आर.बी.एल. निगम, वरिष्ठ पत्रकार
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के कारण हवा बेहद जहरीली हो गई है। आलम यह है कि लोगों के लिए घर से निकलना मुश्किल हो गया है। ऐसे में एक आरटीआई जवाब से पता चला है कि दिल्ली में AAP सरकार ने पिछले कई वर्षों में ग्रीन टैक्स के तहत एकत्रित किए गए अधिकतर धन राशि को खर्च नहीं किया है। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार ने पर्यावरणीय समस्याओं को कम करने के लिए एकत्र किए गए धन का लगभग 20 फीसदी ही खर्च किया।
ऐसे में प्रश्न होता है कि आखिर कब तब केजरीवाल सरकार जनता की आँखों में धूल झोंकती रहेगी? मुफ्त पानी और बिजली देकर कब तक सरकारी धन पर वोट खरीदी जाएगी? जनता जानना चाहती है कि पर्यावरण मद का 80 प्रतिशत धन कहाँ खर्च किया? भूतपूर्व दिल्ली मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के समय दीपावली पूर्व से इतनी आतिशबाज़ी छोड़ी जाती थी, पंजाब और हरियाणा में तब भी पराली जलती थी, कोई समस्या नहीं हुई, फिर अरविन्द केजरीवाल के मुख्यमंत्री बनते ही यह विकट समस्या क्यों हुई? जिस मद का धन उस मद पर खर्च करने की बजाए इधर-उधर खर्च होगा, उस स्थिति में जनता को समस्याओं का सामना करना पड़ेगा ही, और अपने दोष दूसरों के सर पटकने से जनता को उस मद के धन के दुरूपयोग से बचा नहीं जा सकता।

केजरीवाल सरकार को मालूम होना चाहिए की उनके जन्म लेने से पूर्व यमुना पार खेत ही खेत थे, हरियाणा और पंजाब को छोड़ो यहीं इतनी पराली जलती थी, श्राद्ध समाप्त होते ही आतिशबाज़ी वालों की दुकाने सजनी शुरू हो जाती थीं, और गंगा नहान तक आतिशबाज़ी छोड़ी जाती थी, कभी इस तरह की समस्या उत्पन्न ही नहीं हुई।

अनुमान है, संभव हो अनुमान गलत हो, दीपावली पूर्व से पर्यावरण/प्रदुषण का शोर मचा कर, दीपावली पर हमला तो नहीं हो रहा? क्योकि तीन वर्षों से तो दिल्ली में आतिशबाज़ी पर जरुरत से पाबन्दी होने के बावजूद पर्यावरण की इतनी गंभीर समस्या का होना सिद्ध करता है, की यह ड्रामा कुछ और नहीं दीपावली पर गुप्त हमला है। जिसे दिल्ली की भोली-भाली जनता नहीं समझ पा रही।
कुछ वर्षों से दीपावली के शुभावसर पर हैदराबाद प्रवास हो रहा है, जहाँ दिल्ली में दरीबा और सदर बाजार के कहीं अधिक आतिशबाज़ी की दुकानें लगती है, संध्या से लेकर रात्रि लगभग 11 बजे तक खूब छोड़ी जाती है, वहां कोई समस्या कोई नहीं।
टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के मुताबिक एक आरटीआई जवाब में कहा गया कि दिल्ली सरकार ने साल 2015 में कुल ₹1174.67 करोड़ का ग्रीन टैक्स जमा किया था, जिसमें से केवल ₹272.51 करोड़ ही खर्च किए गए। इस ₹272 करोड़ में से ₹265 करोड़ सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर खर्च किए गए। दिल्ली सरकार ने सड़कों की मरम्मत के लिए ग्रीन फंड के कुछ करोड़ रुपए ही खर्च किए। आरटीआई के जवाब में कहा गया है कि दिल्ली-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम पर ₹265 करोड़ खर्च किए गए। इसका मतलब यह है कि दिल्ली सरकार द्वारा ग्रीन टैक्स के रूप में एकत्र किए गए फंड में ₹902 करोड़ की बड़ी राशि का इस्तेमाल नहीं किया गया है। यह भारी भरकम रकम का 77 फीसदी है।
आरटीआई के जवाब पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि यह राजधानी के नागरिकों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली सरकार के लापरवाह और असंवेदनशील रवैये को दर्शाता है। डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि ₹900 करोड़ कोई छोटी राशि नहीं है। लोगों ने इसका भुगतान इसलिए किया ताकि सरकार इसका सही चीजों पर सही तरीके से खर्च करे। जिससे कि उनके लिए बेहतर जीवनयापन सुनिश्चित हो सके।
आरटीआई के जवाब पर दिल्ली की AAP सरकार ने कहा ये फंड का पैसा इस्तेमाल किया जाएगा। उनका कहना है कि ये पैसे एक निश्चित प्रक्रिया के तहत अगले 6 महीनों में खर्च किए जाएँगे। केजरीवाल सरकार ने यह भी कहा कि इलेक्ट्रिक बसों को पहले ही चालू कर दिया गया है।
वैसे यह पहली बार नहीं है जब आरटीआई के जवाब से पता चला है कि दिल्ली सरकार किस तरह से इकट्ठा किए गए ग्रीन टैक्स को खर्च करने में असफल रही है। 2017 में इसी तरह की एक और आरटीआई के जवाब से पता चला था कि ₹787 करोड़ ग्रीन टैक्ट जमा किए गए थे, जिसमें से केवल ₹93 लाख खर्च किए गए थे। यह राशि टोल प्लाजा पर रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन सिस्टम के लिए दस्तावेज तैयार करने पर खर्च की गई थी।
2017 में दिल्ली सरकार ने यह भी कहा था कि 500 इलेक्ट्रिक बसों को खरीदने के लिए अप्रयुक्त राशि का उपयोग किया जाएगा। इस साल मार्च में केजरीवाल सरकार ने 1000 इलेक्ट्रिक बसों की खरीद को मंजूरी दी थी, लेकिन अभी तक राजधानी में इलेक्ट्रिक बस सेवाएँ शुरू नहीं हुई हैं।
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के कारण हवा बेहद जहरीली हो गई है। आलम यह है कि लोगों के लिए घर से निकलना मुश्किल हो गया है। ऐसे में एक आरटीआई जवाब से पता चला है कि दिल्ली में AAP सरकार ने पिछले कई वर्षों में ग्रीन टैक्स के तहत एकत्रित किए गए अधिकतर धन राशि को खर्च नहीं किया है। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार ने पर्यावरणीय समस्याओं को कम करने के लिए एकत्र किए गए धन का लगभग 20 फीसदी ही खर्च किया।
ऐसे में प्रश्न होता है कि आखिर कब तब केजरीवाल सरकार जनता की आँखों में धूल झोंकती रहेगी? मुफ्त पानी और बिजली देकर कब तक सरकारी धन पर वोट खरीदी जाएगी? जनता जानना चाहती है कि पर्यावरण मद का 80 प्रतिशत धन कहाँ खर्च किया? भूतपूर्व दिल्ली मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के समय दीपावली पूर्व से इतनी आतिशबाज़ी छोड़ी जाती थी, पंजाब और हरियाणा में तब भी पराली जलती थी, कोई समस्या नहीं हुई, फिर अरविन्द केजरीवाल के मुख्यमंत्री बनते ही यह विकट समस्या क्यों हुई? जिस मद का धन उस मद पर खर्च करने की बजाए इधर-उधर खर्च होगा, उस स्थिति में जनता को समस्याओं का सामना करना पड़ेगा ही, और अपने दोष दूसरों के सर पटकने से जनता को उस मद के धन के दुरूपयोग से बचा नहीं जा सकता।




