अखिलेश यादव को वेस्ट उत्तर प्रदेश में लगा झटका

Related imageImage result for सुरेंद्र नागरआर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सुरेंद्र नागर के राज्यसभा से इस्तीफा देने से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव को बड़ा झटका लगा है। सुरेंद्र नागर के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की चर्चा है। माना जा रहा है कि अगले दो-तीन दिन में वे भाजपा में शामिल हो जाएंगे। इससे न केवल सपा का गौतमबुद्ध नगर में अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर पहुंच गया है, बल्कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सपा के लिए संकट गहरा सकता है।
अखिलेश ने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी लोकसभा 2019 चुनाव में डूबने की कगार पर मायावती से गठबंधन करते ही मार थी। जो परिणामों से सिद्ध भी हो गया। जिस पिता, मुलायम सिंह, ने पार्टी को खड़ा करने के क्या नहीं किया। हिन्दू होते हुए रामभक्तों पर गोलियाँ चलवा दी, अपने परिवार को राजनीती में सम्मान दिलवाया, लेकिन अखिलेश बनते ही पार्टी को धरातल पर ले आये। अगर लोकसभा चुनाव अकेले भी लड़ा होता, पार्टी की स्थिति ख़राब नहीं होती, एक साख बनी रहती, परन्तु विधि के विधान को कौन मिटा सकता है।  
कई और बड़े नेता हो सकते हैं भाजपा में शामिल
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट और गुर्जर मतदाताओं की बड़ी संख्या है। बताया जा रहा है कि उनके साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश और गौतमबुद्ध नगर के कई और सपा नेता भाजपा में शामिल हो सकते हैं।सुरेंद्र नागर का गुर्जरों में काफी वजूद माना जाता है।  इससे भाजपा को दिल्ली और हरियाणा में भी फायदा होगा। इन दोनों राज्यों में भी गुर्जर काफी संख्या में हैं
तीन साल पहले ही दिया RS से इस्तीफा
सुरेंद्र नागर 2016 में सपा से राज्यसभा सदस्य बने थे। उनका अभी तीन वर्ष का कार्यकाल बाकी था। बताया जाता है कि पिछले करीब 15 दिन से भाजपाई उनसे संपर्क कर रहे थे। भाजपा हाईकमान के साथ कई बार की बैठक के बाद शुक्रवार को उन्होंने सपा को बड़ा झटका दे दिया। हालांकि, लोकसभा चुनाव के समय से ही सुरेंद्र नागर के भाजपा में शामिल होने की अटकलें लगाई जाने लगी थीं।
लोकसभा से सांसद भी रह चुके हैं सुरेंद्र नागर
सुरेंद्र नागर गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट से 2009 में सांसद चुने गए थे। 2014 में बसपा ने उनका टिकट काट दिया। इसके बाद उन्होंने सपा का दामन थाम लिया। उस समय सपा में नरेंद्र भाटी का एकछत्र राज चलता था। सुरेंद्र नागर के सपा में आ जाने से गौतमबुद्ध नगर व बुलंदशहर में सपा की राजनीति इन्हीं दोनों के इर्द-गिर्द घूमने लगी। इससे अखिलेश यादव के लिए मुसीबत बढ़ने जा रही है।
टिकट बंटवारे को लेकर थे नाराज
लोकसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र भाटी के भी भाजपा में शामिल होने की चर्चाएं हुई थीं। उनके छोटे भाई व पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष बिजेंद्र भाटी समेत कई अन्य नेता पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे, लेकिन नरेंद्र भाटी भाजपा में शामिल नहीं हुए थे। हालांकि, उनके परिवार के लोग भाजपा में शामिल हो गए। लोकसभा चुनाव में बसपा-सपा प्रत्याशी का उन्होंने विरोध किया।
लोकसभा चुनाव के दौरान भी लगा था सपा को झटका
अब सुरेंद्र नागर के भाजपा में जाने से सपा के पास पार्टी का अस्तित्व बचाने वाला कोई नेता नहीं बचा है। बताया जाता है कि सुरेंद्र नागर के साथ सपा के सभी बड़े नेता भाजपा में शामिल हो जाएंगे। गाजियाबाद, बुलंदशहर व मेरठ से भी उनके समर्थक भाजपा का दामन थामेंगे। भाजपा ने गुर्जरों को पूरी तरह से अपनी तरफ मोड़ने के लिए कई बड़े गुर्जर नेताओं को पार्टी में शामिल करा दिया। इससे पहले पूर्व मंत्री वेदराम भाटी, पूर्व मंत्री रामसकल गुर्जर भी लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा में शामिल हो गए थे।
बागपत व बुलंदशहर की राजनीति में भी दखल रखते हैं सुरेंद्र नागर
सुरेंद्र नागर मूलरूप से बागपत जिले के मेहरमपुर गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता चौधरी वेदराम नागर को मिल्क किंग के नाम से जाना जाता है। सुरेंद्र नागर के परिवार का गुलावठी में दूध का कारोबार है। वहीं नोएडा व ग्रेटर नोएडा में उनके मकान है। इससे उनका गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर व बागपत से सीधा लगाव है। तीनों जिलों की राजनीति में उनका दखल रहता है।

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