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अमित शाह की पीठ थप-थपाते मोदी |
मोदी सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने का घटनाक्रम रहस्य-रोमांच से भरी किसी फिल्म जैसा रहा जिसमें हर कोई अंदाज लगाता रहा और पता तब चला जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को संसद में घोषणा की. किसी धमाकेदार फिल्म की तरह सुरक्षबलों की तैनाती हुई, आतंकी खतरे के मद्देनजर परामर्श जारी हुआ, कश्मीर घाटी के राजनीतिक नेताओं को नजरबंद किया गया, इंटरनेट सहित अन्य संचार सेवाएं रोक दी गईं और बीती आधी रात अत्यंत गहमागहमी रही. यह सब जुलाई के अंतिम सप्ताह में तब शुरू हुआ जब केंद्र ने आतंकवाद रोधी अभियानों की मजबूती और कानून व्यवस्था की स्थिति के आधार पर घाटी में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की 100 कंपनियों (करीब दस हजार केंद्रीय सुरक्षाकर्मियों) की तैनाती का आदेश दिया.
हालांकि, राज्य के राजनीतिक दलों और विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार के 'इरादों' पर चिंता जाहिर की और दावा किया कि केंद्र 'कुछ बड़ा करने' की योजना बना रहा है. कश्मीर घाटी में चिंता का माहौल उत्पन्न हो गया जहां श्रीनगर के संवेदनशील इलाकों और कश्मीर के अन्य हिस्सों में अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई. इनमें से ज्यादातर सुरक्षाकर्मी केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) से थे. यह तैनाती 100 कंपनियों के अतिरिक्त थी. स्थिति शुक्रवार को तब चरम पर पहुंच गई जब सेना ने कहा कि पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादी अमरनाथ तीर्थयात्रियों को निशाना बनाने की साजिश रच रहे हैं. इसके साथ ही जम्मू कश्मीर प्रशासन ने परामर्श जारी कर तीर्थयात्रियों और पर्यटकों से तत्काल घाटी छोड़ने को कहा. कयास लगाए जाने लगे कि कश्मीर में हो रहे घटनाक्रम आतंकी खतरे से जुड़े हैं. वहीं, अनेक लोग अनुच्छेद 35-ए और अनुच्छेद 370 पर कोई बड़ी घोषणा होने की अटकलें लगाने लगे. अमरनाथ तीर्थयात्रियों और पर्यटकों ने सरकार के परामर्श के बाद शनिवार को घाटी को छोड़ना शुरू कर दिया.
अटकलें तब और बढ़ गईं जब सरकार ने एअरलाइनों से कहा कि वे जम्मू कश्मीर से बाहर जाने वाली उड़ानों के किराए पर नियंत्रण रखें. वहीं, रेलवे ने घोषणा की कि वह कश्मीर से बाहर जा रहे यात्रियों से टिकट रद्द कराने का कोई शुल्क वसूल नहीं करेगा. इस बीच, राज्य के राज्यपाल ने जम्मू कश्मीर के राजनीतिक दलों से कहा कि वे अपने समर्थकों से शांत रहने और घाटी में 'उड़ रहीं अफवाहों' पर विश्वास न करने को कहें. अनुच्छेद 35-ए तथा अनुच्छेद 370 को लेकर बढ़ती अटकलों के बीच जम्मू कश्मीर में क्षेत्रीय दलों ने रविवार को सर्वसम्मत संकल्प लिया कि वे राज्य को विशेष दर्जा देने वाले प्रावधानों को खत्म करने या राज्य को तीन हिस्सों में बांटने के किसी भी प्रयास के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे.
