आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
अनुच्छेद 370 की आड़ में मालपुए खाने वाले पाकिस्तान और भारत के तुष्टिकरण पुजारी दल जरूर विरोध कर रहे हैं, लेकिन व्यापारिक दृष्टि से इसका क्या असर होने जा रहा है, उस पर ये विरोधी बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहे, विपरीत इसके उत्तेजित हो रहे है। जबकि केसर, जाफरान, राजमा और अन्य वस्तुओं के व्यापार में वृद्धि होने के संकेत दिख रहे हैं।
अनुच्छेद 370 अकेले कश्मीर पर ही नहीं बल्कि कन्नौज के मुख्य कारोबार पर भी खासा असर डाल रहा था। केंद्र के इस एतिहासिक फैसले के बाद अब कन्नौज के इत्र कारोबार की महक और बढ़ेगी। केंद्र सरकार के इस कदम से यहां इत्र कारोबारियों में खासा उत्साह है और उन्होंने निर्णय का एक सुर में स्वागत किया है।
इत्र निर्माण के क्षेत्र में कन्नौज का इतिहास बेहद पुराना है। यहां बनने वाले इत्र के देश ही नहीं विदेशों में भी लोग दीवाने हैं। वर्तमान में यहां छोटे-बड़े तकरीबन 350 कारखाने संचालित हो रहे हैं। कन्नौज के मुख्य कारोबार पर अनुच्छेद 370 से सीधा असर इसलिए था है क्योंकि कश्मीर से ही बड़े पैमाने पर इत्र निर्माण में प्रयोग होने वाले केसर, जाफरान और अन्य कई जड़ी बूटियों का आयात किया जाता है।
मनमाने दाम पर खरीदना पड़ता है केसर और जाफरान
इत्र कारोबारियों की मानें तो हर माह तकरीबन एक टन से अधिक केसर की खपत है, जिसका दाम डेढ़ लाख रुपये प्रति किलो है। अनुच्छेद 370 के चलते वहां के कारोबारी मनमाना दाम वसूल करते हैं। कई बार इससे ज्यादा दाम भी देने पड़ते हैं। जाफरान भी एक लाख रुपये किलो दाम में खरीदा जाता है। इसी तरह अन्य जड़ी बूटियों को भी मनमाने दाम पर खरीदना पड़ता है। अब अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद उम्मीद है कि इनके दामों में कमी आएगी।
अब कश्मीर में कारखाना लगाएंगे कारोबारी
अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद अब भारत के नागरिक वहां जमीन की खरीद-फरोख्त कर सकेंगे। इससे उत्साहित कई कारोबारियों ने वहां जाफरान का कारखाना लगाने की इच्छा जताई। कारोबारियों का कहना है कि वहां जाफरान के पत्तों से तेल निकाला जा सकेगा। इससे गुणवत्ता बढ़ेगी और दाम अधिक होने से कारोबारियों पर पडऩे वाले अतिरिक्त भार में भी कमी आएगी।
इत्र कारोबारियों ने कहा
सरकार का यह फैसला ऐतिहासिक है। इससे इत्र कारोबार को काफी बल मिलेगा। केसर समेत जड़ी बूटियों के दाम कम होंगे। पहले मनमानी होती थी, लेकिन अब इस पर नियंत्रण होगा।
जाफरान कश्मीर में होता है। इसके पत्ते का तेल इत्र में इस्तेमाल होता है, जो कश्मीर से एक लाख रुपये किलो मंगाते हैं। अब वहां खेती भी कर सकेंगे और कारखाना भी लगाएंगे। इससे समय की बचत के साथ अन्य फायदे होंगे।
Former Indian Minister Arif Khan @amkindia51 narrates how revoking #Article370 will empower the people of J & K .— Tarek Fatah (@TarekFatah) August 8, 2019
Don't be hoodwinked by the radical left, writes @PriyaaKulkarni2. Kashmiris should listen to their well wishers. pic.twitter.com/dY7JbVGhEo
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