
तेहरान में बदला लेने की बातकहा जा रहा है कि इस घटना के करीब चार महीने बाद ईरान के सुरक्षा अधिकारी तेहरान में जमा हुए. यहां इन सबने अमेरिका को 'सबक सिखाने' पर चर्चा की. अमेरिका के खिलाफ नाराज़गी दो चीज़ों को लेकर है पहला न्यूक्लियर ट्रीटी खत्म करना और दूसरा ईरान पर भारी-भरकम पाबंदी लगाना. बता दें कि अमेरिका के इशारों पर दूसरे देशों ने ईरान से तेल खरीद में भारी कटौती कर दी है.
'उठा लो तलवार'
ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड के प्रमुख मेजर जनरल हौसियन सलामी ने इशारा किया है कि अब अमेरिका से बदला लिया जाए. उन्होंन कहा, 'वक्त आ गया है कि हम अपनी तलवारें निकाल लें और उन्हें सबक सिखाया जाए.'
निशाने पर सैनिक ठिकानेमीटिंग में अमेरिका के बड़े टारगेट को निशाना बनाने की बात कही गई है, जिसमें अमेरिका की मिलिट्री बेस भी शामिल है. ये मिलिट्री बेस साऊदी अरब में हैं.
दरअसल कुछ अधिकारी अमेरिका पर सीधे हमले के पक्ष में नहीं हैं. उन्हें इस बात का डर लग रहा है कि अमेरिका कहीं खतरनाक तरीके से बदले की कार्रवाई न कर दे. लिहाजा इस साल मई में ईरान के सैन्य अधिकारियों ने तेल संयंत्र पर हमले की योजना बनाई और इसे चार महीने के अंदर ही अंजाम दिया गया. वहीं रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान एक बार फिर इसी तरह सऊदी अरब में अमेरिकी ठिकानों पर हमले की प्लानिंग कर रहा है.
हमले में ईरानी नेताओं का हाथसमाचार एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से बताया कि तेल संयंत्र पर हुए हमले में ईरान के कई नेताओं का भी हाथ था. इनके मुताबिक ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्ला अली ख़ामेनई ने इस हमले की इजाजत दी थी. साथ उन्होंने कहा था कि हमले में किसी अमेरिकी या आम नागरिक की मौत नहीं होनी चाहिए. हालांकि ईरान ने इन हमलों से साफ-साफ इनकार किया है.
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