आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
आज समाज सेवा के नाम पर जो लूट मची हुई है, उसे देख नेता शब्द एक ग्लानि बनता जा रहा है। जिसे देखों जनसेवा के नाम पर अपनी दुकान यानि पार्टी बना कर जनमानस को पागल बना रहा है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक लगभग हर पार्टी देशहित की बजाए केवल स्वार्थ सिद्ध करने में व्यस्त है। देश जाए भाड़ में, लेकिन हमें तुष्टिकरण पुजारी बन दुश्मन की बोली, अपनी रोटियां सेंकनी हैं। क्या देश के विरुद्ध बोलने वाले तथाकथित नेता एक भी वोट पाने के अधिकारी हैं? क्या कश्मीर या देश के किसी भी अन्य भाग में अनुच्छेद 370 हितकारी है? वोट के भूखे नेताओं का यह कहना कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटने से यह भारत से अलग हो जाएगा, गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी को ऐसे नेताओं का संज्ञान लेकर ऐसे नेताओं की दुकानों की आय की निगरानी करने की जरुरत है। क्योकि ऐसे नेता कभी देशहित के बारे में सोंच भी नहीं सकते।
इनसे पूछा जाए कि "अगर कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं रहेगा, तो पाकिस्तान में जाएगा? क्या ऐसे नेताओं ने दुकान देशहित में खोली है या दुश्मन हित के लिए?
पोलैंड ने दिया पाकिस्तान को झटका
जबकि अनुच्छेद 370 हटने के बाद पाकिस्तान बौखला गया है। पाकिस्तान ने इस विषय को संयुक्त राष्ट्र संघ में उठाने का फैसला किया है। लेकिन वर्तमान में यूएनएससी की अध्यक्षता संभाल रहे पोलैंड ने साफ कर दिया है कि दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच विवादित मुद्दों का समाधान द्विपक्षीय बातचीत के जरिए ही होना चाहिए। भारत भी पहले ही साफ कर चुका है कि अनुच्छेद 370 के विषय में पाकिस्तान को ऐतराज जताने का नैतिक या कानूनी अधिकार नहीं है। जम्मू-कश्मीर, भारत का आंतरिक मामला है और प्रशासनिक सुविधा को ध्यान में रखते हुए भारत फैसला कर सकता है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की मुहिम के बाद यह पहला मौका है जब पोलैंड ने खुलकर अपनी राय रखी है। इसका अर्थ ये है कि पाकिस्तान के सामने इस विषय को हटाने के विकल्प नहीं है। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र संघ में स्थाई सदस्य रूस भी पाकिस्तान का विरोध कर चुका है। रूस ने कहा था कि नियमों के दायरे में ही भारत ने फैसला किया था। इसमें पाकिस्तान की आपत्ति का कोई अर्थ नहीं रह जाता है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत में पोलैंड के राजदूत एडम बर्कोवस्की ने कहा कि वो मानते हैं कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जो माहौल बना है या पाकिस्तान की तरफ से आपत्ति दर्ज की गई है उसमें समाधान या बातचीत का आधार सिर्फ और सिर्फ द्विपक्षीय है।वो कहते हैं कि जब वो द्विपक्षीय शब्द का इस्तेमाल करते हैं तो नजरिया साफ है। कोई भी देश किसी दूसरे मुल्क के प्रशासनिक मुद्दे को यूएन नहीं ले जा सकता है। यही नहीं विवादों को सुलझाने के लिए कानूनी रास्ते की जगह आपसी बातचीत ही सबसे बड़ा आधार होता है और इसे दुनिया ने यूरोपीय यूनियन के केस में देखा भी है।
जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा हटाने के बाद एक तरफ जहां केंद्र सरकार वहां पर शांति व्यवस्था कायम करने का जी-तोड़ प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी ओर सियासी दल इस मुद्दे को लेकर अपनी राजनीति चमकाने में लगे हैं। तमिलनाडु के प्रमुख नेता और एमडीएमके (MDMK) पार्टी के प्रमुख वाइको (Vaiko) ने कुछ ऐसा ही विवादित बयान दिया है, जो न सिर्फ देश के खिलाफ है, बल्कि यह कश्मीरी अलगाववादियों के रुख का समर्थन करता दिखता है। वाइको ने अपने बयान में कहा है कि भारतीय जनता पार्टी कश्मीर को बर्बाद करने पर तुली है। ऐसा ही रहा तो देश जब अपनी आजादी की 100वीं वर्षगांठ मना रहा होगा, उस समय कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं रह जाएगा।
