धर्मांतरण पर सख़्त हुई मोदी सरकार

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आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
मोदी सरकार ने धर्मान्तरण के ख़िलाफ़ सख़्त क़दम उठाते हुए सभी ग़ैर-सरकारी संगठनों के लिए ‘विदेशी योगदान विनियम अधिनयम (FCRA)’ के नियमों को कड़ा कर दिया है। केंद्र सरकार ने कहा कि एफसीआरए रेजिस्ट्रेशन की चाह रखने वाले ग़ैर-सरकारी संगठनों के सभी कार्यकर्ताओं व सदस्यों को एक एफिडेविट दायर कर इस बात की पुष्टि करनी होगी कि वे किसी भी प्रकार के धर्मान्तरण के कार्यों में लिप्त नहीं हैं और उनके ख़िलाफ़ सांप्रदायिक तनाव सम्बन्धी कोई मामला दर्ज नहीं है।
इससे धर्मान्तरण में लिप्त एनजीओ व उनके कार्यकर्ताओं को तगड़ा झटका लगा है। साथ ही सांप्रदायिक तनाव भड़काने वाले एनजीओ व उनके सदस्यों को भी एफआरसीए रजिस्ट्रेशन नहीं प्राप्त होगा। इससे उन्हें विदेश से फंड या चंदा नहीं मिल सकेगा। 2011 के नियमों के मुताबिक़, सिर्फ़ एनजीओ के शीर्ष पदाधिकारियों को ही ऐसा एफिडेविट दायर करना होता था लेकिन 2019 में हुए दूसरे संशोधन के बाद अब सभी कार्यकर्ताओं व सदस्यों के लिए इसे अनिवार्य कर दिया गया है।
एफसीआरए के लिए गृह मंत्रालय से अनुमति की ज़रूरत होती है। नए नियमों के अनुसार, अब एक लाख रुपए तक के निजी उपहार प्राप्त करने वालों के लिए सरकार को लिखित जानकारी देना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके पहले ये राशि 25 हजार रुपए थी, जिसे अब बढ़ा दिया गया है। एनजीओ के कार्यकर्ताओं को हलफनामा दायर कर इसकी भी पुष्टि करनी होगी वे विदेशी चंदे का उपयोग राष्ट्रद्रोह वाले कार्यों के लिए नहीं करेंगे।
सरकार को एनजीओस के समस्त कार्यकलापों की भी जाँच करनी चाहिए। जिस प्रकार आज जनसेवा एक व्यापार बन चुकी है, उसी तर्ज पर एनजीओ चलाना एक व्यापार का रूप धारण कर चुका है।  जैसाकि सर्वविदित है कि बिना किसी राजनीतिक संरक्षण प्राप्त किए कोई एनजीओ न बनता है और न ही हरकत में आ पाता है। कोई RWO, तो कोई कैंसर के नाम पर, कहीं गरीबों को मुफ्त पुस्तकें वितरण, आदि आदि। जब आज सरकार बिमारियों पर उपचार उपलब्ध करा रही है, निर्धन छात्र-छात्राओं को ड्रेस, जूते और पुस्तकें उपलब्ध करा रही है, विद्यार्थिओं से फॉर्म के साथ पुस्तकों की लिस्ट मांगी जाती है, परन्तु सूची के अनुसार समस्त पुस्तकें नहीं दी जाती, लेकिन खर्चे में दुकानदार से साठगांठ कर सूची के अनुसार बिल डाल दिया जाता है। यानि भ्रष्टाचार।   

इसके अलावा अब विदेश में इलाज कराने के लिए भी हलफनामा दायर करना पड़ेगा। अगर कोई व्यक्ति विदेशी यात्रा पर है और उसे इस दौरान इमरजेंसी में विदेशी इलाज की ज़रूरत पड़ती है या फिर उसे विदेशी मदद मिलती है तो उसे एक महीने के भीतर सरकार को इसकी सूचना देनी होगी। सरकार को दी गई सूचना में उसे स्पष्ट करना पड़ेगा कि इस फंडिंग का सोर्स क्या है, भारतीय मुद्रा में उसकी वैल्यू क्या है और इसका इस्तेमाल कहाँ-कहाँ और किन-किन कार्यों में किया गया?
अभी तक कुल 18,000 ऐसे एनजीओ हैं, जिनका विदेशी चन्दा प्राप्त करने का अधिकार ख़त्म कर दिया गया है। धर्म परिवर्तन कराने वाले और राष्ट्रद्रोही गतिविधियों में शामिल रहने वाले एनजीओ पर शिकंजा कस्ते हुए सरकार एक के बाद एक क़दम उठा रही है।
गुजरात में दलित हिन्दुओं का धर्म परिवर्तन
 
