बॉलीवुड में मॉब लिंचिंग आदि के नाम पर झूठ फैलाने वाला गैंग बहुत पुराना है


इस अध्याय में नामचीन
अभिनेताओं
का उल्लेख होने के कारण
किसी ने विमोचन करने का
साहस नहीं किया था। 
 आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
आज जिस प्रकार बॉलीवुड के कुछ लोग #mob lynching,  #intolerance तो कभी #metoo आदि गैंग देश का सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं, यह कोई नयी बात नहीं, यह गैंग एक लम्बे समय से सक्रीय हैं, जिसको कभी गंभीरता से नहीं लिया गया, जितना की आज लिया जा रहा है। 80 के दशक में स्वतन्त्र पत्रकारिता करते एक लेख शीर्षक "राजनीति में अभिनेताओं का दखल" में उस समय के कुछ अभिनेताओं का नेताओं से गहरे सम्बन्ध होने के कारण देशद्रोही तत्वों का उल्लेख किया था, और उस लेख को कई समाचार-पत्र/पत्रिकाओं ने प्रमुखता से प्रकाशित भी किया था। कुछ समय उपरांत इस लेख को अपनी पुस्तक "भारतीय फिल्मोद्योग--एक विवेचन" में सम्मिलित किया। शुभचिन्तकों द्वारा पुस्तक सामग्री को देख किसी नेता से विमोचन करने की सलाह दी, जिसे स्वीकारते अनेक प्रयत्न किए, लेकिन अफ़सोस इस अध्याय के कारण किसे ने साहस नहीं किया। 
इस लेख को पुस्तक में डालते समय ही शंका हो रही कि "कहीं इस लेख के कारण कोई विवाद न हो जाए?" कई प्रकाशकों से चर्चा करने उपरान्त सभी का एक ही मत था कि लेख के अंत में लिख दो, "सर्वाधिक प्रकाशित लेख" अगर कोई विवाद हुआ था, तो कोर्ट में समाचार-पत्र/पत्रिकाओं की कटिंग पेश करने पर मुकदमा आपके हक़ में हो जाएगा, क्योकि लेख को प्रकाशित हुए, तीन वर्ष से अधिक समय हो चूका है।  
उस समय देश में कांग्रेस का बोलबाला था, और कोई कांग्रेस से इस विषय में टक्कर लेने को तैयार नहीं था, क्योकि लेख में जिन अभिनेताओं का उल्लेख था, उनका कांग्रेस से घनिष्ठ सम्बन्ध थे। लेकिन दिल को संतोष उस समय मिला, जब दक्षिण के बहुचर्चित अभिनेता डॉ राजकुमार को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार घोषित किए जाने पर, पुरस्कार वितरण से मात्र एक दिन पूर्व बॉलीवुड के उस अभिनेता का नाम एकदम घोषित करने पर, लगभग हे राष्ट्रीय समाचार-पत्र ने उस अभिनेता का विरोध करते उन्हीं मुद्दों को प्रकाशित किया जिनका मैंने अपने लेख में उल्लेख किया था। वह अभिनेता आज अपने जीवन की अन्तिम साँसे गिन रहा है। इसमें दो राय नहीं, कि इस अभिनेता ने फिल्म जगत को कई सफल फिल्में दी हैं।
उस समय किसी भी अभिनेता अथवा नेता ने सड़क पर आ आकर उस तरह विरोध नहीं किया, जिस प्रकार आज विरोध हो रहा है। शायद फिल्म जगत में उस समय इतनी इच्छाशक्ति और राष्ट्रप्रेम न हो, जितना की आज उमड़ रहा है। ऐसा भी नहीं है कि विरोध नहीं हुआ, जो विरोध हुआ केवल ऊंट के मुँह जीरे के समान। यदि उस समय फिल्म जगत ने घोर विरोध किया होता, शायद आज कोई #mob lynching, #not in my name, #metoo तो कभी "करवा चौथ पर मै क्यों भूखी रहूं?", "शिव पर दूध चढ़ाने की बजाए किसी भूखे बच्चे को दूध पिलाओ", "मन्दिरों में पैसे चढ़ाने की बजाए किसी गरीब को पैसे दो, ताकि रोटी खा सके", "होली पर पानी की बर्बादी", "दिवाली पर आतिशबाज़ी छोड़ने से प्रदुषण ख़राब होता है", आदि आदि गैंग हरकत में आता रहता है। 
तारीख थी 1 मई 2006 सुबह का अखबार उठाया तो दहल गया,अखबार में ये तस्वीर छपी थी,खबर थी कि 30 अप्रैल 2006 में कश्मीर के डोडा में 35 हिन्दुओ को मुसलमान आतंकवादियों ने लाइन में खड़ा करके गोलियों से भून दिया था,बिलकुल ISIS के अंदाज में इन 35 हिन्दुओ में 1 बच्ची भी शामिल थी जिसकी उम्र मात्र 3 साल थी.
उस हत्याकांड की ये तस्वीर हर उस शख्स के चेहरे पे तमाचा है जो झूठे मॉब लिंचिंग समस्या में धार्मिक एंगल देते है,मैं हर उस हिंदुस्तानी को यह बात याद दिलाना चाहता हूं जो भूल चुका है कि 2014 के पहले कश्मीर में क्या क्या हो रहा था.
आपको जानना चाहिए कि -
1)उस समय शासन में कौन था ?
