हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने रविवार(अगस्त 18) को अपनी पार्टी निशाना साधते हुए कहा कि जब भी सरकार कुछ भी सही करती है तो मैं उनका समर्थन करता हूं। मेरे कई सहयोगियों ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले का विरोध किया। मेरी पार्टी ने अपना रास्ता खो दिया है। यह वह कांग्रेस नहीं है जो पहले हुआ करती थी। जब भी देशभक्ति और स्वाभिमान की बात आती है, तो मैं किसी के साथ समझौता नहीं करूंगा।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आगे कहा कि मैं अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले का समर्थन करता हूं, लेकिन मैं हरियाणा सरकार से पूछना चाहता हूं कि आपने पांच साल में क्या किया है, इसका हिसाब देना होगा। इस फैसले के पीछे छिपें नहीं। हरियाणा के हमारे भाई कश्मीर में सैनिकों के रूप में तैनात हैं, इसलिए मैंने इसका समर्थन किया।
भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा कि मेरा जन्म एक देशभक्त परिवार में हुआ, जो लोग अनुच्छेद 370 हटाने का विरोध करते हैं। मैं उन्हें कहना चाहता हूं। उसूलों पर जहां आंच आए वहां टकराना जरूरी है, जो जिंदा है तो जिंदा दिखना जरूरी है।
आगामी विधानसभा चुनावों से पहले हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की रविवार को अपने गृह क्षेत्र रोहतक में 'परिवर्तन महा रैली' कर शक्ति प्रदर्शन किया। इस रैली में जहां पार्टी के किसी सीनियर नेताओं को आमंत्रित नहीं किया गया। इससे यह अटकलें लगाई जाने लगी कि हुड्डा एक स्वतंत्र राजनीतिक रास्ता अपनाने के बारे में सोच सकते हैं।
हुड्डा के एक सहयोगी ने नाम ना जाहिर करने की शर्त पर कहा कि 'भव्य रैली' विधानसभा चुनाव में बीजेपी सरकार को बाहर करने के लिए चुनावी बिगुल बजाएगी। उन्होंने संगठनात्मक बदलावों और चुनाव की तैयारियों के लिए समितियों की घोषणा करने से संबंधित कांग्रेस द्वारा निर्णयों में देरी का संकेत दिया, लेकिन हुड्डा की पार्टी छोड़ने की कोई योजना नहीं थी।
उन्होंने कहा, 'चुनाव की तैयारियां बहुत पहले शुरू हो जानी चाहिए थीं। इतना समय नष्ट हो गया है। प्रत्येक व्यक्ति चिंतित है। कार्रवाई की एक रेखा खींची जानी चाहिए। हम भाजपा को कोई रास्ता नहीं दे सकते।' राज्य के एक सीनियर कांग्रेस नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि हुड्डा पर उनके कुछ समर्थकों का दबाव हो सकता है लेकिन वह पार्टी नहीं छोड़ेंगे।
अंतरिम पार्टी प्रमुख के रूप में सोनिया गांधी के पदभार संभालने से जाहिर तौर पर मामलों में आसान हुई क्योंकि हुड्डा पहली बार मुख्यमंत्री बने जब वह पार्टी प्रमुख थी। उन्हें उनके प्रतिद्वंद्वी भजनलाल के रहते हुए चुना गया था। हुड्डा 15 अगस्त को कांग्रेस मुख्यालय में स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल हुए थे। लंबे समय से हुड्डा राज्य नेतृत्व में बदलाव की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी मांग को कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने स्वीकार नहीं किया है।
रैली को हुड्डा द्वारा एक संकेत के रूप में देखा जा रहा है कि उन्हें मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किया जाना चाहिए और राज्य के प्रमुख के तौर पर नियुक्त किया जाना चाहिए। टिकटों के वितरण में भी उनकी अहम भूमिका हो। हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा को भी पीसीसी प्रमुख के पद के दावेदार के रूप में देखा जा रहा है। दोनों नेता इस साल के शुरू में लोकसभा चुनाव हार गए, जिससे उनके राजनीतिक कद में कुछ गिरावट आई। कांग्रेस की हरियाणा यूनिट में राज्य कांग्रेस प्रमुख डॉ. अशोक तंवर सहित हुड्डा और राज्य के कुछ सीनियर नेताओं के बीच मतभेदों के साथ तीव्र गुटबाजी भी चल रही है।