MDMK प्रमुख के इस विवादित बयान से कश्मीर को लेकर राजनीति और गर्मा सकती है. वाइको ने अगस्त 12 को मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान यह बयान दिया है। उन्होंने अपने बयान में कहा, ‘भारत जब अपनी आजादी की सौवीं वर्षगांठ का जश्न मना रहा होगा, उस समय कश्मीर इस देश का हिस्सा नहीं रहेगा। उन्होंने (भाजपा) कश्मीर को कीचड़ में धकेल दिया है।’ कश्मीर को लेकर अपनी बात को स्पष्ट करते हुए वाइको ने कहा, ‘मैंने कश्मीर मुद्दे को लेकर पहले भी अपनी बात रखी है। मैं इसके लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों को दोषी मानता हूं। कश्मीर मुद्दे को लेकर मैंने दोनों पार्टियों पर हमले किए, 30 फीसदी कांग्रेस पर तो 70 फीसदी भाजपा के ऊपर।’
Kashmir will not be part of India on 100th Independence Day: Vaiko— ANI Digital (@ani_digital) August 13, 2019
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एमडीएम पार्टी के प्रमुख वाइको का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब कश्मीर में धारा 370 के तहत विशेष राज्य का दर्जा खत्म किए जाने के बाद शांति कायम करने के प्रयास किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार ने पिछले हफ्ते संसद में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पेश कर राज्य को मिला विशेष दर्जा खत्म कर दिया था। केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर राज्य का विभाजन कर इस दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया है। इसके तहत जम्मू-कश्मीर ऐसा केंद्रशासित प्रदेश होगा जहां दिल्ली की तरह विधानसभा होगी, वहीं लद्दाख को चंडीगढ़ की तरह का केंद्रशासित प्रदेश घोषित किया गया है।
सुनी जानी चाहिए जम्मू कश्मीर के लोगों की आवाज : डॉ मनमोहन सिंह, पूर्व प्रधानमन्त्री
मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को चलो बोलना तो आ गया, लेकिन देखना यह है कि वह अपनी मर्जी से बोल रहे हैं या फिर रिमोट के द्वारा। उन्होंने अगस्त 12 को कहा कि अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को समाप्त करने का सरकार का फैसला देश के अधिकतर लोगों की अभिलाषा के अनुसार नहीं है और भारत के विचार को जीवंत रखना है तो जम्मू कश्मीर के नागरिकों की आवाज सुनी जानी चाहिए।Former PM Manmohan Singh on #Article370Revoked: Its outcome is not to the liking of many people of our country & It's important that voices of all these people be heard & It is only by raising our voice that we can ensure that in the long run, the idea of India prevails. pic.twitter.com/x0Iq4yhzpi— ANI (@ANI) August 12, 2019
सिंह ने कहा कि भारत गहरे संकट से गुजर रहा है और इसे समान विचार वाले लोगों के सहयोग की जरूरत है। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि देश की अधिकांश जनता की अभिलाषा का इसमें ध्यान नहीं रखा गया। महत्वपूर्ण है कि इन सभी लोगों की आवाज सुनी जाए. हम केवल अपनी आवाज उठाकर सुनिश्चित कर सकते हैं कि दूरगामी रूप से भारत का विचार जीवंत रहे, जो हमारे लिए बहुत पवित्र है।
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