
70 के दशक में एक बहु-चर्चित फिल्म 'नील कमल' प्रदर्शित हुई थी, जिसका एक गीत 'बाबुल की दुआएं लेती जा...' आज भी शादियों में सुनने को मिलता है, लेकिन इसी फिल्म का एक और गीत 'खाली डिब्बा खाली बोतल ले ले मेरे यार....' चर्चित था। इस गीत में दूध और खाद्य पदार्थों में हो रही मिलावट को उजागर किया गया था। इतना ही नहीं, फिल्म 'दो चट्टानें' में भी मिलावट को दर्शाया गया था, लेकिन सरकारें आयीं और गयीं परन्तु जनहितों की दुहाई देने वाली किसी भी पार्टी ने लेशमात्र भी चिंता नहीं की, क्यों? लेकिन चुनाव निकट आते ही सीलिंग, पानी और प्रदुषण पर शोर मचाया जा रहा है। आखिर जनता को कब तक ये पार्टियां पागल बनाती रहेंगीं?
फिर प्रदुषण के नाम पर कितना शोर मचाया जा रहा है, परन्तु जब उसी मुद्दे पर संसद में चर्चा होने पर अधिकांश सांसद गायब रहते हैं। वैसे भी जब कभी टीवी पर किसी मुद्दे पर चर्चा की छलक दिखाई तब भी अधिकांश संसद खाली ही दिखाई पड़ती है और संसद से बाहर आकर बड़ी-बड़ी ढींगे बांधते सांसद नज़र आते हैं। जब सरकारी कर्मचारी हाजिरी लगाकर गायब होते हैं, उन पर कार्यवाही की जाती है, लेकिन सांसदों पर कोई कार्यवाही नहीं होती। खैर, जिन्हें, हराम का खाना धर्मशाला में सोना हो, उससे क्या शिकवा।
इसके बाद प्रदूषण का मामला आप और बीजेपी के टकराव में बदलता दिखा। भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा ने सीधे केजरीवाल को प्रदूषण बता दिया। उधर, गौतम गंभीर ने इस मसले को राजनीति से दूर रखने की बात करते हुए कहा कि दिल्ली के प्रदूषण के लिए पराली को दोष देना ठीक नहीं। सदन में चर्चा के दौरान आप (AAP) के इकलौते सांसद भगवंत सिंह मान गैरहाजिर थे। हालांकि, सदन के बाहर राघव चड्ढा ने मोर्चा संभाला था।
वहीं, लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिड़ला ने नवम्बर 19 को उन अफ़सरों को समन किया जो पिछले हफ़्ते लोकसभा की स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में नहीं आए थे। इस बैठक में शहरी विकास मंत्रालय के साथ प्रदूषण के मुद्दे पर चर्चा तय थी। डीडीए, म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन, म्युनिसिपल कमिश्नर और दिल्ली जल बोर्ड के आला अफ़सरों को स्पीकर ने चेताया भी कि अगर अगली बैठक में भी यही रवैया रहा तो अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी।
दिल्ली में प्रदूषण के लिहाज से चार हॉट स्पॉट की पहचान की गई है। जहां ट्रैफिक की वजह से लगातार प्रदूषण बढ़ रहा है। अब मॉनिटरिंग कमेटी ने पुलिस और राज्य सरकार को पत्र लिखकर कहा है कि 45 दिन के भीतर इन चारों जगहों का समाधान खोजा जाए। दिल्ली में आनंद विहार, गांधी नगर, तुगलकाबाद और पीरागढ़ी प्रदूषण के लिहाज से चार हॉट स्पॉट हैं। जहां ट्रैफिक या सड़क की वजह से जाम लगता है और फिर प्रदूषण बढ़ता है। दिल्ली में 13 ऐसी जगहें हैं जहां प्रदूषण का स्तर खतरनाक तरीके से बढ़ा रहता है। लेकिन ट्रैफिक जाम की वजह से बढ़ने वाले प्रदूषण को खत्म करने के लिए 45 दिन के भीतर एक ब्लू प्रिंट तैयार करने को कहा गया है।
लोकसभा में प्रदूषण पर चर्चा के दौरान सांसदों की संख्या रही कम
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