गुजरात के उना में कथित तौर पर गोरक्षकों से पीड़ित दलितों के एक समूह ने रविवार (29 अप्रैल,2018) को हिन्दू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया। इसके लिए उना तालुका के मोटा समाधियाला गांव में बौद्ध धर्म का एक आयोजन किया गया जिसमें उना मामले के पीड़ित परिवार समेत करीब 400 दलितों ने बौद्ध धर्म अपनाया। पीड़ित परिवार के बालू सरवैया ने समुदाय के बाकी लोगों का स्वागत किया। बालू सरवैया के बेटे रमेश सरवैया ने मीडिया को बताया कि उसके घरवालों, गांव के 50 घरों के लोगों और पूरे गुजरात से करीब 300 दलितों ने आज (रविवार को) हिन्दू-दलित के तौर पर किए जा रहे भेदभाव से पीड़ित होने पर बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया। पीड़ित परिवार के वशराम सरवैया ने कहा- ”डेढ़ साल हो गए हमें हम पर किए गए अत्याचारों को लेकर न्याय नहीं मिला और हमसे लगातार भेदभाव किया जा रहा है। इसलिए हमने आज बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया।” इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक पीड़ित परिवार और बाकी दलितों ने धर्म परिवर्तन के दौरान कसम खाई कि वे हिन्दू देवी-देवताओं में विश्वास नहीं करेंगे और केवल बौद्ध धर्म की मान्यताओं को मानेंगे। धर्म परिवर्तन के बाद लोगों ने कहा कि यह उनका दूसरा जन्म है।
राजस्थान: दस रुपए में हुआ धर्म परिवर्तन?
जोधपुर में दस रुपए में धर्म परिवर्तन वाले केस में राजस्थान हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की कोर्ट ने कहा है कि सिर्फ निकाह करने से धर्म परिवर्तन नहीं हो सकता दरअसल पायल नाम की एक लड़की के भाई चिराग सिंघवी का आरोप है कि 10 रुपये के स्टांप पेपर पर दस्तखत करवाकर उसकी बहन का धर्म परिवर्तन कराया गया हैइस बारे में कोर्ट ने राजस्थान सरकार से जवाब मांगा है कि वह बताए कि धर्म परिवर्तन का नियम-कानून क्या है?
क्या है पूरा मामला

जोधपुर में एक हिंदू लड़की घर से भागकर मुसलमान बन गई इसके बाद परिवार हाईकोर्ट पहुंचा तो खुलासा हुआ कि दस रुपये के स्टांप पेपर पर हस्ताक्षर कराकर पायल सिंघवी नाम की हिंदू लड़की आरिफा बन गई। परिवार का आरोप है कि बहला फुसलाकर पायल का धर्म परिवर्तन कराया गया है
पायल के घरवालों के मुताबिक, वो 25 अक्टूबर तक घर में ही रह ही थी, अचानक वो गायब हो गईपरिवार जब पुलिस के पास पहुंचा तो पता चला कि पायल मुसलमान बन चुकी है और 14 अप्रैल 2017 को उसका निकाह फैज मोदी के साथ हो चुका है
धर्म परिवर्तन करने के लिए देश में कोई नियम क्यों नहीं है?- हाईकोर्ट
इसपर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि जब कोई इंसान अपना नाम बदलता है तो उसके लिए नियम कायदे हैं, तो फिर धर्म परिवर्तन करने के लिए देश में कोई नियम क्यों नहीं है? अगर है तो क्या हैं? बताया जाएं
कोर्ट ने यह भी कहा है कि सिर्फ निकाह करने से धर्म परिवर्तन नहीं हो सकता कल तो कोई भी कह देगा कि मैं मुसलमान हो गया, अगले दिन ईसाई और फिर तीसरे दिन हिंदू बन गया ये तो नहीं हो सकताइसके लिए कोई ना कोई नियम या कानून तो होगा
न्यायाधीश गोपाल कृष्ण व्यास ने की तल्ख टिप्पणी
न्यायाधीश गोपाल कृष्ण व्यास ने तल्ख टिप्पणी करते हुए यहां तक कह दिया कि कल मैं भी दस रुपए में शपथ पत्र पर स्वयं को गोपाल मोहम्मद लिख सकता हूं क्या?
कोर्ट ने पायल को नारी निकेतन भेजने का आदेश दिया
लड़की के भाई चिराग सिंघवी की अर्जी पर राजस्थान हाईकोर्ट ने पायल उर्फ आरिफा को नारी निकेतन भेजने और पुलिस को पूरी जांच करके रिपोर्ट देने के आदेश दिए हैं कोर्ट ने कहा कि निकाहनामा में जो गवाह हैं और कोर्ट में जो शपथ पत्र दिया है वो अलग अलग है ऐसे में फैज मोदी की तरफ से पेश किए गए दस्तावेज फर्जी लग रहे हैं फिलहाल इस मामले के सामने आने के बाद धर्म परिवर्तन को लेकर बड़ी बहस छिड़ गई है
।(एजेंसीज इनपुट्स)

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