ज़िंदा जलाने की धमकी देने वाले कांग्रेस विधायक के ख़िलाफ़ ‘सत्याग्रह’ पर बैठीं साध्वी प्रज्ञा

साध्वी प्रज्ञा
साध्वी प्रज्ञा ने आरोप लगाया कि कमलनाथ सरकार
के दबाव पर पुलिस विधायक दांगी के ख़िलाफ़
एफआईआर दर्ज नहीं कर रही है
कांग्रेस के विधायक ने भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को ज़िंदा जला देने की धमकी दी थी। विधायक गोवर्धन दांगी के ख़िलाफ़ पुलिस में मामला दर्ज कराने पहुँचीं साध्वी प्रज्ञा धरने पर बैठ गई हैं। उनका आरोप है कि पुलिस कांग्रेस विधायक के ख़िलाफ़ मामला नहीं दर्ज कर रही है। विधायक ने कहा था कि वो सिर्फ़ पुतले ही नहीं जलाएँगे बल्कि साध्वी प्रज्ञा अगर राजगढ़ आती हैं तो उन्हें ही ज़िंदा जला देंगे। अब साध्वी प्रज्ञा ने आरोप लगाया है कि पुलिस कांग्रेस सरकार के दबाव के कारण मामला दर्ज नहीं कर रही है।
ऐसे में देश के समस्त नेता समाज से प्रश्न : "यदि यही धमकी किसी आम नागरिक ने दी होती, अब तक न जाने कितनी दफाओं में उस पर केस दर्ज हो गया होता, लेकिन मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने धमकी देने वाले विधायक को पार्टी से निकालने के साथ-साथ उसके विरुद्ध क्यों नहीं केस दर्ज किया?" इतना ही नहीं कि किसी भी पार्टी ने उस विधायक की अपराध-प्रवित्ति के खिलाफ आवाज़ नहीं उठाई, क्योकि यह धमकी भाजपा सांसद के विरुद्ध थी। महात्मा गाँधी की हत्या के बाद भारत में सबसे भयंकर चितपावन ब्राह्मणों का नरसंहार भी कांग्रेस के राज में हुआ था, 1984 सिख दंगा से कहीं अधिक भयंकर था। नैना साहनी के टुकड़े कर तंदूर में डालने का जघन्य अपराध भी कांग्रेस के राज एवं पदाधिकारी द्वारा किया गया था।   
संसद में साध्वी प्रज्ञा द्वारा नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताने की ख़बर आई थी, जिसके बाद विधायक दांगी ने आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए धमकी दी थी। साध्वी प्रज्ञा ने दिसम्बर 7 को भी कमला नगर पुलिस स्टेशन के बाहर धरना दिया था। अधिकारियों ने साध्वी प्रज्ञा से लिखित शिकायत की माँग की, लेकिन साध्वी की ज़िद थी कि बिना आवेदन के पहले एफआईआर दर्ज की जाए। इसके बाद पुलिस अधिकारियों के साथ उनकी तीखी नोक-झोंक हुई। हालाँकि, शनिवार (दिसंबर 7, 2019) को महिलाओं के सम्मान की लड़ाई जारी रखने की बात कह साध्वी ने धरना ख़त्म कर दिया था।
आखिर क्या कारण है आतंकवादी को मारे जाने, फांसी दिए जाने या फिर बलात्कारी को किसी एनकाउंटर में मारे जाने पर मानवाधिकार अपनी रोटियां सेंकने निकल आता है, लेकिन किसी को जिन्दा जलाए जाने की धमकी पर चुप्पी साध लेता है, क्या इसीका नाम मानवाधिकार है? क्यों नहीं मानवाधिकार ने जिन्दा जलाए देने की धमकी पर तत्काल कार्यवाही की? या फिर मानवाधिकार को अपना नाम बदलकर दानवअधिकार रख देना ही उचित होगा। 

रविवार को भोपाल की सांसद साध्वी प्रज्ञा फिर से धरने पर बैठीं। कमलनाथ के मंत्री पीसी शर्मा ने साध्वी प्रज्ञा के धरने की तुलना ‘एक तो चोरी ऊपर से सीनाजोरी’ वाले कहावत से की है। उन्होंने आरोप लगाया कि गोडसे को महिमामंडित करने के कारण ही साध्वी प्रज्ञा को रक्षा सम्बन्धी संसदीय समिति में शामिल किया गया था। उन्होंने साध्वी के धरने को ‘नौटंकी’ बताते हुए कहा कि उन्हें भोपाल की जगह दिल्ली में धरने पर बैठना चाहिए। वहीं साध्वी प्रज्ञा ने अपने धरने को ‘सत्याग्रह’ का नाम दिया है।
अवलोकन करें:-

NIGAMRAJENDRA28.BLOGSPOT.COM
भारतीय मानसिकता भी क्या मानसिकता है समझ नहीं आता? हमारे छद्दम धर्म-निरपेक्ष नेता भी अपने मीडिया सहयोगियों से साठग....

About this website

NIGAMRAJENDRA.BLOGSPOT.COM
साध्वी प्रज्ञा की चुनौती बनाम दांगी की धमकी कश्मीर से अनुच्छेद 370, राम मन्दिर विवाद पर विराम, पाकिस्तान को घर में घु....


About this website

NIGAMRAJENDRA.BLOGSPOT.COM
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 21वीं सदी में जहां महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं, तो वहीं उनके स.....

About this website

NIGAMRAJENDRA.BLOGSPOT.COM
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार "I have however no doubt that had the audience of that day been constituted into a jury and entrusted with...

इससे पहले कांग्रेस मंत्री के ज़िंदा जलाने वाले बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए साध्वी प्रज्ञा ने कहा था कि कांग्रेसियों को ज़िंदा जलाने का पुराना अनुभव है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेताओं ने 1984 में सिखों को जलाया और नैना साहनी को तंदूर में जलाया। साध्वी प्रज्ञा ने कहा कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने उन्हें आतंकी बताया है और उनके विधायक उन्हें ज़िंदा जलाने की धमकी दे रहे हैं।

No comments: