आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
कल (जुलाई 19) से कांग्रेस की महामंत्री बनी प्रियंका वाड्रा ने सोनभद्र मुद्दे पर जो हंगामा मचाया हुआ है, वह केवल जनता को भ्रमित कर उजागर हुई सच्चाई के प्रकाश को अंधकार में रखने की कांग्रेस की सोंची-समझी सियासत है। जनता जिस कांग्रेस को अपना हितैषी समझती थी, किस तरह उनके साथ छल कर रही थी, वह कुकर्म अब उजागर होने शुरू हो चुके हैं। उत्तर प्रदेश में समाजवादी और बहुजन समाजवादी ने कांग्रेस के दबाव में कभी इस ओर सोंचा ही नहीं। क्योकि कांग्रेस की तर्ज पर ये पार्टियाँ भी भूमि अधिक्रमण में व्यस्त रहे। आज़म खान का उदाहरण जगजाहिर है। वास्तव में इन पार्टियों ने कभी सपने में भी नहीं सोंचा था कि कभी कोई योगी आदित्यनाथ प्रदेश का मुख्यमंत्री बनेगा और पीछे हुए घोटालों को जगजाहिर कर देगा।
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जनपद में घोरावल कोतवाली क्षेत्र के ग्राम उभ्भा में जमीन विवाद को लेकर गत बुधवार 17 जुलाई को हुई दस लोगों की हत्या के मामले में जुलाई 19 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में कहा कि घटना के बाद विंध्यांचल मंडल मिर्जापुर के कमिश्नर व अपर पुलिस महानिदेशक वाराणसी जोन की दो सदस्यीय समिति से कराई गई जांच के अनुसार दोनों संबंधित पक्षों के बीच तीन माह से शांति भंग की आशंका बनी हुई थी।
इसी वर्ष 12 अप्रैल को इस संबंध में प्रेषित रिपोर्ट पर उप जिलाधिकारी घोरावल ने समुचित एवं प्रभावी कार्रवाई नहीं की। प्रभारी निरीक्षक थाना घोरावल, क्षेत्राधिकारी घोरावल और उप जिलाधिकारी घोरावल ने समस्या समाधान के लिए ठोस प्रयास नहीं किए। इसलिए दो सदस्यीय जांच समिति की सिफारिश के आधार पर ही इन्हें निलंबित करने का निर्णय लिया गया है।
योगी ने बताया कि यह प्रकरण वर्ष 1955 से चला आ रहा है। दोनों पक्षों के बीच कई मुकदमे राजस्व न्यायालय में चल रहे हैं। आपराधिक वाद भी लंबिंत हैं। पीड़ित पक्ष विवादित भूमि पर लंबे समय से कृषि कार्य करता आ रहा है। पूरे प्रकरण से जुड़े राजस्व अभिलेखों की जांच के लिए अपर मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है।
इसमें प्रमुख सचिव (श्रम) मुकेश चंद्रा और विंध्याचल मंडल मिर्जापुर के आयुक्त सदस्य होंगे। यह समिति राजस्व अभिलेखों की गहनता से जांच करेगी और पता लगाएगी कि भूमि के समय-समय पर नामांतरण (दाखिल-खारिज) में विधि के अनुसार कार्यवाही हुई अथवा नहीं। इसके आधार पर पूर्व के राजस्व अधिकारियों का भी उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाएगा।
साथ ही 17 जुलाई की घटना से पहले दोनों पक्षों के बीच दर्ज आपराधिक मामलों की कार्रवाई में लापरवाही की जांच कर उत्तरदायित्व तय करने के लिएअपर पुलिस अधीक्षक वाराणसी जोन को जांच सौंपी गई है।
