भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के फैसले को बाग्लादेश ने भारत का आंतरिक मामला बताया है. बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने कहा है, "बांग्लादेश इस बात पर कायम है कि भारत सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को हटाया जाना भारत का आंतरिक मामला है... बांग्लादेश ने सिद्धांत के तौर पर हमेशा इस वात की वकालत की है कि क्षेत्रीय शांति तथा स्थिरता बनाए रखना तथा विकास सभी देशों की प्राथमिकता होना चाहिए..."
जहां पड़ोसी देश बांग्लादेश इस फैसले को भारत का आंतरिक मामला करार दे रहा है, वहीं पाकिस्तान इसका विरोध कर रहा है. पाकिस्तान सरकार ने कहा कि वह इस मामले को आईसीजे लेकर जाएंगे. चीन भी इसका विरोध कर रहा है, चीन इस मामले को यूएनएससी लेकर गया था. लेकिन वहां पर यूएनएससी के सदस्यों ने भारत के समर्थन में बात कही.
दरअसल, इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में जाने की पाकिस्तान की घोषणा के कुछ ही घंटे बाद शीर्ष राजनयिक सैयद अकबरुद्दीन ने अगस्त 20 को कहा कि भारत अपने क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी से उसकी मर्ज़ी के किसी भी मैदान में मुकाबला करने के लिए तैयार है. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने NDTV को बताया, 'प्रत्येक देश को उसके पास उपलब्ध प्रत्येक रास्ता अपनाने का अख्तियार है... हमारी सोच भी अलग-अलग है... अगर वे हमसे अलग-अलग अखाड़ों में निपटना चाहते हैं, तो हम उसी अखाड़े में जवाब देंगे... यह उनकी पसंद का अखाड़ा है... उन्होंने एक बार कोशिश की, लेकिन वे नाकाम रहे..."
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के फैसले के खिलाफ पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय कोर्ट (ICJ) में अपील करने का फैसला किया है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेशी ने एक पाकिस्तानी चैनल से कहा कि हमनें कश्मीर के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में ले जाने का फैसला किया है. हमनें यह फैसला सभी कानूनी पक्षों को ध्यान में रखते हुए किया है. बता दें, भारत द्वारा कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को लेकर पाकिस्तान पिछले सप्ताह ही यूएनएससी गया था. काउंसिल के सदस्यों ने भारत के पक्ष का समर्थन करते हुए कहा था कि यह द्विपक्षीय मसला है.
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वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से टकराव का मुद्दा रहे कश्मीर की 'विस्फोटक' स्थिति पर एक बार फिर मध्यस्थता की पेशकश की है. डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष सप्ताहांत में यह मुद्दा उठायेंगे. अमेरिका ने पीएम नरेंद्र मोदी से कश्मीर में तनाव कम करने के लिये कदम उठाने का अनुरोध किया था. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा, "कश्मीर बेहद जटिल जगह है. यहां हिंदू हैं और मुसलमान भी और मैं नहीं कहूंगा कि उनके बीच काफी मेलजोल है." उन्होंने कहा, "मध्यस्थता के लिये जो भी बेहतर हो सकेगा, मैं वो करूंगा."
Bangladesh Min of Foreign Affairs:Bangladesh maintains that Article 370's abrogation by Indian Govt is an internal issue of India. Bangladesh has always advocated,as matter of principle,that maintaining regional peace&stability,& development should be a priority for all countries pic.twitter.com/2pnM9ZhDvK— ANI (@ANI) August 21, 2019
जहां पड़ोसी देश बांग्लादेश इस फैसले को भारत का आंतरिक मामला करार दे रहा है, वहीं पाकिस्तान इसका विरोध कर रहा है. पाकिस्तान सरकार ने कहा कि वह इस मामले को आईसीजे लेकर जाएंगे. चीन भी इसका विरोध कर रहा है, चीन इस मामले को यूएनएससी लेकर गया था. लेकिन वहां पर यूएनएससी के सदस्यों ने भारत के समर्थन में बात कही.
दरअसल, इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में जाने की पाकिस्तान की घोषणा के कुछ ही घंटे बाद शीर्ष राजनयिक सैयद अकबरुद्दीन ने अगस्त 20 को कहा कि भारत अपने क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी से उसकी मर्ज़ी के किसी भी मैदान में मुकाबला करने के लिए तैयार है. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने NDTV को बताया, 'प्रत्येक देश को उसके पास उपलब्ध प्रत्येक रास्ता अपनाने का अख्तियार है... हमारी सोच भी अलग-अलग है... अगर वे हमसे अलग-अलग अखाड़ों में निपटना चाहते हैं, तो हम उसी अखाड़े में जवाब देंगे... यह उनकी पसंद का अखाड़ा है... उन्होंने एक बार कोशिश की, लेकिन वे नाकाम रहे..."
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के फैसले के खिलाफ पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय कोर्ट (ICJ) में अपील करने का फैसला किया है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेशी ने एक पाकिस्तानी चैनल से कहा कि हमनें कश्मीर के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में ले जाने का फैसला किया है. हमनें यह फैसला सभी कानूनी पक्षों को ध्यान में रखते हुए किया है. बता दें, भारत द्वारा कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को लेकर पाकिस्तान पिछले सप्ताह ही यूएनएससी गया था. काउंसिल के सदस्यों ने भारत के पक्ष का समर्थन करते हुए कहा था कि यह द्विपक्षीय मसला है.
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