
यही वजह है कि वर्मा की हत्या के प्रयास जैसे सनसनीखेज मामले की सुनवाई 15 साल बाद भी शुरू नहीं हो पाई है। कई तरह की सर्जरी और महीनों अस्पताल में भर्ती रहे आईपीएस अधिकारी राम लाल वर्मा की जान संयोगवश बच गई। आखिरकार कई गोलियों से उन्हें मिले जख्म भर गए। उस नृशंस हमले को याद करते हुए वर्मा ने कहा कि उन्हें उन्नाव में गंगा किनारे माफिया गिरोह द्वारा करवाए जा रहे अवैध रेत खनन के बारे में गुप्त सूचना मिली थी। जब वह खनन स्थल पर पहुंचे तो अतुल सेंगर और उसके गर्गे ने पुलिस पर गोलीबारी शुरू कर दी। वर्मा ने कहा, "मुझे चार गोलियां मारी गईं (छाती के पास और पेट में)। मेरी किस्मत अच्छी थी कि मुझे समय पर एक अस्पताल ले जाया गया। उस गोलीबारी में कुलदीप सेंगर, भाई अतुल और उनके कई गुर्गे शामिल थे।"
उनके मुताबिक, चार बार के विधायक कुलदीप सेंगर अपने रसूख की बदौलत मामले की जांच और मुकदमे की सुनवाई को प्रभावित किया करते थे। उन्होंने जोर देकर कहा, "मुकदमे की स्थिति का पता लगाने के लिए मुझे आरटीआई फाइल करनी पड़ी थी। एक आईपीएस अधिकारी होने के बावजूद मेरे साथ जो हुआ, वह बेहद निराश करने वाला है। मुझे ड्यूटी निभाते समय लगभग मार ही दिया गया था। मगर उस मामले की सुनवाई अभी तक शुरू नहीं हुई है।" उन्होंने कहा, "मैं एक प्रशिक्षण के सिलसिले में अभी चेन्नई में हूं।मैं जब कानपुर पहुंचूंगा, तब आपको इस मामले की जांच की प्रगति से जुड़े सभी ब्योरे उपलब्ध कराऊंगा।"
वर्मा के बेटे अभिषेक वर्मा भी उत्तर प्रदेश कैडर के 2016 बैच के आईपीएस अधिकारी के रूप में चयनित हो गए। शीर्ष पुलिस परिवार से होने के बावजूद वर्मा न्याय पाने और अपने मुकदमे की सुनवाई के लिए अपने बेटे के साथ मिलकर संघर्ष कर रहे हैं। राम लाल वर्मा के एक बैच मित्र व यूपी में पदस्थ एक डीआईजी ने कहा, "सच तो यह है कि सेंगर उत्तर प्रदेश में शक्तिशाली राजनेता होने के नाते इस मामले की जांच रुकवाने में कामयाब रहे हैं। महत्वपूर्ण केस डायरियां चोरी हो चुकी हैं। गवाहों को धमका दिया गया है। दुख की बात यह है कि ये सब उस मुकदमे में हो रहा है, जिसमें एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी पीड़ित है। भारत के प्रधान न्यायाधीश को भी वर्मा के मामले पर संज्ञान लेना चाहिए।"
वर्मा के बैच मित्र ने आगे खुलासा किया कि राज्य में रेत खनन का धंधा चलानेवालों पर प्रभुत्व रखने वाले सेंगर के खिलाफ कार्रवाई करने से वरिष्ठ पुलिस अधिकारी तक डरते हैं। पुलिस रिकार्ड से पता चलता है कि अतुल सेंगर के खिलाफ उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के पिता की बेरहमी से हत्या सहित कई भयानक आपराधिक मामले दर्ज हैं। हाल यह है कि लोकायुक्त ने सेंगर के खिलाफ 125 करोड़ के खनन घोटाले की जांच के जो आदेश दिए हैं, उसे भी अधिकारियों द्वारा दबाया जा रहा है। आईजी रैंक के एक अधिकारी ने नाम जाहिर न करने का आग्रह करते हुए बताया, "कुलदीप सेंगर जातीय राजनीति करनेवाले नेताओं के अत्यंत प्रभावशाली गुट के हिस्सा हैं। इसी नाते वह हर शासनकाल में शक्तिमान रहे हैं, राजनीतिक विचारधारा उनके लिए कोई मायने नहीं रखता।"
पुलिस पर भी सवाल
एफआईआर में कहा गया है कि सुरक्षा में तैनात एक पुलिसकर्मी ही पीड़िता के हर पल की जानकारी कुलदीप सिंह सेंगर को देता था।
कुलदीप सिंह सेंगर उन्नाव के बांगरमऊ से विधायक हैं। वह रेप के मामले में एक साल से जेल के अंदर हैं।पीड़िता ने आरोप लगाया था कि कुलदीप सिंह सेंगर ने उसके साथ रेप किया जब वह उनके घर 2017 में नौकरी की तलाश में गई थी। इसके बाद उसके पिता को पुलिस पकड़ ले गई जहां हिरासत के दौरान उनकी मौत हो गई। मौत के पहले कुलदीप सिंह सेंगर के भाई अतुल सेंगर और उनके लोगों ने पुलिस हिरासत में ही पिता की पिटाई की थी। अतुल सिंह सेंगर को भी हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया है।
अवलोकन करें:-
No comments:
Post a Comment