जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त किए जाने के भारत सरकार के फैसले से बौखलाया पाकिस्तान कूटनीतिक मोर्चे पर नाकाम होने के बाद युद्धोन्माद फैलाने में जुटा है। उसने एलओसी के पास अपने एसएसजी कमांडो तैनात किए हैं और तनाव बढ़ाते हुए अपनी गजनवी मिसाइल का परीक्षण किया है। पाकिस्तान के रेल मंत्री शेख राशिद दोनों देशों के बीच युद्ध होने का समय बता चुके हैं। जबकि प्रधानमंत्री इमरान खान का कहना है कि दोनों देशों के बीच जंग परमाणु युद्ध की तरफ जा सकता है। पाकिस्तान के हुक्मरान परमाणु युद्ध की धमकी देने लगे हैं। हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल पर भारत की 'नो फर्स्ट यूज' नीति में बदलाव के संकेत दिए हैं।
दरअसल, परमाणु युद्ध होने पर क्षेत्र में भयंकर तबाही होगी और यह किसी भी देश के हित में नहीं होगा। बुलेटिन ऑफ द एटमिक साइंटिस्ट्स द्वारा एकत्र डाटा यही इशारा करता है कि विगत वर्षों में परमाणु हथियारों के संग्रह पर होड़ में लगातार कमी आई है। जबकि फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट का कहना है कि 1990 के दशक की तुलना में परमाणु हथियारों में कटौती करने की गति में उल्लेखनीय कमी आई है और परमाणु हथियारों की मौजूदा तस्वीर शीत युद्ध के समय से कहीं बेहतर है। आइए एक नजर डालते हैं दुनिया में परमाणु हथियारों के प्रसार और इनके इस्तेमाल पर होने वाले प्रभावों पर-
एक-दूसरे को कहीं पर भी निशाना बनाने की क्षमता रखते हैं भारत-पाकिस्तान
भारत और पाकिस्तान दोनों के पास ऐसी मिसाइलें हैं जो एक-दूसरे के किसी भी क्षेत्र को परमाणु हथियारों से लैस अपनी मिसाइलों से निशाना बना सकते हैं। भारत के पास परमाणु हथियारों से लैस ऐसी बैलिस्टिक मिसाइलें हैं जो 350 किलोमीटर से से 5000 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक मार कर सकती हैं। भारत की मिसाइलों की जद में पूरा पाकिस्तान आता है। जबकि पाकिस्तान की मिसाइल 2750 किलोमीटर तक परमाणु हथियारों से हमला कर सकती है। इसकी मारक क्षमता के दायरे में भारत का अधिकांश क्षेत्र आता है।

दुनिया ने जापान के शहरों हिरोशिमा एवं नागासाकी पर हुए परमाणु हमले की भयावहता एवं विनाशलीला देखी है। हिरोशिमा पर जो परमाणु बम गिराया गया था वह 15 किलोटन (केटी) टीएनटी का था जबकि नागासाकी पर गिराया गया परमाणु बम 20 (केटी) का था। भारत ने अब तक जो सबसे बड़ा परमाणु बम का टेस्ट किया है उसकी क्षमता 60 केटी की है। यदि 100 केटी का परमाणु बम दिल्ली अथवा इस्लामाबाद पर गिरता है तो दोनों जगहों पर बड़े क्षेत्र में तबाही होगी।
100 केटी का परमाणु बम यदि दिल्ली पर गिरे तो...