कल (जुलाई 19) से कांग्रेस की महामंत्री बनी प्रियंका वाड्रा ने सोनभद्र मुद्दे पर जो हंगामा मचाया हुआ है, वह केवल जनता को भ्रमित कर उजागर हुई सच्चाई के प्रकाश को अंधकार में रखने की कांग्रेस की सोंची-समझी सियासत है। जनता जिस कांग्रेस को अपना हितैषी समझती थी, किस तरह उनके साथ छल कर रही थी, वह कुकर्म अब उजागर होने शुरू हो चुके हैं। उत्तर प्रदेश में समाजवादी और बहुजन समाजवादी ने कांग्रेस के दबाव में कभी इस ओर सोंचा ही नहीं। क्योकि कांग्रेस की तर्ज पर ये पार्टियाँ भी भूमि अधिक्रमण में व्यस्त रहे। आज़म खान का उदाहरण जगजाहिर है। वास्तव में इन पार्टियों ने कभी सपने में भी नहीं सोंचा था कि कभी कोई योगी आदित्यनाथ प्रदेश का मुख्यमंत्री बनेगा और पीछे हुए घोटालों को जगजाहिर कर देगा।
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जनपद में घोरावल कोतवाली क्षेत्र के ग्राम उभ्भा में जमीन विवाद को लेकर गत बुधवार 17 जुलाई को हुई दस लोगों की हत्या के मामले में जुलाई 19 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में कहा कि घटना के बाद विंध्यांचल मंडल मिर्जापुर के कमिश्नर व अपर पुलिस महानिदेशक वाराणसी जोन की दो सदस्यीय समिति से कराई गई जांच के अनुसार दोनों संबंधित पक्षों के बीच तीन माह से शांति भंग की आशंका बनी हुई थी।
इसी वर्ष 12 अप्रैल को इस संबंध में प्रेषित रिपोर्ट पर उप जिलाधिकारी घोरावल ने समुचित एवं प्रभावी कार्रवाई नहीं की। प्रभारी निरीक्षक थाना घोरावल, क्षेत्राधिकारी घोरावल और उप जिलाधिकारी घोरावल ने समस्या समाधान के लिए ठोस प्रयास नहीं किए। इसलिए दो सदस्यीय जांच समिति की सिफारिश के आधार पर ही इन्हें निलंबित करने का निर्णय लिया गया है।
योगी ने बताया कि यह प्रकरण वर्ष 1955 से चला आ रहा है। दोनों पक्षों के बीच कई मुकदमे राजस्व न्यायालय में चल रहे हैं। आपराधिक वाद भी लंबिंत हैं। पीड़ित पक्ष विवादित भूमि पर लंबे समय से कृषि कार्य करता आ रहा है। पूरे प्रकरण से जुड़े राजस्व अभिलेखों की जांच के लिए अपर मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है।
इसमें प्रमुख सचिव (श्रम) मुकेश चंद्रा और विंध्याचल मंडल मिर्जापुर के आयुक्त सदस्य होंगे। यह समिति राजस्व अभिलेखों की गहनता से जांच करेगी और पता लगाएगी कि भूमि के समय-समय पर नामांतरण (दाखिल-खारिज) में विधि के अनुसार कार्यवाही हुई अथवा नहीं। इसके आधार पर पूर्व के राजस्व अधिकारियों का भी उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाएगा।
साथ ही 17 जुलाई की घटना से पहले दोनों पक्षों के बीच दर्ज आपराधिक मामलों की कार्रवाई में लापरवाही की जांच कर उत्तरदायित्व तय करने के लिएअपर पुलिस अधीक्षक वाराणसी जोन को जांच सौंपी गई है।
कांग्रेस सरकार में 1955 में सोसायटी के नाम दर्ज की गई जमीन, आदेश संदिग्ध
मुख्यमंत्री ने बताया कि 17 दिसंबर 1955 को ग्राम उम्भा व सपही की कुल 125 गाटा रकबा 1297-10-0 बीघा भूमि को आदर्श कोऑपरेटिव सोसायटी के नाम दर्ज किया गया। यह आदेश पूरी तरह से संदिग्ध प्रतीत होता है। यह गहन जांच का विषय है।
इसके साथ ही एसडीएम रॉबर्ट्सगंज के आदेश पर 6 सितंबर 1989 को और सहायक अभिलेख अधिकारी, ओबरा (सोनभद्र) द्वारा 27 फरवरी 2017 को पारित नामांतरण आदेश की जांच भी जरूरी है। उस समय (1989) भी कांग्रेस की सरकार थी।
