
अमित शाह की तारीफ करते हुए सामना ने लिखा है, 'जब भी कोई गृहमंत्री कश्मीर जाता है तो उसे विरोध झेलना पड़ता है पर इस बार जब अमित शाह कश्मीर गए तो सभी अलगाववादी और आतंकवादियों ने दुम दबा ली.'
पिछली कांग्रेस सरकार को खरी सुनते हुए सामना ने लिखा, 'अब केंद्र में हिन्दू विरोधी और आतंकियों के सामने दबने वाली सरकार नहीं रही. सरकार कौन सा कदम उठाएगी ये हमेशा कि तरह गोपनीय है, नोटबंदी कि तरह. सरकार का समर्थन करते हुए कहा कि अगर सरकार आतंकवादियों के विरोध में कोई भी कदम उठा रही है तो उससे निसन्देह आगे बढ़ना चाहिए और पूरा देश उनके साथ है. कश्मीर का मुद्दा चर्चा से हाल होगा इस भ्रम को मिटाना होगा ये मुद्दा अब सेना की कार्रवाई से ही दूर होगा. '
महबूबा मुफ्ती पर सवाल करते हुए शिवसेना ने लिखा है, 'उन्हें लगता है कि आर्टिकल 35A हटाने के लिए सरकार ने सेना भेजी है, इस धारा को हटाना मोदी का कर्तव्य है. महबूबा मुफ्ती और अलगाववादियों कि भाषा आतंकवादियों कि तरह है शाह को इसे सहन नहीं करना चाहिए.'
प्राप्त सूचना के अनुसार, महबूबा, उमर और अन्य कश्मीरी नेताओं को नज़र बंद कर कश्मीर में कर्फ्यू लगा दिया गया है। चर्चा यह भी है कि उन कश्मीरियों पर, जो कश्मीर से बाहर दिल्ली और अन्य स्थानों पर होटल अथवा ढाबा आदि पर निगाह रख किसी अनहोनी से सतर्क किया जा रहा है।
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