
भागवत गीता में लिखा है, "विनाश काले, विपरीत बुद्धि", जो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पर शत-प्रतिशत सटीक बैठ रही है। इमरान से पूर्व जितने भी प्रधानमंत्री रहे, सबको मालूम था, कि पाकिस्तान में फौज के संरक्षण में आतंकवाद पल रहा है, लेकिन किसी ने अपना मुँह नहीं खोला। विपरीत इसके भारत पर ही आरोप लगाते रहे, परन्तु क्रिकेटर से नेता बने इमरान ने सबकुछ गुड़-गोबर कर दिया। एक तरफ, पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की तरफ से आतंकी गतिविधियों को समाप्त करने की चेतावनी मिली होने बावजूद अमेरिका में स्पष्ट बोल दिया कि "पाकिस्तान में 40 के करीब आतंकी संगठन और 40,000 आतंकी सक्रीय हैं।" इमरान के इस वयक्तत्व ने सिद्ध कर दिया कि पाकिस्तान ही आतंकवाद की आरामगृह है और पाकिस्तान सरकार आतंकवाद को समाप्त करने में पूर्णरूप से असफल है।
आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहे पाकिस्तान को अब कौन और किस आधार पर वित्तीय सहायता देगा? यानि पाकिस्तान क्या भुखमरी का शिकार होगा? जिस आतंकवाद की आड़ में पाकिस्तान भारत को इस्लामिक बनाने की कवायद में जुटा हुआ था, वही आतंकवाद पाकिस्तान को खा गया और इस पर निम्न शेर स्मरण होता है, जो भागवत गीता के सन्देश की भाँति सत्य सिद्ध हो रहा है:-
"पहने थे हार, गला अपना सजाने को,
बन गए हैं सांप, आज हमें डस जाने को।"
आतंकवाद का समर्थन करने और आतंकी संगठनों को फंडिंग करने वाले पाकिस्तान को एक और बड़ा झटका मिला है। शुक्रवार((अगस्त 23) को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के एशिया प्रशांत क्षेत्र ग्रुप (एपीजी) ने पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट की सूची में डाल दिया है। ऐसा पाकिस्तान की ओर से टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग रोकने के 40 मानकों में से 32 मानकों में फेल होने पर किया गया है।
एफएटीएफ की ओर से ब्लैकलिस्ट की सूची में डाले जाने से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर और बुरा असर होगा। अब पाकिस्तान को वैश्विक स्तर कर्ज लेने में और मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। अभी पाकिस्तान वैसे भी कंगाली के दौर से गुजर रहा है। कश्मीर मुद्दे पर उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेइज्जती भी झेलनी पड़ रही है।
रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान आतंकवाद से लड़ने के लिए अपने कमिटमेंट में विफल रहा है। ये कदम एपीजी की बैठक में उठाया गया है। ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा में हो रही एपीजी की बैठक का शुक्रवार(अगस्त 23) को अंतिम दिन था। एफएटीएफ जी-7 देशों के ओर से संस्थापित अंतरसरकारी संगठन है। इसकी स्थापना 1989 में मनी लॉन्ड्रिंग से लड़ने के लिए किया गया था। 2001 में इसने आतंकी फंडिंग से भी लड़ने को लेकर काम शुरू किया था। इसका सचिवालय पेरिस में है।
अवलोकन करें:-
इतिहास साक्षी है, जब-जब भारत ने पाकिस्तान से दोस्ती का हाथ बढ़ाया, भारत को मिला, कारगिल, पठानकोट, उरी और अब पुलवामा। ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो से लेकर पता नहीं कितने नेता भारत से हज़ार सालों तक लड़ने की बात कह चुके हैं। जो प्रमाणित करता है कि पाकिस्तान दोस्ती के काबिल ही नहीं।
APG की फाइनल रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान टेरर फंडिंग के ख़िलाफ़ सुरक्षा उपायों के लिए 11 मापदंडों में से 10 को पूरा करने में विफल रहा है। APG ने यह भी पाया है कि इस्लामाबाद की तरफ से कई मोर्चों पर खामियाँ हैं। साथ ही मनी लॉड्रिंग और टेरर फंडिंग को रोकने के लिए पाकिस्तान की तरफ से की जाने वाली कोशिशों में तमाम ख़ामियाँ हैं। पाकिस्तान की तरफ से 50 पैमानोंं पर सुधार के दावों को लेकर कोई समर्थन नहीं मिल रहा है। बता दें कि APG एक अंतर सरकारी संगठन है जो क्षेत्र में टेरर फंडिंग और मनी लॉड्रिंग पर नज़र रखता है।
FATF ने जून, 2018 में पाकिस्तान को संदिग्ध सूची में डाल दिया था। इसका कारण अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी और इंग्लैंड द्वारा दबाव बनाया जाना था। आपको बता दें कि FATF की ओर से ब्लैक लिस्ट करने का मतलब होता है कि उक्त देश मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादियों को वित्तपोषण के ख़िलाफ़ मुहीम में अपना सहयोग नहीं कर रहा है।
अगर पाकिस्तान को FATF द्वारा भी ब्लैक लिस्ट कर दिया गया तो उसे वर्ल्ड बैंक, IMF, ADB, यूरोपियन यूनियन जैसी संस्थाओं से क़र्ज़ मिलना मुश्किल पड़ जाएगा। इसके अलावा मूडीज, स्टैंंडर्ड एंड पूअर और फिच जैसी एजेंसियाँ उसकी रेटिंग भी घटा सकती हैं।
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