
वकीलों का आरोप है कि, 20 अगस्त को राज्य बनाम परविंदर मामले की सुनवाई चल रही थी, जिसमें शिकायतकर्ता और गवाह दोनों उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले मुस्लिम थे। भारतीय दंड संहिता की धारा-365 (अपहरण और गलत कारावास), धारा-379बी (चोरी) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
गवाहों से दुश्मनी निभाने के एवज में न्यायाधीश ने वकीलों से इस मामले के प्रत्येक गवाह को 1000 रुपए देने के लिए कहा।
सुनवाई के दौरान, पीठासीन अधिकारी ने यह कहकर गवाहों को डाँटा कि दूसरे(हिन्दू) समुदाय के सदस्यों द्वारा पीटे जाने पर वो (मुस्लिम) मुस्लिम समुदाय पर एक धब्बा हैं। जज ने गुस्से में सवाल किया कि उन्होंने अपने विरोधी (जो इस मामले में हिन्दू थे) को गोली क्यों नहीं मार दी ?
पीठासीन न्यायाधीश फखरुद्दीन ने हिन्दुओं पर तीखा हमला करते हुए गवाहों से कहा कि वे अगली बार पिस्तौल के साथ न्यायालय में आएँ।
पत्र के अनुसार, न्यायाधीश ने हिन्दुओं के बारे में कहा कि उनके पास ऐसी कोई ताकत नहीं है जिससे वो मुसलमानों के सामने टिक सकें। उन्होंने कहा, “आप एक पिस्तौल के साथ आएँ। मैं यहीं हूँ। हर बात की जिम्मेदारी मैं लूँगा।”
पत्र लिखने वाले वकीलों ने इस मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई का अनुरोध किया है। साथ ही उन्होंने लंबित मामलों के ट्रांसफर भी की माँग की क्योंकि उन्हें विशेष अदालत में न्याय की कोई उम्मीद नहीं है। इस शिक़ायती पत्र की कॉपी CJI रंजन गोगोई, कानून और न्याय मंत्री- रवि शंकर प्रसाद, बार काउंसिल ऑफ पंजाब एंड हरियाणा और बार काउंसिल इंडिया के अध्यक्ष को भेजी गई है। स्त्रोत : ऑपइंडिया
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