'दमघोटू' हुई दिल्ली की हवा का जिम्मेदार कौन?

'दमघोटू' हुई दिल्ली की हवा: SC की पटाखे छोड़ने की तय सीमा का हुआ उल्लंघन, वायु गुणवत्ता हुई ‘बहुत खराब’
तेलंगाना से आर.बी.एल.निगम 
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रविवार(अक्टूबर 27) को दिवाली के दिन प्रदूषण की वजह से धुंध छा गई और वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब' स्तर पर पहुंच गयी। सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली पर पटाखा छोड़ने के लिए दो घंटे की सीमा तय की थी, लेकिन लोगों ने इसके अलावा भी पटाखे छोड़े दिल्ली की हवा में पटाखों की तेज आवाज के साथ ही जहरीला धुंआ और राख भर गया और कई स्थानों पर वायु गुणवत्ता का स्तर ‘गंभीर' स्तर को पार गया लोगों ने मालवीय नगर, लाजपत नगर, कैलाश हिल्स, बुराड़ी, जंगपुरा, शाहदरा, लक्ष्मी नगर, मयूर विहार, सरिता विहार, हरी नगर, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, द्वारका सहित कई इलाकों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पटाखा छोड़ने के लिए तय दो घंटे की समय सीमा का उल्लंघन करके पटाखे छोड़ने की सूचना दी 
आतिशबाज़ी से आनंदित होते लोग 
इसके अलावा नोएडा, गुरुग्राम और गाजियाबाद में भी निवासियों ने निर्धारित समय के अलावा भी पटाखे छोड़ेलोग शाम आठ बजे से पहले भी पटाखे छोड़ते दिखे हालांकि इन पटाखों की आवाज कम रही 
तेलंगाना में आतिशबाज़ी 
ऐसे में प्रश्न है कि जब दिल्ली और उसके आस-पास के राज्यों में धुआँ करने वाले पटाखों की बिक्री नहीं हुई, फिर इतना प्रदुषण कैसे हुआ? दूसरे, क्या पनाली पहली बार जल रही है, वर्षों से जलती आ रही है? तीसरे, दिल्ली में प्रदुषण पर इतना शोर होता है, दिल्ली या इसके निकट राज्यों के कुछ हिस्सों को छोड़ अन्य राज्यों में यह समस्या क्यों नहीं होती? तेलंगाना में अपने प्रवास के दौरान धन तेरस से दो दिन पूर्व बम-पटाखों की खुले मैदानों, बैंकट हॉलों में दुकानें लग जाती हैं, और धन तेरस से आतिशबाज़ी जो शुरू होती है, दिवाली के दो दिन बाद तक चलने पर कोई प्रदुषण समस्या नहीं होती, फिर कुछ वर्षों से दिल्ली में ही क्यों शोर मच जाता है? इस शोर के पीछे कोई हिन्दू त्यौहारों पर अंकुश लगाने का षड्यंत्र तो नहीं? क्योंकि 2014 में मोदी सरकार से पूर्व होली, दिवाली, करवा चौध पर पानी की बर्बादी, प्रदुषण और पति के लिए मैं क्यों भूखी रहूं? आदि प्रवचन सुनने को मिलते थे। और तो प्रवचन रुक गए, लेकिन दिवाली का शोर बाकि है। अब दिल्ली में विधान सभा चुनाव होने वाले हैं, सभी पार्टियां वोट मांगने आएंगी, जनता को चाहिए उनसे पूछे हिन्दू त्यौहारों पर क्यों प्रदुषण जैसे विवाद खड़े होते हैं?
फिर, प्रदुषण का शोर मचाने वाले दिल्ली यमुना में बहते नालों समान गन्दा पानी पर चुप्पी साधे हुए हैं, क्यों? क्या उससे प्रदुषण नहीं फैलता? विकासपुरी, यमुना पर कितनी कॉलोनियां नालों के किनारे बसी हुई हैं, इतना ही नहीं, आज़ाद नगर और कृष्णा नगर मेट्रो स्टेशन तो गंदे नाले के तट ही बना है, क्या मेट्रो कर्मचारियों के स्वास्थ्य को खतरा नहीं? मेट्रो चालू करने से पूर्व गंदे नाले को बंद करना था। यमुना-पार भीकम सिंह कॉलोनी, बलवीर नगर और अन्य क्षेत्रों में कब सरकारी पानी की लाइन में गन्दा पानी आ जाये, पता नहीं, यह भी प्रदुषण का एक हिस्सा है, इस ओर किसी का कोई ध्यान नहीं। 
भाजपा वाले 'हर हर मोदी, घर घर मोदी, आप वाले 'मुफ्त पानी, मुफ्त बिजली', और कांग्रेस भाजपा और आप की कमियों के प्रचार से जनता को भ्रमित करते आएंगे, परन्तु मूल समस्याओं को कोई नहीं बोलेगा।         
सरकारी एजेंसियों के मुताबिक रविवार रात 11 बजे दिल्ली की औसत वायु गुणवत्ता का स्तर 327 पर पहुंच गया, जबकि शनिवार(अक्टूबर 26) को यह 302 था सरकार की वायु गुणवत्ता निगरानी संस्था ‘सफर' ने दिवाली की रात पटाखे जलाने, मौसम में बदलाव और पराली जलाने की वजह से दिल्ली की औसत वायु गुणवत्ता ‘गंभीर' स्तर पर पहुंचने की आशंका जताई है आंकड़ों के मुताबिक दिन में आनंद विहार में पीएम-10 का स्तर 515 दर्ज किया गया वहीं वजीरपुर और बवाना में पीएम-2.5 का स्तर 400 के पार चला गया राजधानी स्थित 37 वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों में से 25 ने वायु गुणवत्ता ‘खराब' श्रेणी में दर्ज की 
दिल्ली के नजदीक स्थित शहरों फरीदाबाद, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा और नोएडा में रविवार रात 11 बजे वायु गुणवत्ता का स्तर क्रमश: 320, 382, 312 और 344 रहा. उल्लेखनीय है कि पिछले दिवाली के मौके पर दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर सुरक्षित सीमा से 12 गुना अधिक 600 तक पहुंच गया था गौरतलब है कि शून्य से 50 के बीच के एक्यूआई को ‘अच्छा', 51 से 100 को ‘संतोषजनक', 101 से 200 को ‘मध्यम', 201 से 300 को ‘खराब', 301 से 400 को ‘बहुत खराब' और 401 से 500 को ‘गंभीर' और 500 से ऊपर को अति गंभीर आपात स्थिति की श्रेणी में रखा जाता है 

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