
सीमा पार से बड़े आतंकी हमले की रची जा रही है साजिश : सूत्र
केंद्र सरकार ने राज्य में 10 हजार अतिरिक्त जवानों की तैनाती की है। यह तैनाती अजीत डोभाल के जम्मू-कश्मीर के दो दिन के दौरे से लौटने के बाद लिया गया। सूत्रों के अनुसार अपने दौरे के दौरान अजीत डोभाल ने राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कानून व्यवस्था को लेकर बैठक की थी। वहीं, जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजी दिलबाग सिंह ने बताया कि वह पहले से ही उत्तरी कश्मीर में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की मांग करते रहे हैं।अतिरिक्त जवानों की तैनाती उनके आग्रह के बाद ही हुई है। उधर, गृहमंत्रालय द्वारा जारी किए गए ऑर्डर में कहा गया है कि अतिरिक्त जवानों की तैनाती इसलिए की जा रही है ताकि राज्य में कानून-व्यवस्था बेहतर की जा सके।वहीं कुछ सूत्रों का यह भी कहना है कि जम्मू एवं कश्मीर में लागू विवादास्पद अनुच्छेद-35ए को हटाने की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। सूत्रों ने कहा, "इस बड़ी आकस्मिक योजना में हर प्रकार की छोटी-छोटी चीजों पर ध्यान रखा जा रहा है। कानून और व्यवस्था की स्थिति कैसे काम करेगी, खुलकर सामने रहने वालों से लेकर भूमिगत रहने वाले अलगाववादी कैडर की प्रतिक्रिया और मुख्यधारा के राजनीतिक नेतृत्व की प्रतिक्रिया भी इसमें शामिल है।" सूत्रों की ओर से बताया गया, "यह स्पष्ट है कि इस अवसर के लिए कोई भी संभावना नहीं छोड़ी जा रही है। आदेश स्पष्ट प्रतीत होते हैं. अनुच्छेद-35ए के उन्मूलन का विरोध करने के लिए एक सार्वजनिक आक्रोश की आड़ में हिंसा और राष्ट्र विरोधी तत्वों द्वारा शांति को बाधित करने का प्रयास हो सकता है। इसे नियंत्रित किया जाएगा, ताकि आम आदमी को कम से कम असुविधा हो।"
सीएपीएफ को ले जाने वाले विशेष विमान पिछले तीन दिनों के दौरान श्रीनगर हवाईअड्डे पर उतरे हैं, जबकि इन बलों की अतिरिक्त कंपनियों को ले जाने वाले काफिले जम्मू एवं श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के माध्यम से घाटी में पहुंच रहे हैं। वर्तमान में घाटी में चल रही अमरनाथ यात्रा एवं अन्य सुरक्षा कारणों से सीएपीएफ की 450 कंपनियों में शामिल 40 हजार सैनिक पहले से ही तैनात हैं। इस संख्या में काउंटर इंसर्जेसी (विद्रोह) राष्ट्रीय राइफल्स की ताकत शामिल नहीं है, जो हिंडलैंड में आतंकवाद-रोधी अभियानों को अंजाम देती है और कठिन परिस्थितियों में राज्य पुलिस और सीएपीएफ को सहायता प्रदान करती है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हालांकि एक आदेश जारी करते हुए कहा है कि सेना 'काउंटर इंसर्जेट ग्रिड' को मजबूत करने और घाटी में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए होगी।
वहीं जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कहा कि जवानों को उत्तरी कश्मीर में तैनात किया जाएगा जहां सुरक्षा की स्थिति अभी भी है एक चुनौती बनी हुई है। जानकार सूत्रों का कहना है कि ऐसे तत्व, जो सार्वजनिक रूप से उत्पात मचाने की कोशिश कर सकते हैं, उनकी सूची पहले ही तैयार की जा चुकी है। सूत्रों ने कहा, "इन राष्ट्रविरोधी और असामाजिक तत्वों को प्रतिबंधात्मक हिरासत में लिया जाएगा, ताकि उन्हें उपद्रव करने से रोका जा सके।" दिलचस्प बात यह है कि राज्य और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों द्वारा तैयार किए गए राष्ट्र-विरोधी और असामाजिक तत्वों की सूची अलगाववादी कैडरों तक ही सीमित नहीं है। सूत्रों ने कहा, "अपने पैरों के नीचे से राजनीतिक जमीन खिसकते हुए देख रहे कुछ स्थानीय राजनेता भी रडार पर हैं, ताकि वे संभावित स्थिति से राजनीतिक लाभ न ले सकें।"
वहीं जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने केंद्र के फैसले की आलोचना करते हुये कहा कि यह एक 'राजनीतिक समस्या' है, जिसे सैन्य तरीकों से हल नहीं किया जा सकता है। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा ने कहा कि केंद्र को अपनी कश्मीर नीति पर पुनर्विचार और उसे दुरुस्त करना होगा। महबूबा ने ट्वीट कर कहा, ‘घाटी में अतिरिक्त 10,000 सैनिकों को तैनात करने के केंद्र के फैसले ने लोगों में भय पैदा कर दिया है। कश्मीर में सुरक्षा बलों की कोई कमी नहीं है।
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