प्रधान पक्ष ने जुलाई 2017 में खरीद ली थी जमीन
सीएम योगी ने कहा कि जांच में समिति को पता लगा है कि पीड़ित पक्ष विवादित भूमि पर लंबे समय से खेती करता आ रहा है, लेकिन राजस्व अभिलेखों में इनका नाम दर्ज नहीं है।
सीएम योगी ने कहा कि जांच में समिति को पता लगा है कि पीड़ित पक्ष विवादित भूमि पर लंबे समय से खेती करता आ रहा है, लेकिन राजस्व अभिलेखों में इनका नाम दर्ज नहीं है।
पीड़ित पक्ष कई वर्षों से खेती करने के एवज में उन लोगों को प्रति वर्ष कुछ धनराशि देता था, जिनके नाम जमीन दर्ज थी। प्रधान पक्ष ने 17 जुलाई 2017 को भूमि खरीद ली थी। इसके बाद से पीड़ित पक्ष ने प्रतिफल देना बंद कर दिया था। घटना की छानबीन से स्पष्ट हुआ कि ग्राम प्रधान यज्ञदत्त कई व्यक्तियों के साथ जमीन पर कब्जा करने के लिए पहुंचा था।
पीड़ित पक्ष ने विरोध किया तो प्रधान पक्ष की ओर से अंधाधुंध फायरिंग की गई। पुलिस ने अब तक 29 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया है। इसके साथ ही एक लाइसेंसी सिंगल बैरल गन, एक राइफल और तीन डबल बैरल गन सहित 6 ट्रैक्टरों की बरामदगी की जा चुकी है।
सीएम के बोलने के दौरान विरोध करते रहे विपक्षी सदस्य, वेल में उतर आए
विधानसभा की कार्यवाही प्रारंभ होते ही नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने सोनभद्र का मामला उठाते हुए बोलना शुरू किया। तभी संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि इस घटना पर नेता सदन (मुख्यमंत्री) जानकारी देना चाहते हैं। इस पर राम गोविंद और बसपा नेता लालजी वर्मा ने कहा कि अभी उन्होंने अपनी बात नहीं रखी है।
उनका पक्ष सुनने के बाद ही नेता सदन जवाब दें, यही सदन की परंपरा है। इस पर अध्यक्ष ने कहा कि नेता सदन व नेता प्रतिपक्ष खड़े हों तो पहले नेता सदन का सम्मान किया जाता है।
इसी बीच मुख्यमंत्री ने बोलना शुरू कर दिया। इस पर विपक्ष के सदस्य अपनी सीटों पर खड़े हो गए। सपा सदस्यों ने सरकार विरोधी नारे लिखे प्ले कार्ड्स दिखाते हुए नारे लगाने प्रारंभ कर दिए।
अवलोकन करें:-
बाद में सपा व कांग्रेस के सदस्य वेल में आ गए। विपक्ष के हंगामे के बीच मुख्यमंत्री ने घटना को दुखद बताते हुए कहा कि पीड़ितों के प्रति सरकार की गहरी संवेदनाएं हैं। सरकार इस मामले में तत्परता से कार्रवाई कर रही है, सख्त कानूनी कार्रवाई करते हुए पीड़ितों को न्याय दिलाया जाएगा।
अयोध्या के डिप्टी कलेक्टर सोनभद्र भेजे गए
राज्य सरकार ने सोनभद्र कांड में शुक्रवार को घोरावल के एसडीएम विजय प्रकाश तिवारी व क्षेत्राधिकारी अभिषेक सिंह के निलंबन के आदेश जारी करने के बाद अयोध्या में डिप्टी कलेक्टर प्रकाश चंद्र का स्थानांतरण इसी पद पर सोनभद्र कर दिया गया है।
राज्य सरकार ने सोनभद्र कांड में शुक्रवार को घोरावल के एसडीएम विजय प्रकाश तिवारी व क्षेत्राधिकारी अभिषेक सिंह के निलंबन के आदेश जारी करने के बाद अयोध्या में डिप्टी कलेक्टर प्रकाश चंद्र का स्थानांतरण इसी पद पर सोनभद्र कर दिया गया है।
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