केरल : रेप के आरोपी बिशप के खिलाफ मोर्चा खोलनेवाली सिस्टर को चर्च से बाहर निकाला

केरल में रेप के आरोपी बिशप फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ मोर्चा खोलने वाली सिस्टर लूसी को फ्रैंसिशन क्लैरिस्ट कॉन्ग्रिगेशन से बाहर कर दिया गया है।  फ्रैंसिशन क्लैरिस्ट कॉन्ग्रिगेशन केरल में काम करने वाली एक ईसाई संस्था है। सिस्टर लूसी इस संस्था की एक नन हैं।  सिस्टर लूसी पर ये अनुशासनात्मक कार्रवाई  फ्रैंसिशन क्लैरिस्ट कॉन्ग्रिगेशन की सुपीरियर जनरल ने की है।
बुधवार को सिस्टर एन जोसेफ ने नन लूसी को फ्रैंसिशन क्लैरिस्ट कॉन्ग्रिगेशन से बाहर का करने का आदेश थमाया। सिस्टर लूसी केरल के वायनाड में फ्रैंसिशन क्लैरिस्ट कॉन्ग्रिगेशन के सैंट मैरी कॉन्वेंट में रहती थी। दो पन्नों के उनके बर्खास्तगी आदेश में लिखा गया है कि चर्च प्रशासन के साथ नन का रवैया बेहद असहयोग भरा रहा है। इससे पहले चर्च ने कई मुद्दों पर उनसे सफाई मांगी थी।
सिस्टर लूसी अब चर्च के इस आदेश को भारत में वेटिकन चर्च के प्रतिनिधि के पास चुनौती दे सकती हैं। बता दें कि पिछले साल जालंधर के बिशप फ्रैंको मुलक्कल को केरल पुलिस ने गिरफ्तार किया था। बिशप फ्रैंको मुलक्कल पर 2014 से 2016 के बीच एक नन के साथ कई बार रेप करने का आरोप लगा था। पुलिस ने पिछले वर्ष जुलाई में बिशप फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ केरल के कोट्टायम में रेप और यौन शोषण की शिकायत दर्ज की थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि जालंधर के बिशप काम के सिलसिले में अक्सर केरल आते-जाते रहते थे। इस दौरान उन्होंने कई बार एक नन के साथ रेप की वारदात को अंजाम दिया। बिशप मुलक्कल ने इन सभी आरोपों से इनकार किया था।

बिशप फ्रैंको मुलक्कल पर ये आरोप लगने के बाद सिस्टर लूसी ने दूसरी ननों के साथ कोच्चि की गलियों में उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। सिस्टर लूसी बिशप फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में शामिल हुई थीं, और उनकी गिरफ्तारी की मांग की थी।
आरोपी बिशप फ्रैंको मुलक्कल का विरोध करने वाली 4 नन को कॉन्वेंट से निकाला
जनवरी में केरल के बहुचर्चित नन रेप मामले में आरोपी बिशप फ्रैंको मुलक्कल का विरोध करने वाली पांच में चार नन को हटा दिया गया है। इन सबको कोट्टम के कॉन्वेंट से बाहर जाने के लिए कह दिया गया है। विरोध करने वाली सिस्टर अनुपमा, सिस्टर एनसिटा, सिस्टर एल्फी और सिस्टर जॉसफाइन को तुरंत वापस पुराने कॉन्वेंट में जाने को कह दिया गया है।
इनमे से एक नन ने बिशप फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ रेप करने की शिकायत दर्ज की थी। बाद में इन सभी नन ने मुलक्कल की गिरफ्तारी को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था। चारों नन को तबादला पत्र थमाते हुए अलग-अलग कॉन्वेंट में जाने को कहा गया है
हालांकि, ये ट्रांसफर ऑर्डर 2017 और मार्च 2018 की है। उस वक्त नन ने ये कहते हुए यहां से जाने से मना कर दिया था कि वो अपने साथी को अकेला नहीं छोड सकते। साथ ही कहा था कि ये सब बिशप फ्रैंको मुलक्कल को बचाने की कोशिश है।
नन ने 54 साल के बिशप पर 2014 से 2016 के बीच बलात्कार और अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने का आरोप लगाया था। जून में कोट्टयाम पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में नन ने आरोप लगाया था कि बिशप ने मई 2014 में कुराविलंगाड गेस्ट हाउस में उनका बलात्कार किया और बाद में भी यौन शोषण करते रहे।
तीन दिनों की पूछताछ के बाद मुलक्कल को पिछले साल 21 सितंबर को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। बाद में 24 सितंबर को उन्हें दो हफ्ते की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। बाद में उच्च न्यायालय ने आरोपी फ्रैंको मुलक्कल को सशर्त जमानत दे दी थी।

1 comment:

Paritosh Awasthi said...

अफसोस है, न्याय के लिए सिस्टर लूसी कार्यवाही की शिकार हुई, हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वे प्रताड़ित ननों को अन्याय के विरुद्ध लड़ने की शक्ति दें, सत्य की विजय हो।