अरब देशों ने सैंकड़ों पाकिस्‍तानी डॉक्‍टरों की डिग्री मानी अमान्‍य, कहा- जल्‍द देश छोड़ दें

अरब देशों ने सैंकड़ों पाकिस्‍तानी डॉक्‍टरों की डिग्री मानी अमान्‍य, कहा- जल्‍द देश छोड़ दें, वरना...
आर.बी.एल. निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
जब से इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने हैं, लगता है सिर मुंडाते ओले पड़ने लगे। कर्ज में डूबी सरकार मिली, भारत से आतंकवाद की आड़ में छद्दम युद्ध करने वाली नीति ने विश्व में अलग-थलग कर दिया, भारत की तरफ से कभी सर्जिकल तो कभी एयर स्ट्राइक ने नाम में दम ही किया था कि अब तक कश्मीर के नाम से वहां के अवाम को गुमराह कर राज करने वालों को अगस्त 5 और 6 को भारतीय संसद के दोनों सदनों ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त कर बेचैन ही किया था। पाकिस्तान अभी इस जख्म से उभर भी नहीं पाया था कि अरब देशों ने ऐसी चोट मारी, जिसने पाकिस्तान डॉक्टरों के लिए संकट उत्पन्न कर दिया। अरब देशों ने जो पाकिस्तानी डॉक्टरों पर प्रश्नचिन्ह लगाया है, उसने विश्व के अन्य देशों में गए पाकिस्तानी डॉक्टरों पर सन्देह पैदा करवा दिया है। अरब देशों ने पाकिस्तानी डॉक्टरों की फर्जी डिग्रियाँ होने के कारण तुरन्त देश छोड़ने का आदेश दे दिया है। यानि पाकिस्तान में फर्जी डिग्रियां भी मिलती हैं। दूसरे अर्थों में कहा जाए फर्जीवाड़ा। स्पष्ट शब्दों में कहा जाए तो इमरान खान तो विश्व में पाकिस्तान की बेइज्जती कर रहे थे, जनता ने सोंचा हम भी क्यों पीछे रहे।


अरब देशों में काम कर रहे पाकिस्‍तानी डॉक्‍टरों के सामने एक अजब मुसीबत खड़ी हो गई है सऊदी अरब और कुछ अन्य अरब देशों ने पाकिस्तान के सदियों पुराने स्नातकोत्तर डिग्री कार्यक्रम- एमएस (मास्टर ऑफ सर्जरी) और एमडी (डॉक्टर ऑफ मेडिसिन) को अस्वीकार कर दिया है इस तरह उन्‍होंने इन डिग्री धारक डॉक्‍टरों को उच्चतम भुगतान की पात्रता सूची से हटा दिया है इस निर्णय ने कथित तौर पर पाकिस्‍तान के सैकड़ों उच्च योग्यता वाले डॉक्‍टरों की नौकरी पर संकट खड़ा कर दिया है इनमें से ज्‍यादातर सऊदी अरब में हैं, जिन्‍हें कह दिया गया है कि या तो वे खुद उनका देश छोड़ दें या फिर उन्‍हें निर्वासित कर दिया जाएगा
वहीं, भारत, मिस्‍त्र, सूडान और बांग्‍लादेश की डिग्रियों को वैधता प्रदान की है यानि इन देशों के डिग्रीधारक डॉक्‍टर वहां मेडिकल प्रैक्टिस जारी रख सकते हैं
पाकिस्तान के एमएस/एमडी की डिग्री को अस्वीकार करते हुए सऊदी स्वास्थ्य मंत्रालय ने दावा किया कि इसमें संरचित प्रशिक्षण कार्यक्रम का अभाव है, जो महत्वपूर्ण पदों के लिए मेडिक्स को रखने के लिए एक अनिवार्य आवश्यकता है। सऊदी सरकार के कदम के बाद, कतर, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन ने भी इसी तरह का कदम उठाया है
दरअसल, 2016 में सऊदी के स्वास्थ्य मंत्रालय की एक टीम ने अधिकतर प्रभावित डॉक्टरों को काम पर रखा था, जब उन्होंने ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित करने के बाद कराची, लाहौर और इस्लामाबाद में साक्षात्कार आयोजित किए थे

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