दिल्ली के इंडिया गेट पर यदि 100 केटी की क्षमता वाला परमाणु बम गिरता है तो फॉयरबॉल (दायरा 0.79 किलोमीटर) के क्षेत्र में आने वाली सभी चीजें गैस में तब्दील हो जाएंगी यानि कि इंडिया गेट के 0.79 किलोमीटर के दायरे में आने वाली सभी चीजें विलुप्त हो सकती हैं। एयरब्लास्ट-1 का दायरा 3.21 किलोमीटर का होता है। इस दायरे में आने वालीं सभी इमारतें जमींदोज हो जाएंगी और सौ प्रतिशत तबाही होगी। इसका रेडिएशन 10.5 किलोमीटर तक फैलेगा जिससे 50 से 90 प्रतिशत तबाही होगी।
एयरब्रस्ट-2 के दायरे 14.2 किलोमीटर में आने वाली ज्यादातर इमारतें धराशायी हो जाएंगी। परमाणु हमले का थर्मल रेडिएशन 47.9 किलोमीटर तक फैलेगा और 100 प्रतिशत थर्ड डिग्री बर्न की आशंका रहेगी। एयरब्लास्ट-3 का दायरा 93.7 किलोमीटर का होता है। इस दायरे में इमारतों के कांच टूट जाएंगे। परमाणु हमले के विकिरण का प्रभाव बहुत कुछ हवा के बहाव पर निर्भर करेगा। परमाणु हमले से होने वाला विकिरण काफी दूर तक जाता है। दिल्ली पर गिरने वाले बम का विकिरण रेवाड़ी, रोहतक, हिसार, शहारनपुर, अलीगढ़, आगरा और अलवर तक को अपनी चपेट में ले लेगा।
क्या होता है एयरब्लास्ट
एयर ब्लास्ट हवा में कराया जाता है। परमाणु हमले के एयरब्लास्ट से मचने वाली तबाही अन्य विस्फोटों से कहीं ज्यादा भीषण और कई तरह का प्रभाव वाली होती है। एयरब्लास्ट के बाद वायु में बनने वाला गैस का दबाव एवं विकिरण बड़े पैमाने पर विध्वंस करता है। यह थर्मल रेडिएशन पैदा करता है। हिरोशिमा में परमाणु बम का एयरब्लास्ट हुआ था।
100 केटी का परमाणु बम इस्लामाबाद पर गिरने पर
इस्लामाबाद पर यदि 100 केटी का परमाणु बम गिरा तो वहां भी दिल्ली जैसी तबाही एवं बर्बादी देखने को मिलेगी। परमाणु हमले से पैदा होने वाले विकिरण के प्रभाव में एबटाबाद, पेशावर, बारामूला, श्रीनगर, पुलवामा और जलालाबाद आएंगे।
किसके पास हैं कितने परमाणु हथियार
दुनिया के नौ देशों के पास परमाणु हथियारों से संपन्न हैं। फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स का अनुमान है कि 2019 तक नौ परमाणु हथियार संपन्न देशों के पास करीब 13890 न्यूक्लियर वारहेड्स हैं और परमाणु हथियारों का 90 प्रतिशत से ज्यादा जखीरा अमेरिका और रूस के पास है। यही नहीं दुनिया के प्रत्येक 10 परमाणु बमों में से 9 बम रूस और अमेरिका के हैं।
चार देशों ने 'रेडी टू यूज' स्तर पर तैनात किया है वारहेड्स
फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स के मुताबिक चार देशों ने अपने सैन्य ठिकानों और अंतरमहाद्विपीय मिसाइलों पर 3600 वारहेड्स लगा रखे हैं। ये न्यूक्लियर वारहेड्स परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने वाले सैन्य बलों के नियंत्रण में हैं। इनमें से 1800 वारहेड्स हाई अलर्ट पर हैं जिनका शॉर्ट नोटिस पर इस्तेमाल किया जा सकता है। रूस और अमेरिका ने 1600 वारहेड्स, फ्रांस ने 280 और ब्रिटेन ने 120 वारहेड्स तैनात कर रखे हैं। (साभार)
दरअसल, परमाणु युद्ध होने पर क्षेत्र में भयंकर तबाही होगी और यह किसी भी देश के हित में नहीं होगा। बुलेटिन ऑफ द एटमिक साइंटिस्ट्स द्वारा एकत्र डाटा यही इशारा करता है कि विगत वर्षों में परमाणु हथियारों के संग्रह पर होड़ में लगातार कमी आई है। जबकि फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट का कहना है कि 1990 के दशक की तुलना में परमाणु हथियारों में कटौती करने की गति में उल्लेखनीय कमी आई है और परमाणु हथियारों की मौजूदा तस्वीर शीत युद्ध के समय से कहीं बेहतर है। आइए एक नजर डालते हैं दुनिया में परमाणु हथियारों के प्रसार और इनके इस्तेमाल पर होने वाले प्रभावों पर-
एक-दूसरे को कहीं पर भी निशाना बनाने की क्षमता रखते हैं भारत-पाकिस्तान
भारत और पाकिस्तान दोनों के पास ऐसी मिसाइलें हैं जो एक-दूसरे के किसी भी क्षेत्र को परमाणु हथियारों से लैस अपनी मिसाइलों से निशाना बना सकते हैं। भारत के पास परमाणु हथियारों से लैस ऐसी बैलिस्टिक मिसाइलें हैं जो 350 किलोमीटर से से 5000 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक मार कर सकती हैं। भारत की मिसाइलों की जद में पूरा पाकिस्तान आता है। जबकि पाकिस्तान की मिसाइल 2750 किलोमीटर तक परमाणु हथियारों से हमला कर सकती है। इसकी मारक क्षमता के दायरे में भारत का अधिकांश क्षेत्र आता है।


100 केटी का परमाणु बम यदि दिल्ली पर गिरे तो...
