हाल ही में पश्चिमी एशिया में स्थित तुर्की ने जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर न सिर्फ़ पाकिस्तान का साथ दिया था, बल्कि भारत के ख़िलाफ़ ज़हर उगला था। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने यूएन में अपने सम्बोधन के दौरान जम्मू-कश्मीर, इस्लाम और पैगम्बर मुहम्मद के बारे में बातें की थी। इसके बाद तुर्की ने पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाया था।
अब भारत की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने तुर्की में अपना नया दफ्तर खोला है। कांग्रेस की ओवरसीज शाखा ने तुर्की में अपना दफ़्तर खोला है। ऐसे समय में जब तुर्की लगातार भारत की आलोचना कर रहा है, कांग्रेस का वहाँ पर ऑफिस स्थापित करना बहुतों की समझ में नहीं आया।
तुर्की ने जब जम्मू-कश्मीर पर बयान दिया, उसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय भी उसके काट में लग गया। विदेश मंत्रालय ने एक एडवाइजरी जारी कर तुर्की की यात्रा पर जा रहे भारतीयों को सावधानी बरतने की सलाह दी। भारत ने अपने नागरिकों को तुर्की न जाने की सलाह दी। इससे पहले भारत ने रक्षा क्षेत्र में तुर्की के साथ समझौतों में कटौती की, क्योंकि उसने पाकिस्तान का साथ देते हुए भारत के आंतरिक मसले में दखल दिया था। तुर्की ने साइप्रस के एक भू-भाग पर अवैध कब्ज़ा कर रखा है। प्रधानमंत्री मोदी ने साइप्रस की अखंडता और सम्प्रभुता का समर्थन कर तुर्की की काट निकाली।
अनादोलू की एक ख़बर के अनुसार, कांग्रेस पार्टी ने तुर्की में अपना दफ़्तर खोला है। ‘इंडियन ओवरसीज कांग्रेस’ ने एक प्रेस स्टेटमेंट जारी कर इस बात की जानकारी दी। इस्ताम्बुल में स्थापित किए गए इस दफ़्तर में मोहम्मद युसूफ ख़ान नामक व्यक्ति के नेतृत्व में कार्य किया जाएगा। कांग्रेस ने कहा है कि युसूफ ख़ान के नेतृत्व में पार्टी भारत और तुर्की के बीच संबंधों को प्रगाढ़ करते हुए राजनीति, संस्कृति, शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यटन के क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच परस्पर सहयोग को बढ़ावा दिया जाएगा।
तुर्की के राष्ट्रपति तैय्यप एर्दोगन ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर मसले को तनाव नहीं, बल्कि बातचीत के द्वारा हल किया जाना चाहिए। उन्होंने यह दिखाने की कोशिश की थी कि भारत ने ही जम्मू-कश्मीर में संघर्ष की स्थिति पैदा की है। उन्होंने पूरे दक्षिण एशिया की शांति और समृद्धि को जम्मू-कश्मीर मसले से जोड़ते हुए कहा था कि इस क्षेत्र के शांत हुए बिना शांति मुश्किल है। एर्दोगन बाद में भी अपने बयान से बाज नहीं आए और उन्होंने कहा कि वो कश्मीर मुद्दे को उठाते रहेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुर्की को घेरने के लिए ग्रीस, साइप्रस और अर्मेनिया के साथ संबंधों को और प्रगाढ़ करना शुरू कर दिया है। ये तीनों ही देश तुर्की के प्रतिद्वंद्वी माने जाते हैं। मोदी ने तुर्की को उसी की भाषा में जवाब देने के लिए इन देशों के राष्ट्राध्यक्षों से भी बात की। ऐसे में कांग्रेस का इस समय वहाँ ऑफिस खोलना सोशल मीडिया में आलोचना का विषय भी बन गया है।
अब भारत की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने तुर्की में अपना नया दफ्तर खोला है। कांग्रेस की ओवरसीज शाखा ने तुर्की में अपना दफ़्तर खोला है। ऐसे समय में जब तुर्की लगातार भारत की आलोचना कर रहा है, कांग्रेस का वहाँ पर ऑफिस स्थापित करना बहुतों की समझ में नहीं आया।
तुर्की ने जब जम्मू-कश्मीर पर बयान दिया, उसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय भी उसके काट में लग गया। विदेश मंत्रालय ने एक एडवाइजरी जारी कर तुर्की की यात्रा पर जा रहे भारतीयों को सावधानी बरतने की सलाह दी। भारत ने अपने नागरिकों को तुर्की न जाने की सलाह दी। इससे पहले भारत ने रक्षा क्षेत्र में तुर्की के साथ समझौतों में कटौती की, क्योंकि उसने पाकिस्तान का साथ देते हुए भारत के आंतरिक मसले में दखल दिया था। तुर्की ने साइप्रस के एक भू-भाग पर अवैध कब्ज़ा कर रखा है। प्रधानमंत्री मोदी ने साइप्रस की अखंडता और सम्प्रभुता का समर्थन कर तुर्की की काट निकाली।
India's main opposition, the Indian National Congress, opens office in Turkey, appoints a representative to boost bilateral relations... This came right after Turkey extended its support to Pakistan at the United Nations post abrogation of Article 370?https://t.co/P0r3mazwIl— Amit Malviya (@amitmalviya) November 11, 2019
अनादोलू की एक ख़बर के अनुसार, कांग्रेस पार्टी ने तुर्की में अपना दफ़्तर खोला है। ‘इंडियन ओवरसीज कांग्रेस’ ने एक प्रेस स्टेटमेंट जारी कर इस बात की जानकारी दी। इस्ताम्बुल में स्थापित किए गए इस दफ़्तर में मोहम्मद युसूफ ख़ान नामक व्यक्ति के नेतृत्व में कार्य किया जाएगा। कांग्रेस ने कहा है कि युसूफ ख़ान के नेतृत्व में पार्टी भारत और तुर्की के बीच संबंधों को प्रगाढ़ करते हुए राजनीति, संस्कृति, शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यटन के क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच परस्पर सहयोग को बढ़ावा दिया जाएगा।
तुर्की के राष्ट्रपति तैय्यप एर्दोगन ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर मसले को तनाव नहीं, बल्कि बातचीत के द्वारा हल किया जाना चाहिए। उन्होंने यह दिखाने की कोशिश की थी कि भारत ने ही जम्मू-कश्मीर में संघर्ष की स्थिति पैदा की है। उन्होंने पूरे दक्षिण एशिया की शांति और समृद्धि को जम्मू-कश्मीर मसले से जोड़ते हुए कहा था कि इस क्षेत्र के शांत हुए बिना शांति मुश्किल है। एर्दोगन बाद में भी अपने बयान से बाज नहीं आए और उन्होंने कहा कि वो कश्मीर मुद्दे को उठाते रहेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुर्की को घेरने के लिए ग्रीस, साइप्रस और अर्मेनिया के साथ संबंधों को और प्रगाढ़ करना शुरू कर दिया है। ये तीनों ही देश तुर्की के प्रतिद्वंद्वी माने जाते हैं। मोदी ने तुर्की को उसी की भाषा में जवाब देने के लिए इन देशों के राष्ट्राध्यक्षों से भी बात की। ऐसे में कांग्रेस का इस समय वहाँ ऑफिस खोलना सोशल मीडिया में आलोचना का विषय भी बन गया है।
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