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प्रम्बानन मंदिर में 1163 वर्षों के बाद हिन्दुओं ने किया भगवान शिव का अभिषेक |
इस आयोजन को इंडोनेशिया के अलावा पड़ोसी चीन की शिन्हुआ न्यूज़ एजेंसी की खबरों में भी कवर किया गया है।
मूलतः शिवगृह कहा जाने वाला प्रम्बानन मंदिर इंडोनेशिया के तीन प्रांतों स्लेमान, योग्यकर्ता, और मध्य जावा के क्लाटेन के बीच में स्थित है। यह पूजा विधि मंगलवार (12 नवंबर, 2019) को सम्पन्न हुई और हिन्दुओं ने इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। “बकौल अभिषेक का आयोजन करने वाली समिति के सदस्य मदे अस्त्र तनया, उन्हें एक शिलालेख मिला था, जिसमें इस मंदिर के उद्घाटन की तारीख 12 नवंबर, 856 ईस्वी दर्ज थी। उसमें यह भी उल्लिखित था कि मंदिर की स्थापना के समय भी ऐसा ही अभिषेक और पूजा पाठ हुआ था। उसके बाद हिन्दुओं ने इस पूजा की तैयारी शुरू की। इस अनुष्ठान का आयोजन रकाई पिकतन द्यः सेलाडु द्वारा इस भव्य मंदिर की स्थापना का उत्सव मनाने के लिए हुआ है।
On Tuesday, Indonesian Hindus performed sanctification rituals in 1200 years old Prambanan temple located in Java. This 8th century temple's original name is Shivagriha (Home of Shiva). After independence, #Indonesia reconstructed this temple in 1953. https://t.co/kjM8eQruBA— Advaita (@GampaSD) November 14, 2019
A fascinating story of Abhishek performed in 1,163-year-old Hindu temple in Indonesia. It was last performed 1,163 years ago.https://t.co/9iuzvOnxuP— Mohan Sinha🇮🇳 (@Mohansinha) November 13, 2019
अंतारा न्यूज़ डॉट कॉम नामक वेबसाइट का कहना है कि यह अभिषेक मातरम नामक हिन्दू साम्राज्य के स्वर्ण काल का भी परिचायक है। उस समय के हिन्दू तावुर अगुंग नामक एक अनुष्ठान करते थे, जिसके बारे में वे मानते थे कि इससे मनुष्यों के साथ समस्त ब्रह्माण्ड को ही पवित्र किया जाता है। प्रम्बानन मंदिर का जीर्णोद्धार इंडोनेशिया की सरकार ने 1953 में कराया था।
शनिवार, 9 नवंबर (संयोगवश भारत में श्री रामजन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिन) को शुरू हुए इस अनुष्ठान का उल्लेख मातरम साम्राज्य के 25 शिलालेखों में मिलने की बात स्थानीय मीडिया में कही गई है। इसमें पहली पूजा मातुर पिउनिंग नामक थी, जिसमें आगे के कर्मकांडों के लिए पूर्वजों से अनुमति माँगी जाती है। यह भारत में मृत पितरों के स्मरण जैसा है। इसके बाद म्रापेन नामक अग्नि प्रज्ज्वलित की गई और 11 पवित्र कुँओं का पानी लाकर पास के बोको मंदिर से प्रम्बानन देवालय तक छिड़काव हुआ। उसके बाद पूजा पाठ और भारत की ही तरह मंदिरों की प्रदक्षिणा भी की गई।
पूजा के बाद शिलालेख के अनुसार मनुसुक सिमा नामक एक और प्रथा के अनुसार शिवगृह देवालय के पारम्परिक नृत्य का भी आयोजन हुआ जिसमें प्रम्बानन मंदिर के पुनर्निर्माण से जुड़ी गाथाओं का वर्णन होता है।
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