दिल्ली के इंडिया गेट पर यदि 100 केटी की क्षमता वाला परमाणु बम गिरता है तो फॉयरबॉल (दायरा 0.79 किलोमीटर) के क्षेत्र में आने वाली सभी चीजें गैस में तब्दील हो जाएंगी यानि कि इंडिया गेट के 0.79 किलोमीटर के दायरे में आने वाली सभी चीजें विलुप्त हो सकती हैं। एयरब्लास्ट-1 का दायरा 3.21 किलोमीटर का होता है। इस दायरे में आने वालीं सभी इमारतें जमींदोज हो जाएंगी और सौ प्रतिशत तबाही होगी। इसका रेडिएशन 10.5 किलोमीटर तक फैलेगा जिससे 50 से 90 प्रतिशत तबाही होगी।
एयरब्रस्ट-2 के दायरे 14.2 किलोमीटर में आने वाली ज्यादातर इमारतें धराशायी हो जाएंगी। परमाणु हमले का थर्मल रेडिएशन 47.9 किलोमीटर तक फैलेगा और 100 प्रतिशत थर्ड डिग्री बर्न की आशंका रहेगी। एयरब्लास्ट-3 का दायरा 93.7 किलोमीटर का होता है। इस दायरे में इमारतों के कांच टूट जाएंगे। परमाणु हमले के विकिरण का प्रभाव बहुत कुछ हवा के बहाव पर निर्भर करेगा। परमाणु हमले से होने वाला विकिरण काफी दूर तक जाता है। दिल्ली पर गिरने वाले बम का विकिरण रेवाड़ी, रोहतक, हिसार, शहारनपुर, अलीगढ़, आगरा और अलवर तक को अपनी चपेट में ले लेगा।
क्या होता है एयरब्लास्ट
एयर ब्लास्ट हवा में कराया जाता है। परमाणु हमले के एयरब्लास्ट से मचने वाली तबाही अन्य विस्फोटों से कहीं ज्यादा भीषण और कई तरह का प्रभाव वाली होती है। एयरब्लास्ट के बाद वायु में बनने वाला गैस का दबाव एवं विकिरण बड़े पैमाने पर विध्वंस करता है। यह थर्मल रेडिएशन पैदा करता है। हिरोशिमा में परमाणु बम का एयरब्लास्ट हुआ था।
100 केटी का परमाणु बम इस्लामाबाद पर गिरने पर
इस्लामाबाद पर यदि 100 केटी का परमाणु बम गिरा तो वहां भी दिल्ली जैसी तबाही एवं बर्बादी देखने को मिलेगी। परमाणु हमले से पैदा होने वाले विकिरण के प्रभाव में एबटाबाद, पेशावर, बारामूला, श्रीनगर, पुलवामा और जलालाबाद आएंगे।

दुनिया के नौ देशों के पास परमाणु हथियारों से संपन्न हैं। फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स का अनुमान है कि 2019 तक नौ परमाणु हथियार संपन्न देशों के पास करीब 13890 न्यूक्लियर वारहेड्स हैं और परमाणु हथियारों का 90 प्रतिशत से ज्यादा जखीरा अमेरिका और रूस के पास है। यही नहीं दुनिया के प्रत्येक 10 परमाणु बमों में से 9 बम रूस और अमेरिका के हैं।
चार देशों ने 'रेडी टू यूज' स्तर पर तैनात किया है वारहेड्स
फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स के मुताबिक चार देशों ने अपने सैन्य ठिकानों और अंतरमहाद्विपीय मिसाइलों पर 3600 वारहेड्स लगा रखे हैं। ये न्यूक्लियर वारहेड्स परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने वाले सैन्य बलों के नियंत्रण में हैं। इनमें से 1800 वारहेड्स हाई अलर्ट पर हैं जिनका शॉर्ट नोटिस पर इस्तेमाल किया जा सकता है। रूस और अमेरिका ने 1600 वारहेड्स, फ्रांस ने 280 और ब्रिटेन ने 120 वारहेड्स तैनात कर रखे हैं। (साभार)
No comments:
Post a Comment