मन्थन : क्या 50 वर्ष से अधिक आयु के नेता को वोट देना चाहिए?

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साभार 
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
सरकार ने फरमान जारी किया है कि 50 साल से अधिक उम्र के कर्मचारियों को कार्य कुशलता की समीक्षा के आधार पर जबरन रिटायर किया जाएगा। बहुत ही प्रशंसनीय फरमान है। समस्त देश को इसका स्वागत करना भी चाहिए। लगभग चार दशक पूर्व रिटायरमेंट आयु 52 वर्ष थी, वेतनभोगी के वोट सुरक्षित करने वही आयु 58 वर्ष कर दी, लेकिन सरकार की कार्यशैली में कोई बदलाव नहीं होने से जनता में बढ़ते रोष के कारण सरकारी और गैर-सरकारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट आयु सीमा को बढ़ाकर 60 कर दी गयी थी। इसलिए आओ सब भारतवासी प्रण करें कि पंचायत से लेकर लोकसभा तक ऐसे किसी नेता को वोट देकर नहीं चुनेंगे, जो 50 वर्ष से अधिक उम्र के हों, ताकि देश की कार्य कुशलता प्रभावित न हो और मेरा भारत और महान बन सके और निम्न कानून भी अनिवार्य रूप से सभी पर लागू हो?
1- नेताओं को भी पचास साल की उम्र में रिटायर कर दिया जाए, क्यों 50+ को टिकट दिया जाए?
2- क्यों नहीं, नेताओं को भी पुरानी पेंशन से वंचित किया जाय और NPS(no pension scheme) लागू की जाए? देखिए, यदि कोई पार्षद विधायक बन जाता है, तो उसे पार्षद और विधायक दोनों पेंशन और यदि सांसद बन गया तो तीनों सदनों की पेंशन, क्यों? क्यों जनसेवा के नाम पर प्रति माह करोडो रूपए पेंशन के नाम पर लूट रहे हैं। तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी ने राजे-रजवाड़ों का प्रिवीपर्स के नाम पर हर माह खर्च होने वाले करोड़ों बचाने के लिए उसे बंद किया था, फिर जनसेवा के नाम पर निर्वाचित सदस्यों को पेंशन और अन्य सुविधाएं क्यों? यानि निर्वाचित सदस्य राजे-रजवाड़ों से अधिक बड़े हैं क्या?
3- क्यों नहीं, नेताओं को विधानसभा सदस्य बनने के लिए स्नातक व लोकसभा सदस्य बनने के लिए परास्नातक होना अनिवार्य किया जाय?
4- क्यों नहीं कानून मंत्री बनने के लिए LAW की डिग्री अनिवार्य हो,
5- स्वास्थ्य मंत्री बनने के लिये MBBS की डिग्री अनिवार्य हो।
6- समाज कल्याण के लिए समाजशास्त्र की डिग्री अनिवार्य हो।
7- मानव संसाधन के लिए M.Ed. की डिग्री अनिवार्य हो।
8- वित्त मंत्री को अर्थशास्त्री होना अनिवार्य हो, इसी प्रकार सभी मंत्रीयों की योग्यता का मानक निर्धारित किया जाए।
9- क्यों नहीं फ्री का डीजल, पेट्रोल, फोन की सुविधा, हवाई सुविधा, रेल सुविधा, बिजली और पानी सहित तमाम सुविधाओं में जिसमें प्रतिवर्ष अरबों रूपये खर्च होता हैं उसमें कटौती की जाए।
10- क्यों नहीं सभी नेताओं के खाते सार्वजनिक किए जाएं।
11- क्यों नहीं नेताओं की पुरानी पेंशन, मोटी तनख्वाह, सब्सिडी द्वारा भोजन बंद किया जाए जिस पर सरकार प्रतिवर्ष अरबों रूपये पानी की तरह खर्च करती हैं।
12- क्यों नहीं नेताओं के पद से हटने के बाद फ्री मेडिकल सुविधा बंद किया जाए जिस पर देश का करोड़ों रूपये नुकसान होता हैं।
13- क्या 50 साल का कर्मचारी बूढ़ा और 50 साल का नेता जवान होता हैं? यह कौन सा मानक हैं? नेताओं के पास राहु व केतु वाला अमृत कलश है क्या? जिससें यह पचास की उम्र में युवा नेता हो जाते हैं?
जब स्वयं की तनख्वाह लाखों में करते हैं तो कोई भी नेता विरोध नहीं करता सभी मिलकर मेज थपथपा देते हैं। क्या देश पर आप की तनख्वाह की बेतहाशा वृद्धि से अरबों रूपये का भार नहीं पडता? 

14- लगभग चार दशक पूर्व तक संघ सेवा आयोग(UPSC) के माध्यम से सरकारी नौकरियाँ मिलती थी, फिर SSC के माध्यम से और अब होती है BASIC के माध्यम से कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर। इसमें भी देखिए तमाशा, वेतन निश्चित होता है 17,000 प्रति माह, लेकिन कर्मचारी को मिलते हैं 13500, इसमें से 500 रूपए कट गए भविष्य निधि खाते में, यानि कर्मचारी को मिले मात्र 13000 रूपए, आखिर किस आधार पर प्रति माह 3500 रूपए किस आधार पर कम दिए जा रहे हैं? कर्मचारी के हस्ताक्षर उसी 17000 पर होते हैं, अब इस कमी को पूरा करने के लिए कर्मचारी रिश्वत नहीं लेगा तो क्या करेगा। 
15- वर्तमान सरकार में ही 50+ अनेक मंत्री हैं, दो-एक तो आराम से चल भी नहीं पाते।  
16- पिछली सरकारों की भाँति वर्तमान सरकार भी भारतीयता और राष्ट्रीयता की बात जरूर जरूर कर रही, लेकिन वास्तविक इतिहास से जनता को भ्रम में रखे हैं। zee news से पूर्व महात्मा गाँधी की वास्तविकता कुछ वर्ष एक पाक्षिक को सम्पादित करते "गोडसे ने गाँधी को मारा क्यों" श्रंखला में किया था।   
गजब की सोच है आप नेताओं की जब कर्मचारियों, अधिकारियों, शिक्षकों को पचास वर्ष में हटाने पर विचार किया जा सकता है तो यह उपरोक्त बिन्दुओं पर विचार क्यों नहीं किया जा सकता है!

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