आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
आम आदमी पार्टी संयोजक और दिल्ली अरविन्द केजरीवाल आखिर दिल्ली ही नहीं देश को किस साम्प्रदायिक आग में झोंकना चाहा रहे हैं? कभी हिन्दू-मुस्लिम की बात करते हैं तो अब चाँदनी चौक स्थित भाई मतिदास चौक को समाप्त करने की बात करते हैं। आखिर किसके के इशारे पर केजरीवाल साम्प्रदायिकता की आग लगाने का प्रयास कर रहे हैं? क्या भारत के वास्तविक इतिहास से अज्ञान हैं या फिर अज्ञान बनने का प्रयास कर मासूम जनता को साम्प्रदायिकता की आग में झोंकने की तैयारी कर रहे हैं? केजरीवाल भूल रहे हैं कि भाई मतिदास की निशानियों को छूते ही ऐसी आग लगेगी, जिसे बुझाना केजरीवाल के काबू से बाहर होगी। फिर वही बात किसके इशारे पर केजरीवाल ने इस भयंकर आग को लगाने की बात सोंची?
‘इस्लामिक कट्टरता के खिलाफ खड़े भाई मतिदास चौक को नष्ट करने की योजना बना रही है केजरीवाल सरकार’
अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के खिलाफ पुरानी दिल्ली में प्रस्तावित बदलावों को लेकर हल्ला बोला है। दिल्ली सरकार इन दिनों चाँदनी चौक और उसके आसपास के इलाकों में बदलाव का खाका तैयार करने में इतना व्यस्त है कि उन्हें अतिक्रमण और धार्मिक स्थल में कोई अंतर नहीं दिखाई पड़ता। यही वजह है कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्त्व वाले भाई मतिदास चौक को ध्वस्त करने का प्लान तैयार किया जा रहा है। सिरसा ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट से एक वीडियो ट्वीट किया।
इस वीडियो में अपनी बात रखते हुए सिरसा ने बताया कि दिल्ली सरकार ने सचिवालय की एक बैठक में यह प्रस्ताव रखा है कि पुरानी दिल्ली में ऐतिहासिक महत्त्व वाले हिन्दुओं और सिखों के पवित्र धार्मिक स्थल को गिराने की योजना बनने जा रही है। इतना ही नहीं सिरसा बोले कि इससे पहले अरविन्द केजरीवाल की सरकार ऐसा करने की कोशिश कर चुकी है, चाँदनी चौक में दिल्ली सरकार पियाउ साहिब गुरुद्वारा भी ध्वस्त करने की ओर अग्रसर थी मगर हाईकोर्ट के आदेश के बाद ऐसा नहीं होने दिया गया।
दिल्ली सरकार ने चाँदनी चौक इलाके में विकास कार्यों के लिए एक बैठक बुलाई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बैठक में विकास के लिए कई ऐसी इमारतों को हटाने का भी प्रस्ताव रखा गया था इसमें चाँदनी चौक इलाके का पागल बाबा मंदिर और भाई मतिदास चौक जैसी कई धरोहर शामिल हैं। केजरीवाल सरकार अपने इस कदम से पुरानी दिल्ली के चाँदनी चौक को एक खूबसूरत शक्ल देने का दावा कर रही है।
भाई मतिदास चौक एक ऐतिहासिक घटनास्थल है जहाँ भाई मतिदास ने मुगलों के इस्लामिक कट्टरपंथ के दांत खट्टे कर दिए थे। उन्होंने इस्लाम के आगे समर्पण करने की बजाय हिन्दुओं की रक्षा में अपने प्राण त्याग दिए थे। भाई मतिदास सिखों के नौंवे गुरु तेगबहादुर जी के प्रधानमंत्री थे। मुग़ल शासक औरंगजेब ने उन्हें जीवित रहने के बदले इस्लाम स्वीकार कर उसको फ़ैलाने और उसका प्रचार प्रसार करने की पेशकश की थी मगर सिखों की आस्था की रक्षा के लिए आगे आए भाई मतिदास ने इससे साफ़ इनकार कर दिया। इस्लाम की दावत ठुकरा देने पर मुग़ल बादशाह ने उन्हें जान से मारने का आदेश दे दिया।
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9 अगस्त 1675 को औरंगजेब ने उन्हें पुरानी दिल्ली के चाँदनी चौक इलाके में दो खम्भों के बीच रस्सी से बाँधकर आरी से काटने का हुक्म दिया था। उल्लेखनीय है कि आखिरी वक़्त पर भी उनसे जब उनकी आखिरी ख्वाइश पूछी गई तो उन्होंने जान बचाने के लिए इस्लाम स्वीकार नहीं किया बल्कि उन्होंने कहा कि ‘जब मुझे काटा जाए तो मेरा चेहरा अपने गुरु तेगबहादुर की तरफ रहे’। इस्लामिक कट्टरता के खिलाफ हिन्दुओं की आस्था को बचाए रखने के लिए शहीद हुए भाई मतिदास को उनकी मौत के 344 साल बाद आज भी पूरी आस्था के साथ याद किया जाता है।
आम आदमी पार्टी संयोजक और दिल्ली अरविन्द केजरीवाल आखिर दिल्ली ही नहीं देश को किस साम्प्रदायिक आग में झोंकना चाहा रहे हैं? कभी हिन्दू-मुस्लिम की बात करते हैं तो अब चाँदनी चौक स्थित भाई मतिदास चौक को समाप्त करने की बात करते हैं। आखिर किसके के इशारे पर केजरीवाल साम्प्रदायिकता की आग लगाने का प्रयास कर रहे हैं? क्या भारत के वास्तविक इतिहास से अज्ञान हैं या फिर अज्ञान बनने का प्रयास कर मासूम जनता को साम्प्रदायिकता की आग में झोंकने की तैयारी कर रहे हैं? केजरीवाल भूल रहे हैं कि भाई मतिदास की निशानियों को छूते ही ऐसी आग लगेगी, जिसे बुझाना केजरीवाल के काबू से बाहर होगी। फिर वही बात किसके इशारे पर केजरीवाल ने इस भयंकर आग को लगाने की बात सोंची?

अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के खिलाफ पुरानी दिल्ली में प्रस्तावित बदलावों को लेकर हल्ला बोला है। दिल्ली सरकार इन दिनों चाँदनी चौक और उसके आसपास के इलाकों में बदलाव का खाका तैयार करने में इतना व्यस्त है कि उन्हें अतिक्रमण और धार्मिक स्थल में कोई अंतर नहीं दिखाई पड़ता। यही वजह है कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्त्व वाले भाई मतिदास चौक को ध्वस्त करने का प्लान तैयार किया जा रहा है। सिरसा ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट से एक वीडियो ट्वीट किया।
इस वीडियो में अपनी बात रखते हुए सिरसा ने बताया कि दिल्ली सरकार ने सचिवालय की एक बैठक में यह प्रस्ताव रखा है कि पुरानी दिल्ली में ऐतिहासिक महत्त्व वाले हिन्दुओं और सिखों के पवित्र धार्मिक स्थल को गिराने की योजना बनने जा रही है। इतना ही नहीं सिरसा बोले कि इससे पहले अरविन्द केजरीवाल की सरकार ऐसा करने की कोशिश कर चुकी है, चाँदनी चौक में दिल्ली सरकार पियाउ साहिब गुरुद्वारा भी ध्वस्त करने की ओर अग्रसर थी मगर हाईकोर्ट के आदेश के बाद ऐसा नहीं होने दिया गया।
दिल्ली सरकार ने चाँदनी चौक इलाके में विकास कार्यों के लिए एक बैठक बुलाई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बैठक में विकास के लिए कई ऐसी इमारतों को हटाने का भी प्रस्ताव रखा गया था इसमें चाँदनी चौक इलाके का पागल बाबा मंदिर और भाई मतिदास चौक जैसी कई धरोहर शामिल हैं। केजरीवाल सरकार अपने इस कदम से पुरानी दिल्ली के चाँदनी चौक को एक खूबसूरत शक्ल देने का दावा कर रही है।
This is what happened at Bhai Mati Das Chowk also known as fountain Chowk in Chandni Chowk. Why does @ArvindKejriwal wants to remove this area of significance? pic.twitter.com/yc4WPZDPhF— #JeSuisKamlesh (@indiantweeter) October 22, 2019
Earlier, @AamAadmiParty govt demolished our Piau Sahib and we restored it with Order from High Court.— Manjinder S Sirsa (@mssirsa) October 21, 2019
Don’t you dare to even look at our religious structures this time @ArvindKejriwal @SatyendarJain @ANI @ABPNews @News18India @thetribunechd @TimesNow @republic pic.twitter.com/oq4PSx5HOb
भाई मतिदास चौक एक ऐतिहासिक घटनास्थल है जहाँ भाई मतिदास ने मुगलों के इस्लामिक कट्टरपंथ के दांत खट्टे कर दिए थे। उन्होंने इस्लाम के आगे समर्पण करने की बजाय हिन्दुओं की रक्षा में अपने प्राण त्याग दिए थे। भाई मतिदास सिखों के नौंवे गुरु तेगबहादुर जी के प्रधानमंत्री थे। मुग़ल शासक औरंगजेब ने उन्हें जीवित रहने के बदले इस्लाम स्वीकार कर उसको फ़ैलाने और उसका प्रचार प्रसार करने की पेशकश की थी मगर सिखों की आस्था की रक्षा के लिए आगे आए भाई मतिदास ने इससे साफ़ इनकार कर दिया। इस्लाम की दावत ठुकरा देने पर मुग़ल बादशाह ने उन्हें जान से मारने का आदेश दे दिया।
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