कांग्रेस में अनुच्छेद 370 पर मतभेद; अधिकतर नेता सरकार के समर्थन में
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का प्रस्ताव जब राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने पेश किया तो समर्थन और विरोध में लोग खुलकर सामने आने लगे. सरकार को इस कदम पर उम्मीद से बेहतर समर्थन मिला. इस मसले पर कांग्रेस सदन के अंदर ज्यादा मजबूत नजर नहीं आई. शाम होते-होते पार्टी इस मसले पर बंटी हुई नजर आई. कांग्रेस के कई नेताओं ने कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने का समर्थन किया. इस लिस्ट में हरियाणा के दीपेंद्र हुड्डा, महाराष्ट्र के मिलिंद देवड़ा से लेकर सीनियर कांग्रेसी जनार्दन द्विवेदी शामिल हैं. दीपेंद्र हुड्डा ने तो इस अनुच्छेद को लेकर ट्वीट किया कि 21वीं सदी में इसकी कोई जगह ही नहीं है. हालांकि कुछ देर बाद उन्होंने अपना यह ट्वीट हटा लिया. अपने इस ट्वीट के साथ उन्होंने एक अखबार की पुरानी खबर भी ट्वीट की थी, जिसमें उनके हवाले से 370 हटाने की वकालत की गई थी.
मिलिंद देवड़ा ने ट्वीट कर कहा कि दुर्भाग्य से आर्टिकल 370 के मसले को लिबरल और कट्टर की बहस में उलझाया जा रहा है. पार्टियों को अपने वैचारिक मतभेदों को किनारे कर भारत की संप्रभुता, कश्मीर शांति, युवाओं को रोजगार और कश्मीरी पंडितों के लिए न्याय के लिहाज से सोचना चाहिए.
Very unfortunate that Article 370 is being converted into a liberal vs conservative debate.
Parties should put aside ideological fixations & debate what’s best for India’s sovereignty & federalism, peace in J&K, jobs for Kashmiri youth & justice for Kashmiri Pandits.
Parties should put aside ideological fixations & debate what’s best for India’s sovereignty & federalism, peace in J&K, jobs for Kashmiri youth & justice for Kashmiri Pandits.

कांग्रेस के सीनियर नेता जनार्दन द्विवेदी ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य को दो केंद्रशासित क्षेत्रों में बांटने के केंद्र सरकार के कदम का समर्थन किया और अपनी पार्टी के रुख के विपरीत राय रखते हुए कहा कि सरकार ने एक 'ऐतिहासिक गलती' सुधारी है. द्विवेदी ने कहा कि यह राष्ट्रीय संतोष की बात है कि स्वतंत्रता के समय की गई गलती को सुधारा गया है. उन्होंने कहा कि यह बहुत पुराना मुद्दा है. स्वतंत्रता के बाद कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नहीं चाहते थे कि अनुच्छेद 370 रहे. मेरे राजनीतिक गुरु राम मनोहर लोहिया शुरू से ही अनुच्छेद 370 का विरोध करते थे. मेरे व्यक्तिगत विचार से तो यह एक राष्ट्रीय संतोष की बात है.
सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने संबंधी अनुच्छेद 370 समाप्त करने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों.... जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने का फैसला किया है. इससे संबंधित दो संकल्पों एवं एक विधेयक को सोमवार को राज्यसभा की मंजूरी मिल गयी. धेयक के पक्ष में 125 वोट और विपक्ष में 61 वोट पड़े. वहीं एक सदस्य गैर हाजिर रहा.
धारा 370 हटाए जाने के फैसले पर क्या कहते हैं कश्मीरी पंडित?
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने बैठक में स्वीकार किया गया प्रस्ताव पढ़ते हुए कहा कि दलों ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के पास प्रतिनिधिमंडल भेजने का फैसला किया है जो संविधान के अनुच्छेद 35-ए तथा अनुच्छेद 370 को हटाने या निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन या राज्य को तीन हिस्सों में बांटने के किसी भी प्रयास के दुष्परिणामों के बारे में अवगत कराएंगे. बैठक के तुरंत बाद घाटी में तेजी से होते घटनाक्रमों से रहस्य गहरा गया क्योंकि अधिकारियों ने रविवार की रात महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों और संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा बढ़ा दी, मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दीं तथा कई नेताओं को या तो 'गिरफ्तार' कर लिया या 'हिरासत' में ले लिया गया.
दो पूर्व मुख्यमंत्रियों महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें नजरबंद कर दिया गया है. वहीं, कांग्रेस नेता उस्मान माजिद और माकपा नेता एमवाई तारिगामी ने दावा किया कि उन्हें आधी रात के करीब गिरफ्तार कर लिया गया. रात में गहराए रहस्य के बाद सोमवार की सुबह केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई.
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