
बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि वो ऐसे किसी भी राय से इत्तेफ़ाक़ नहीं करते, जिनमें टीपू सुल्तान को स्वतंत्रता सेनानी बताया जाता है। इससे पहले मुख्यमंत्री ने कन्नड़ एंड कल्चरल डिपार्टमेंट को आदेश दिया था कि टीपू सुल्तान की जयंती नहीं मनाई जाए। जुलाई के अंतिम हफ्ते में हुई कैबिनेट मीटिंग में कर्नाटक सरकार ने इस फ़ैसले पर मुहर लगा दी थी। मुख्यमंत्री का कहना है कि टीपू सुल्तान पाठ्यक्रम में पढ़ाए जाने के काबिल नहीं है।
इससे पहले भाजपा विधायक अप्पाचु रंजन ने एक पत्र लिख कर कर्नाटक के सिलेबस से टीपू सुल्तान से जुड़ा चैप्टर हटाने की माँग की थी। इसके बाद राज्य के शिक्षा मंत्री सुरेश कुमार ने अधिकारियों को निर्देश दिया था कि टीपू सुल्तान से जुड़े चैप्टर को हटाने को लेकर रिपोर्ट तैयार की जाए। कर्नाटक टेक्स्ट बुक सोसाइटी के मैनेजिंग डायरेक्टर को पत्र लिख कर मंत्री ने विधायक रंजन के साथ बैठक कर उनका पक्ष सुनने और उस पर विचार करने को कहा था। उन्होंने हिस्ट्री टेक्स्ट बुक ड्राफ्टिंग कमिटी की बैठक बुला कर इस चैप्टर की समीक्षा के निर्देश दिए थे।
Karnataka Chief Minister, BS Yediyurappa: About Tipu Jayanti, we are going to drop everything and we are also thinking to drop everything in the textbooks about him. pic.twitter.com/sAGcsqOUVv— ANI (@ANI) October 30, 2019
भाजपा विधायक रंजन ने कहा कि टीपू सुल्तान ने हजारों ईसाईयों व कोडवा समुदाय के लोगों को जबरन इस्लाम कबूल करवाया था। साथ ही उन्होंने बताया कि टीपू ने अपने शासनकाल के दौरान फ़ारसी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया था। साथ ही उन्होंने टीपू सुल्तान के स्वतंत्रता सेनानी होने के दावों का भी खंडन किया। उन्होंने कहा कि बिना इतिहास के तथ्यों को जाने हुए उसके नाम को पाठ्यक्रम में घुसेड़ दिया गया और उसे जबरदस्ती महिमामंडित किया गया। विधायक ने बताया कि इस चैप्टर में लिखी गई बातें झूठ हैं।
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