कुछ वर्षों से दीपावली के शुभावसर पर हैदराबाद प्रवास हो रहा है, जहाँ दिल्ली में दरीबा और सदर बाजार के कहीं अधिक आतिशबाज़ी की दुकानें लगती है, संध्या से लेकर रात्रि लगभग 11 बजे तक खूब छोड़ी जाती है, वहां कोई समस्या कोई नहीं।

आरटीआई के जवाब पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि यह राजधानी के नागरिकों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली सरकार के लापरवाह और असंवेदनशील रवैये को दर्शाता है। डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि ₹900 करोड़ कोई छोटी राशि नहीं है। लोगों ने इसका भुगतान इसलिए किया ताकि सरकार इसका सही चीजों पर सही तरीके से खर्च करे। जिससे कि उनके लिए बेहतर जीवनयापन सुनिश्चित हो सके।
आरटीआई के जवाब पर दिल्ली की AAP सरकार ने कहा ये फंड का पैसा इस्तेमाल किया जाएगा। उनका कहना है कि ये पैसे एक निश्चित प्रक्रिया के तहत अगले 6 महीनों में खर्च किए जाएँगे। केजरीवाल सरकार ने यह भी कहा कि इलेक्ट्रिक बसों को पहले ही चालू कर दिया गया है।
#Exclusive #Breaking | TIMES NOW accesses EXPLOSIVE RTI document that proves that the Delhi government ‘squatted’ on Green Funds.— TIMES NOW (@TimesNow) November 4, 2019
Listen in: TIMES NOW’s Mohit Sharma & Meghna Deka with more details. | #DelhiBachao pic.twitter.com/hexRRcxCTF
TIMES NOW’s #EXCLUSIVE newsbreak exposes Delhi Govt's apathy.— TIMES NOW (@TimesNow) November 4, 2019
RTI report says that over 900 cr of Green Fund have been not been utilised.
Listen in: Reaction from Health Minister @drharshvardhan over the same.
TIMES NOW’s Mohit Sharma with more details. | #DelhiBachao pic.twitter.com/KFsVWNaLKR
वैसे यह पहली बार नहीं है जब आरटीआई के जवाब से पता चला है कि दिल्ली सरकार किस तरह से इकट्ठा किए गए ग्रीन टैक्स को खर्च करने में असफल रही है। 2017 में इसी तरह की एक और आरटीआई के जवाब से पता चला था कि ₹787 करोड़ ग्रीन टैक्ट जमा किए गए थे, जिसमें से केवल ₹93 लाख खर्च किए गए थे। यह राशि टोल प्लाजा पर रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन सिस्टम के लिए दस्तावेज तैयार करने पर खर्च की गई थी।
2017 में दिल्ली सरकार ने यह भी कहा था कि 500 इलेक्ट्रिक बसों को खरीदने के लिए अप्रयुक्त राशि का उपयोग किया जाएगा। इस साल मार्च में केजरीवाल सरकार ने 1000 इलेक्ट्रिक बसों की खरीद को मंजूरी दी थी, लेकिन अभी तक राजधानी में इलेक्ट्रिक बस सेवाएँ शुरू नहीं हुई हैं।
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