
आगे उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि अगर ब्रह्मण की जगह दलित या मुस्लिम लिखा होता तो कई कथित लिबरल व सेक्युलर लोग ‘नॉट माय इंडिया’ (ये मेरा भारत नहीं हो सकता) जैसी ‘कूल’ बातें लिख कर सोशल मीडिया पर ज़हर फैला रहे होते। लेकिन, ब्राह्मणों के बारे में आपत्तिजनक बातें लिखी गईं और किसी के कानों में जूँ तक न रेंगी। झा ने जेएनयू के छात्रों को सलाह देते हुए कहा कि जिसने भी ऐसा किया है, उसे आत्ममंथन करने की ज़रूरत है। ऐसी घृणास्पद हरकतें विरोध प्रदर्शनों का हिस्सा नहीं होनी चाहिए।
राज शेखर झा ने लिखा कि जिसने भी ये लिखा है, कल को हो सकता है कि कोई उसके समुदाय के बारे में लिख दे। इस तरह से तो सभी आपस में जाति को लेकर लड़ बैठेंगे। उन्होंने ‘ये मेरा भारत नहीं’ वाले गैंग पर निशाना साधते हुए कहा कि वो लोग देश तो नहीं छोड़ेंगे लेकिन यहाँ रह कर आपस में लड़ते-लड़ाते ज़रूर रहेंगे। दुनिया बेहतर करती जाएगी और ऐसे लोग भारत को इन्हीं चीजों में उलझा कर रखे रहेंगे। किसी भी व्यक्ति को किसी अन्य समुदाय के बारे में ऐसी आपत्तिजनक बातें नहीं लिखनी चाहिए।
If only some miscreant tried scribbling the word Muslim or dalit instead of Brahmin.. Twitter would have been on a boil with "Not my India" captions. Whoever did this at JNU, plz introspect. Fueling hatred will do no one any good. It will just push us towards a civil war. pic.twitter.com/0SZEC7umpC— Raj Shekhar Jha (@rajshekharTOI) November 24, 2019
अभी हाल ही में जेएनयू के छात्रों ने वैज्ञानिक आनंद रंगनाथन को अपने ही डिपार्टमेंट के लैब में घुसने से रोक दिया था। उनके साथ बदतमीजी भी की गई थी। कई अन्य लोगों ने भी ट्विटर पर जेएनयू के ब्राह्मणविरोधी नारे को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई। लोगों ने पूछा कि ये कैसा विरोध प्रदर्शन है, जहाँ देश के ही लोगों को गालियाँ दी जाती हैं और उन्हें भागने को कहा जाता है? जेएनयू में छात्र हॉस्टल फी को 10 रुपए से 300 रुपए प्रतिमाह किए जाने के ख़िलाफ़ हंगामा कर रहे हैं।
छात्रों के विरोध प्रदर्शन के कारण जेएनयू के डीन उमेश कदम की तबियत बिगड़ गई थी। नारेबाजी के कारण प्रोफेसर कदम की तबियत और बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें एम्बुलेंस से अस्पताल ले जाया गया। एम्बुलेंस के रास्ते में भी छात्र लगातार नारेबाजी करते रहे। इस दौरान प्रोफेसर के बीवी-बच्चे भी वहीं मौजूद थे। इसी तरह छात्राओं ने एक महिला प्रोफेसर के कपड़े फाड़ने का प्रयास किया। महिला पत्रकार के साथ भी छात्रों ने बदतमीजी की। वामपंथी छात्र नेताओं में कैम्पस में सरकार द्वारा सीआरपीएफ के जवानों को तैनात किए जाने की झूठी अफवाह भी फैलाई। वामपंथी छात्रों ने स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा के साथ भी छेड़छाड़ की और उनका अपमान किया था।
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