अलगाववादी घाटी में युवकों से फेंकवाते हैं पत्थर, लेकिन अपने 220 बच्चों को विदेशों में रखे हैं सुरक्षित

Separatists leaders hypocrisy exposed
आर.बी.एल.निगम,वरिष्ठ पत्रकार 
80 के दशक में स्वतन्त्र पत्रकारिता करते दिल्ली के मुस्लिम बहुत क्षेत्र के एक जाने-माने तत्कालीन जनता पार्टी के मुस्लिम नेता से दंगों पर उनसे प्रश्न किया था जब भी दंगा होता तो दंगा प्रभावित क्षेत्र में रह रहे नेताओं के परिवार के किसी पक्षी तक को चोट नहीं आती, लेकिन दंगे में हमेशा आम नागरिक मरता है, जख्मी होता है, क्यों? अक्सर अपने लेखो में जनजागृति लाने के लिए इन प्रश्नों को उजागर करता रहा हूँ, लेकिन फिरकापरस्त आदि नामों से अलंकृत किया जाता रहा। लेकिन ख़ुशी इस बात से है कि आज वही बातें उजागर हो रही हैं। 
यही बात कुछ दिन पूर्व पुरानी दिल्ली के लाल कुआँ में हुए साम्प्रदायिक दंगे पर लिखे एक लेख में भी स्पष्ट लिखा है कि "जो लोग यह कहते हैं की बाहरी लोगों ने हमारे वर्षों पुराने भाईचारे को कलंकित कर दिया। ऐसा कहने वालों को अगर रिमांड पर लेना पड़े, रिमांड पर लेकर उन बाहरी लोगों के दलालों के ठिकाने पूछे जाएं ताकि बाहरी लोगों की आड़ लेकर साम्प्रदायिकता का नंगा नाच खेलने में आम जनमानस का कोई नुकसान न होने पाए।"
वही बात कश्मीर के अलगाववादियों की है, जो अपने बच्चों को तो कश्मीर से दूर विदेशों में रख, निर्दोष बच्चों के हाथ में पत्थर देकर, उनके भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। उनको देश की निगाह में अपराधी बना कर, अपने बच्चों को होनहार और समृद्ध , यह कौन की सियासत है? 
कश्मीर के युवकों के हाथ पत्थर पकड़ाने वाले और उन्हें गुमराह करने वाले अलगाववादी नेताओं एवं उनके समर्थकों को गृह मंत्री अमित शाह ने बेनकाब किया है। गृह मंत्री ने उनकी असलियत देश और दुनिया के सामने रखी है। गृह मंत्री ने बताया है कि ये अलगाववादी नेता घाटी के बच्चों से पत्थर फेंकवाते हैं लेकिन अपने बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेज देते हैं। गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक घाटी के 112 अलगाववादी नेताओं एवं उनसे सहानुभूति रखने वालों के कम से कम 220 बच्चे विदेशों में रच-बस गए हैं। गृह मंत्री के इस खुलासे से कश्मीर के युवाओं का भविष्य चौपट करने वाले इन अलगाववादियों की पोल खुल गई है कि ये अपने बच्चों का भविष्य बनाने के लिए उनकी अच्छी तालीम की व्यवस्था करते हैं लेकिन अपने फायदे के लिए वे घाटी के युवाओं को बरगलाने और उन्हें हिंसा की राह पर धकेलने से गुरेज नहीं करते।
संसद में जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन छह महीने और बढ़ाने का प्रस्ताव रखते हुए गृह मंत्री ने पिछले सप्ताह इन अलगाववादियों का 'पोल-खोल अभियान' शुरू किया। आने वाले दिनों में इन अलगाववादी नेताओं की असलियत के बारे में और खुलासा हो सकता है। संसद में शाह ने घाटी के 130 हुर्रियत नेताओं का लेखा-जोखा पेश किया। उन्होंने बताया कि इन 130 अलगाववादी नेताओं ने उच्च शिक्षा दिलाने के लिए अपने बच्चों को विदेश भेजा है जबकि ये घाटी के आम नागरिकों के बच्चों को सुरक्षाबलों के साथ टकराव और उन पर पत्थर फेंकने के लिए उकसाते हैं। 
Separatist leaders of Jammu Kashmir
Separatist leaders of Jammu Kashmirगृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि तहरीक-ए-हुर्रियत के चेयरमैन अशरफ सेहराई के दो बेटे खालिद और आबिद अहरफ सऊदी अरब में रहते हैं और ये दोनों वहीं बस गए हैं। जबकि जमात-ए-इस्लामी के अध्यक्ष गुलाम मोहम्मद भट्ट का बेटा सऊदी अरब में डॉक्टर है। वहीं, दुख्तरन-ए-मिल्लत की आसिया अंद्राबी के दोनों बेटे विदेश में पढ़ाई कर रहे हैं। अंद्राबी का एक बेटा मोहम्मद बिन कासिम मलेशिया में और दूसरा बेटा अहमद बिन कासिम ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई कर रहा है। 
हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी के बेटे नीलम गिलानी ने हाल ही में पाकिस्तान में अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की है। हुर्रियत नेता मीरवाइज की बहन राबिया फारूक पेशे से डॉक्टर है और वह अमेरिका में रहती है। जबकि बिलाल लोन की लड़की और दामाद लंदन में रच-बस गए हैं। लोन की छोटी लड़की ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई कर रही है। मुस्लिम लीग के नेताओं मोहम्मद यूसुफ मीर और फारूक गटपुरी की बेटियां पाकिस्तान में मेडिकल की पढ़ाई कर रही हैं। इसके अलावा डेमोक्रेटिक पॉलिटिकल मूवमेंट के नेता ख्वाजा फरदौस वानी की लड़की भी पाकिस्तान में मेडिकल की छात्रा है। वाहिदत-ए-इस्लामी के नेता निसार हुसैन की बेटी ईरान में काम करती है और वहीं अपने पति के साथ बस गई है।
घाटी के अलगाववादी नेता अपने अपने सियासी लाभ के लिए कश्मीर के स्थानीय युवकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इन युवकों के भविष्य की चिंता यदि उन्हें रहती तो वे इनके हाथों में पत्थर नहीं पकड़ाते बल्कि अपने बच्चों की तरह उन्हें शिक्षा के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करते। गृह मंत्री ने अब इनकी पोल-खोल दी है। संसद में गृह मंत्री ने कहा, 'हम कश्मीर के लोगों का दिल जीतेंगे...और वे हमें अपनाएंगे।' भारत के खिलाफ गतिविधियों में संलिप्त लोगों को नसीहत देते हुए गृह मंत्री ने कहा, 'भारत के खिलाफ काम करने वाले लोगों को उन्हीं की भाषा में उचित जवाब दिया जाएगा।' 
शाह ने इस मौके पर कश्मीर के प्रति सरकार की नीति 'जम्हूरियत, इंसानियत, कश्मीरियत' का जिक्र किया लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इसका मतलब यह नहीं है कि जो ताकतें भारत को बांटना चाहती हैं उन्हें बख्श दिया जाएगा। बता दें कि राज्यसभा ने सर्वसम्मति से जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन छह महीने बढ़ाने के प्रस्ताव एवं जम्मू-कश्मीर (आरक्षण) संसोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है।

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