2)उस समय राहुल किस पद पर था ?
3)उस समय मोमबत्तियां के भाव क्या थे?
4)उस समय बालीवुड किसके साथ थे?
5)देश के गृह मंत्री शिवराज पाटिल की क्या भूमिका थी?
आपकीं जानकारी के लिए क्योंकि मरने वाले हिन्दू थे
और मारने वाले वहां के स्थानीय मुसलमान आतंकवादी इसलिए आज तक कोई हत्यारा आतंकवादी पकड़ा नहीं गया उस समय की मनमोहन सिंह की कांग्रेस सरकार ने धृष्टता की सीमाएं पर करते हुए कश्मीर और डोडा आदि जिलों से सेना को हटाने का घृणित काम शुरू किया.
क्योंकि हिन्दू का अपने ही देश में कोई मानवाधिकार नहीं होता इसलिए किसी ने इस विशुद्ध धर्म के आधार पर हुए नरसंहार को लेकर मोमबत्तियां नही जलाई,किसी को अपने हिंदुस्तानी होने ओर शर्म नही आई,किसी 2 टके के बॉलीवुडने पोस्टर पकड़कर फोटो नहीं खिंचवाई,या किसी ने साइन कर लेटर भी भेजा नही,तो आज फर्जी खबरों के आधार एवं सलेक्टेट issu पर बात का बतंगड़ बनाने से पहले इन्ही लोगों को इतिहास याद दिला रहा हु.   
कला, फिल्म, साहित्य, संगीत, समाजसेवा क्षेत्र से जुडी 62 हस्तियों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार के समर्थन में खुला पत्र लिखा है। इन लोगों ने इस पत्र के माध्यम से दो दिन पहले 49 हस्तियों द्वारा मोदी सरकार के विरोध में लिखे गए पत्र को खारिज कर दिया है। 
इन 62 हस्तियों का कहना है कि महज क्षुद्र राजनीति के कारण कुछ लोग मोदी सरकार के खिलाफ मॉब लिंचिंग के नाम पर झूठ फैला रहे हैं। इस खुले खत को जारी करने वालों में जानेमाने गीतकार प्रसून जोशी, फिल्म अभिनेत्री कंगना रानौत फिल्म निर्देशक मधुर भंडारकर समेत कई प्रख्यात लोगों के नाम शामिल हैं।
फिल्म अभिनेत्री अपर्णा सेन, कोंकणा सेन शर्मा, रामचंद्र गुहा, अनुराग कश्यप, शुभा मुद्गल जैसे अलग-अलग क्षेत्र के दिग्गजों ने बीते दिनों जय श्रीराम के नारे और मॉब लिंचिंग पर पीएम मोदी को पत्र लिखा था। इस पत्र में दलित, मुस्लिम और दूसरे कमजोर तबकों की मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की गई थी और मोदी सरकार को देश का माहौल खराब करने के लिए जिम्मेदार बताया गया था।
View image on Twitterअब गीतकार प्रसून जोशी, फिल्म अभिनेत्री कंगना रानौत, फिल्म निर्देशक मधुर भंडारकर और विवेक अग्निहोत्री, शास्त्रीय नृत्यांगना सोनल मानसिंह, मोहनवीणा वादक पंडित विश्व मोहन भट्ट ने खुला पत्र जारी किया है। इस खुले पत्र की शुरुआत में ही 23 जुलाई को 49 हस्तियों के लिखे गए पत्र को हतप्रभ करने वाला करार दिया गया है। साथ ही आरोप लगाया गया है कि राष्ट्र के स्वघोषित नैतिकतावादी और रखवालों ने पक्षपाती चिंता जाहिर कर राजनीति से प्रेरित पक्ष लिखा है। इस ओपन लैटर में आरोप लगाया गया है कि पहले लिखे पत्र का मकसद लोकतांत्रिक परिपाटी और बतौर राष्ट्रीय सामूहिकता के सिद्धांत को चोट पहुंचाना था। साथ ही कहा गया है कि ये वे लोग हैं जो टुकड़े टुकड़े गैंग पर चुप्पी साधे रहते हैं।
62 हस्तियों के पत्र पर सोशल मीडिया पर लोगों ने जबरदस्त प्रतिक्रिया दी है।
During election too, ~250 unknown celebrities started propaganda against Modiji and then ~750 celebrities (mostly A-lister) came in support of Modiji. These cannot have freehand now.
Thank you for exposing the 49 intellectuals whose heart only Beats for the Minorities.


The 61 personalities who have written an open letter against 'selective outrage and false narratives'.




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टुकड़े टुकड़े गैंग के नहले पर @narendramodi जी का दहला 😀😀

अब सेक्युलरिज्म खतरे में आ जायेगा देश का, आखिर इन्टॉलरेंस बढ़ गयी है मोदी सरकार आने के बाद।
उससे पहले तो कुछ भी असमान्य नहीं था।  
TMC समर्थक तन्वी दास ने जय श्री राम के नाम को बताया आतंक का नाम LIVE शो में एंकर @SushantBsinha को आया गुस्सा

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