
सूत्रों के अनुसार नायडू ने विशाखापत्तनम जिले में एक रैली को संबोधित करते हुए एनडीए सरकार छोड़ने के अपने फैसले पर खेद व्यक्त किया। इससे पहले नायडू कॉन्ग्रेस के साथ गठबंधन के फैसले पर भी खेद जता चुके हैं। उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस के साथ हाथ मिलाना बहुत बड़ी गलती थी, मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
टीडीपी पार्टी अध्यक्ष ने शनिवार (अक्टूबर 12, 2019) को यह भी स्वीकार किया कि मई 2018 में नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार से बाहर होने के फैसले ने इस साल विधानसभा और लोकसभा चुनावों में उनकी पार्टी को बड़ा झटका दिया। नायडू ने कहा कि आंध्र के लिए विशेष दर्जे की माँग को बल देने के लिए उन्होंने मोदी सरकार से अलग होने का फैसला किया था। लेकिन यह टीडीपी को भारी पड़ा।
एनडीए से अलग होने के बाद नायडू विपक्षी मोर्चा बनाने के लिए सबसे ज्यादा सक्रिय नजर आए थे। यहॉं तक आम चुनावों के बाद जब एक्जिट पोल बता रहे थे कि मोदी सरकार लौट रही है तब भी उन्हें एनडीए के हार की उम्मीद थी। नतीजों के ठीक पहले तक वे गैर एनडीए दलों को साथ लाने की कवायद में जुटे हुए थे।
हालॉंकि अपने पूर्व के फैसले पर अफसोस जताए जाने के बावजूद एनडीए में नायडू की वापसी के आसार नहीं दिख रहे। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “अमित शाह ने उसी वक्त नायडू से कह दिया था कि उनकी पार्टी के लिए राजग के दरवाजे अब बंद हो चुके हैं।”
2019 के चुनावी पराजयों के बाद टीडीपी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही। उसके कई बड़े नेता बीजेपी का दामन थाम चुके हैं। जून में पार्टी के छह राज्यसभा सांसदों में से चार भाजपा में शामिल हो गए थे। चंद्रबाबू जिस महागठबंधन कर अहम् भूमिका में दिख रहे थे, अब धरातल पर आकर अपने-आप मुश्किल में पा रहे हैं। आगे देखिए होता है क्या।
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