BS Hooda: I support the decision to abrogate #Article370 but I want to tell Haryana Govt that you will have to give an account of what you did in 5 years, don't hide behind this decision. Our brothers from Haryana are deployed as soldiers in Kashmir, that is why I supported it. https://t.co/xKGAtqKyY3— ANI (@ANI) August 18, 2019
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आगे कहा कि मैं अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले का समर्थन करता हूं, लेकिन मैं हरियाणा सरकार से पूछना चाहता हूं कि आपने पांच साल में क्या किया है, इसका हिसाब देना होगा। इस फैसले के पीछे छिपें नहीं। हरियाणा के हमारे भाई कश्मीर में सैनिकों के रूप में तैनात हैं, इसलिए मैंने इसका समर्थन किया।
Bhupinder Singh Hooda, Congress in Rohtak: I was born in a patriotic family, those who oppose (abrogation of #Article370), I want to tell them "usulon par jahan aanch aaye, vahan takrana zaruri hai, jo zinda hai to zinda dikhna zaruri hai". pic.twitter.com/25lS27CO17— ANI (@ANI) August 18, 2019
भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा कि मेरा जन्म एक देशभक्त परिवार में हुआ, जो लोग अनुच्छेद 370 हटाने का विरोध करते हैं। मैं उन्हें कहना चाहता हूं। उसूलों पर जहां आंच आए वहां टकराना जरूरी है, जो जिंदा है तो जिंदा दिखना जरूरी है।
आगामी विधानसभा चुनावों से पहले हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की रविवार को अपने गृह क्षेत्र रोहतक में 'परिवर्तन महा रैली' कर शक्ति प्रदर्शन किया। इस रैली में जहां पार्टी के किसी सीनियर नेताओं को आमंत्रित नहीं किया गया। इससे यह अटकलें लगाई जाने लगी कि हुड्डा एक स्वतंत्र राजनीतिक रास्ता अपनाने के बारे में सोच सकते हैं।
हुड्डा के एक सहयोगी ने नाम ना जाहिर करने की शर्त पर कहा कि 'भव्य रैली' विधानसभा चुनाव में बीजेपी सरकार को बाहर करने के लिए चुनावी बिगुल बजाएगी। उन्होंने संगठनात्मक बदलावों और चुनाव की तैयारियों के लिए समितियों की घोषणा करने से संबंधित कांग्रेस द्वारा निर्णयों में देरी का संकेत दिया, लेकिन हुड्डा की पार्टी छोड़ने की कोई योजना नहीं थी।
उन्होंने कहा, 'चुनाव की तैयारियां बहुत पहले शुरू हो जानी चाहिए थीं। इतना समय नष्ट हो गया है। प्रत्येक व्यक्ति चिंतित है। कार्रवाई की एक रेखा खींची जानी चाहिए। हम भाजपा को कोई रास्ता नहीं दे सकते।' राज्य के एक सीनियर कांग्रेस नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि हुड्डा पर उनके कुछ समर्थकों का दबाव हो सकता है लेकिन वह पार्टी नहीं छोड़ेंगे।
अंतरिम पार्टी प्रमुख के रूप में सोनिया गांधी के पदभार संभालने से जाहिर तौर पर मामलों में आसान हुई क्योंकि हुड्डा पहली बार मुख्यमंत्री बने जब वह पार्टी प्रमुख थी। उन्हें उनके प्रतिद्वंद्वी भजनलाल के रहते हुए चुना गया था। हुड्डा 15 अगस्त को कांग्रेस मुख्यालय में स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल हुए थे। लंबे समय से हुड्डा राज्य नेतृत्व में बदलाव की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी मांग को कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने स्वीकार नहीं किया है।
रैली को हुड्डा द्वारा एक संकेत के रूप में देखा जा रहा है कि उन्हें मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किया जाना चाहिए और राज्य के प्रमुख के तौर पर नियुक्त किया जाना चाहिए। टिकटों के वितरण में भी उनकी अहम भूमिका हो। हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा को भी पीसीसी प्रमुख के पद के दावेदार के रूप में देखा जा रहा है। दोनों नेता इस साल के शुरू में लोकसभा चुनाव हार गए, जिससे उनके राजनीतिक कद में कुछ गिरावट आई। कांग्रेस की हरियाणा यूनिट में राज्य कांग्रेस प्रमुख डॉ. अशोक तंवर सहित हुड्डा और राज्य के कुछ सीनियर नेताओं के बीच मतभेदों के साथ तीव्र गुटबाजी भी चल रही है।
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