ़ायर करने वाला बराक मिसाइल डिफेंस सिस्टम होगा. भारत के दोनों पड़ोसी यानि पाकिस्तान औऱ चीन ने अपने मिसाइल हमले की धार को तेज़ किया है. चीन की डोंगफेंग सीरीज़ की मिसाइलें 14000 किमी तक है वहीं पाकिस्तान ने चीन औऱ उत्तर कोरिया के सहयोग से अबाबील, शाहीन, ग़ौरी, ग़ज़नवी और बाबर बैलेस्टिक और क्रूज़ मिसाइलें बनाई है जिनकी रेंज 300 किमी से लेकर 3000 किमी तक है.
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