मध्य प्रदेश: स्वच्छ भारत के तहत बनाए गए टॉयलेट यूज करने लायक नहीं

मध्य प्रदेश: स्वच्छ भारत के तहत बनाए गए टॉयलेट यूज करने लायक नहीं, लोग बोले- खुले में शौच को मजबूर
स्थानीय लोगों का कहना है कि वह खुले में शौच को मजबूर हैं.
अक्सर अपने लेखों में सफाई एवं शौचालय अभियान को बेसिक समस्याओं से ध्यान भटकाने से सम्बोधित किया था, लेकिन मोदी अंधभक्तों ने इसे मोदी समझ कभी गंभीरता से नहीं लिया। 
हकीकत यह है कि स्थानीय नेता मोदी-योगी-अमित के कन्धों पर सवार हैं। प्रमाण लोकसभा चुनाव, जबकि स्थानीय चुनावों में ये त्रिमूर्ति मेहनत नहीं करें, वहाँ भी बंटाधार। अधिकतर निगमों में भाजपा सत्ता है, सीवर तक की नियमित रूप से सफाई नहीं आती, भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर है। कोई महापौर नहीं बता नहीं सकता कि "उसके अधीन नगर निगम में भ्रष्टाचार नहीं।" यदाकदा आ रहीं शौचालयों की दुर्दशा स्थानीय नेताओं की लापरवाही को उजागर कर रही हैं। इस सच्चाई को स्वीकार करना होगा। 
अभी भी रेलवे लाइन पर खुले में जनता को शौच करते देखा जा सकता है। क्यों? क्या कर रहे हैं स्थानीय नेता? हर जगह मोदी, योगी या अमित शाह नहीं जा सकते, यह काम स्थानीय नेताओं का है।   
मध्य प्रदेश के सिवनी के एक गांव में स्वच्छ भारत के तहत बनाए गए शौचालय इस्तेमाल करने लायक नहीं है। स्थानीयों का कहना है कि सही ढंग से शौचालय नहीं बनाए गए, इसलिए इनका इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है हम लोग खुले में शौच के लिए मजबूर हैं हमने खूब शिकायत की है, लेकिन कुछ नहीं होता' इस पर जिला पंचायत की सीईओ मंजुषा रॉय का कहना है, 'संपूर्ण सर्वेक्षण अभी तक किया जाना है और सर्वेक्षण के आधार पर यह स्पष्ट होगा कि कितने शौचालयों का उपयोग नहीं हो रहा है सरकार द्वारा दिए गए निर्देश के आधार पर कार्रवाई की जाएगी'
वहीं बजट से एक दिन पहले संसद में पेश की गई आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि देश में स्वच्छ भारत मिशन के तहत अब तक 9.5 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया है अक्टूबर 2014 में शुरू इस कार्यक्रम के तहत पिछले चार वर्षों में 99.2 प्रतिशत गांव इसके दायरे में आ चुके हैं 
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि योजना लागू किये जाने के बाद 5,64,658 गांव खुले में शौच से मुक्‍त (ओडीएफ) घोषित किये गये हैं उसके मुताबिक 14 जून, 2019 तक 30 राज्‍यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों में 100 प्रतिशत व्‍यक्तिगत घरेलू शौचालय (आईएचएचएल) कवरेज कराई जा चुकी है उसमें कहा गया है कि एसबीएम में स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है

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Madhya Pradesh: Toilets build under the Swachh Bharat mission in a village of Seoni are not fit to be used. Locals say,"the toilets were not built properly so its unusable. We are compelled to defecate in the open. We have complained a lot but nothing has happened."
समीक्षा में कहा गया है कि स्कूलों, सड़कों एवं पार्कों में महिलाओं एवं पुरूषों के लिए अलग-अलग शौचालय बनाये गए हैं इस तरह यह मिशन स्त्री-पुरूष के बीच असमानता खत्म करने में उपयोगी रहा हैइसमें कहा गया है कि इस सार्वजनिक अभियान का समाज पर कई सकारात्मक प्रभाव देखने को मिले हैंइनमें से स्कूलों में लड़कियों के पंजीयन का अनुपात बढ़ा है और स्वास्थ्य बेहतर हुआ है

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