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सलमान निज़ामी |
जम्मू-कश्मीर में किस तरह हालत सामान्य हो रहे हैं, उसका पहला उदाहरण नेशनल कांफ्रेंस के दो स्थानीय नेताओं द्वारा देने उपरान्त कश्मीर के ही कांग्रेसी नेता सलमान निज़ामी द्वारा दिया गया है। जो सिद्ध करता है कि इस विवादित अनुच्छेद किस तरह जन-जीवन को अस्त-व्यस्त कर केवल मुठ्ठी भर नेताओं और उनकी पार्टियों का ही भला कर रहा था, परन्तु अब सामान्य नागरिक अपने आपको देश की मुख्यधारा से जोड़ में लग गया है।
ऐसे में प्रश्न यह भी होता है कि कुछ वर्ष वर्ष पूर्व डेनमार्क में मोहम्मद के विरुद्ध एक कार्टून प्रकाशित होने पर इस्लाम के हितैषी भारत में भी सडकों पर आकर उपद्रव मचा रहे थे। दूसरे, पाकिस्तान सब तरफ से मार खाने के बाद मुस्लिम देशों से मुसलमान के नाम पर कश्मीर पर समर्थन मांग रहा है, लेकिन वही इस्लाम और मुस्लिम हितैषी पाकिस्तान चीन द्वारा इस्लाम पर होते कुठाराघाटों पर चुप्पी साधे हुए है, क्यों? क्या चीन में रहने वाले मुसलमानों को इस्लाम के पालन करने, नमाज़ पढ़ने, टोपी पहनने, रोजे रखने, और मुस्लिम महिलाओं द्वारा हिजाब ओढ़ने का अधिकार नहीं? पाकिस्तान तो क्या भारत में मुसलमानों के नाम पर सियासत करने वाले भी मुँह में दही जमाए बैठे हैं, क्यों? क्योकि चीन और पाकिस्तान का गुप्त समझौता है कि "तुमने वहां मुसलमानों के साथ जो करना है, करो, बस यूएनओ में पाकिस्तान के विरुद्ध आतंकवाद आदि पर उठने वाली आवाज़ों का विरोध कर पाकिस्तान को बचाते रहो।" और इसी आधार पर भारत में मुस्लिम हितों के पक्षधर भी चल रहे हैं, वरना क्या कारण है कि डेनमार्क में विवादित कार्टून प्रकाशित होने पर उपद्रव हो सकता है, लेकिन चीन में रह रहे मुसलमानों के साथ हो रहे अन्याय पर क्यों चुप्पी साधे हुए हैं? क्यों नहीं चीन उत्पादनों का बहिष्कार और चीन दूतावास पर प्रदर्शन करते? कोई भी मुस्लिम संगठन और एनजीओ साहस नहीं कर पा रहा।
यदि भारत में चीन के मुकाबले .00000001 प्रतिशत भी इस्लाम पर प्रतिबन्ध लगता, भारत में पल रहे छद्दम मुस्लिम परस्तों एवं समर्थकों ने पाकिस्तान के साथ मिलकर यूएनओ तक को सिर पर उठा लिया होता, इस्लाम पर पाबन्दी लगाने वाले मंत्री अथवा नेता के विरुद्ध फतवों का अम्बार लग गया होता, सिर कलम करने वाले के लिए इनामों की बरसात हो गयी होती। भारत की धरती को जंगे-मैदान बना दिया होता। न जाने कितने मुदकमे दर्ज हो गए होते, उसको फांसी देने की मांग हो रही होती, लेकिन चीन में मुसलमानों पर अत्याचारों पर बोलने पर डर रहे हैं, फिर टीवी चैनलों पर बैठकर चिल्लाएंगे मुसलमान किसी से नहीं डरता, अब इसे इस्लाम के नाम पर दुकानदारी नहीं कहा जाये तो क्या नाम दिया जाये? लेखक सलमान खुर्शीद और लेखिका तस्लीमा नसरीन के विरुद्ध फतवा देने का साहस कर सकते हैं, फिर वही बात कि चीन के विरुद्ध कोई नहीं बोलेगा? लगता है चीन ने इस्लाम की किसी दुःखती नब्ज को पकड़ रखा है, वरना क्या कारण है कि कोई नहीं बोल पा रहा?
मुसलमान के नाम पर सियासत खेलने वालों ने मुसलमानों को एक वोट की भांति इस्तेमाल करते रहे हैं, कभी उनको सामान्य नागरिक नहीं समझा, तुष्टिकरण सियासत करते रहे। अन्यथा भारत देश अब तक कितना ऊँचा उठ चूका होता, जिसकी सम्भावना नहीं की जा सकती। पाकिस्तान ने बस कश्मीर के नाम पर विश्व को पागल बनाकर सियासत करने के कारण कुछ भी नहीं कर सका, खनीमात है, तुष्टिकरण पुजारी होने के कारण भारत को आत्मनिर्भर बनाकर अर्थव्यवस्था पर भी काम होता रहा।
जम्मू-कश्मीर से 370 के पर कुतरने और इसे मुसलमानों के बीच जिहादी मानसिकता को बढ़ावा दे रहे लोगों द्वारा ‘हिन्दू सरकार की गुंडागर्दी’ के रूप में दिखाने की कोशिशों के बीच कांग्रेस के ही एक मुस्लिम नेता ने अपने समुदाय के लोगों को आईना दिखाया है। सलमान निज़ामी नामक कश्मीरी नेता ने ट्वीट कर इस तथ्य की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित किया कि जहाँ बाकी पूरे देश में कश्मीरी मुस्लिम सुरक्षित हैं, वहीं खुद कश्मीर में 370 खत्म होने के बाद से दो बेग़ुनाह मुस्लिमों को जान से मारा जा चुका है।
हिन्दुओं को दोष देना गलत
सलमान निज़ामी ने ट्वीट किया, “वर्तमान की बात करते हैं। पिछले 22 दिनों से कश्मीर में कर्फ्यू है। पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवादियों ने गुज्जर (मुस्लिम) को मार डाला, पत्थरबाजों ने एक कश्मीरी (मुस्लिम) ड्राइवर को मार डाला। (बाकी के) भारत में एक भी कश्मीरी मुस्लिम पर कोई हमला नहीं हुआ। अब हिन्दुओं को दोष देंगे? नहीं। हम गलत हैं यहाँ पर। सच्चाई को मान लेना चाहिए।”
Lets talk abt present- In last 22 days, Kashmir is undr Curfew. Pak sponsored Militants killed a Gujjar (Muslim), Stone pelters killed a Kashmiri (Muslim) driver.— Salman Nizami (@SalmanNizami_) August 27, 2019
Not a Single Kashmiri Muslim ws assaulted across India. Now, blame Hindus? NO. We are wrong hre. Accept the reality!
सलमान निज़ामी के ट्वीट से उन मुसलमानों की तो आँखें खुल ही जानी चाहिए जो बेवजह का विक्टिम-कॉम्प्लेक्स पाल कर बैठे हैं, और अपने आस-पास न होते हुए भी ‘डर का माहौल’ खुद ही अपने दिमाग में पैदा करते रहते हैं। साथ ही इस ट्वीट से जम्मू-कश्मीर के मामले में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व (राहुल गाँधी-सोनिया गाँधी, गुलाम नबी आज़ाद आदि) और अन्य नेताओं के बीच न पट रही खाई भी फिर से उभर आती है।
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