भारतीय इतिहास कांग्रेस के मंच पर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से CAA पर भिड़ गए इतिहासकार इरफान हबीब

भारतीय इतिहास कांग्रेस के मंच पर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से CAA पर भिड़ गए इतिहासकार इरफान हबीब
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 
इरफ़ान हबीब जैसे छद्दम इतिहासकारों ने चंद चांदी के टुकड़ों के लालच में भारत के वास्तविक इतिहास को ही धूमिल कर, आतताई मुगलों को महान बताकर देश का अपमान किया है। ऐसे छद्दम इतिहासकारों को तुष्टिकरण के पुजारी माथे का चन्दन बनाकर भारतीय इतिहास को कलंकित करते रहे हैं। ऐसे छद्दम इतिहासकार वास्तविकता को नकारने के लिए किसी भी सीमा तक जा सकते हैं, जिस तरह प्रकाश होने पर अँधेरा लुप्त हो जाता है, वास्तविक इतिहास उजागर होने पर अब तक प्राप्त ऐसे छद्दमों को मिले सम्मान से कहीं अधिक कलंकित होने वाला है। ये छद्दम इतिहासकार भूल रहे हैं कि भारत आज जिस दिशा में जा रहा है, इनकी आने वाली पीढ़ियां कभी इनको अपना वंशज बताने में भी संकोच करेंगी। अभी भी समय है कि ये लोग वास्तविकता को स्वीकार लें। 
आरिफ मोहम्मद एक राज्यपाल ही नहीं एक कुशल राजनीतिज्ञ भी हैं। ये वही आरिफ मोहम्मद है जिसने शाहबानो प्रकरण के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी से लोहा लिया था। सच कहने पर ये व्यक्ति किसी से कोई समझौता नहीं करने वाला।  
इस सन्दर्भ में नीचे दिए लिंक पर विचार करें, जो इन छद्दमों को बेनकाब कर रहा है। विदेशी इतिहासकार भारत के गौरवशाली को उजागर करने में प्रयत्नशील हैं, इरफ़ान और रोमिला जैसे इतिहासकार जनता को भ्रमित कर रहे हैं। 
जो इतिहासकार भारत के गौरवशाली इतिहास को धूमिल कर सकते हैं, उनसे किसी अच्छाई की कामना करना ही व्यर्थ है। अगर भारतीय अयोध्या में राममन्दिर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही को खुले दिमाग और तुष्टिकरण के चश्मे को हटाकर देखें, प्रमाण अपने आप सामने आ जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने आरिफ मोहम्मद की तरह सच्चाई को बताने वाले डॉ के.के.मोहम्मद के तर्कों को सम्मान दिया, ना कि कांग्रेस समर्थित वामपंथी इतिहासकारों को।
अवलोकन करें:-
आर.बी.एल.निगम इतिहासकार और लेखक विलियम डालरिम्पल (William Dalrymple) ने एक कार्यक्रम के दौरान यह स्वीकार किया कि देश में वामपं.....
   
केरल के कन्नूर विश्वविद्यालय में आयोजित भारतीय इतिहास कांग्रेस के मंच पर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से इतिहासकार इरफान हबीब भिड़ गए। उन्होंने राज्यपाल पर गुस्से का इजहार किया। आरोप है कि इरफान ने राज्यपाल की सुरक्षा में तैनात कर्मियों से धक्का-मुक्की भी की। केरल के राज्यपाल के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से भी मंच पर सुरक्षाकर्मियों से उलझे इरफान हबीब की तस्वीर जारी की गई है।केरल गवर्नर के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से किए ट्वीट में कहा गया है, "इरफान हबीब ने राज्यपाल के उद्घाटन भाषण को बाधित करने की कोशिश की। उन्होंने मौलाना अबुल कलाम आजाद को कोट करने पर राज्यपाल के कहा कि उन्हें गोडसे को कोट करना चाहिए। 
छद्दम इतिहासकार इरफ़ान को शायद नहीं मालूम की, आखिर वो कौन से कारण थे, जिनके कारण गोडसे को गाँधी की जीवनलीला समाप्त कर, भारत को एक और विभाजन से बचा दिया। देखिए ये वीडियो  
उन्होंने राज्यपाल के एडीसी और सुरक्षाकर्मी को धक्का भी दिया।"  दरअसल, जब राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान भारतीय इतिहास कांग्रेस के 80वें सत्र का उद्घाटन भाषण दे रहे थे, तो उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर बोलना शुरू कर दिया, जिसका कुछ लोगों ने विरोध किया। उन्होंने मौलाना आज़ाद के एक बयान का हवाला दिया था विरोध कर रहे लोगों के लिए उन्होंने कहा कि आप लोगों के लिए मौलाना आज़ाद ने पहले कन्वेशन में कहा था,  'देश का बंटवारा गंदगी बहा ले गया लेकिन कुछ गड्ढे बच गए हैं, जिसमें पानी बच गया है और अब उससे बदबू आ रही है' राज्यपाल के इस बयान को आजकल चल रहे CAA और NRC के विरोध से जोड़ कर देखा जा रहा है ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या राज्यपाल महोदय विरोध की आवाज़ को सड़ा हुआ पानी और बदबू बता रहे हैं अपने बयान पर विवाद के बाद गवर्नर अब भी विरोध करने वालों पर ही निशाना साध रहे हैं.इस दौरान इतिहासकार इरफान हबीब मंच पर चढ़ गए

राज्यपाल ने कहा, "आपको विरोध करने का पूरा अधिकार है, मगर मुझे चुप नहीं करा सकते। जब आप बहस और चर्चा के दरवाजे बंद करते हैं तो आप हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं।"  राज्यपाल ने यह भी कहा कि वह इस मसले पर नहीं बोलने वाले थे, मगर जब पूर्व के वक्ताओं ने सीएए पर बोलना शुरू किया तो उन्हें भी लगा कि सवालों का जवाब देना चाहिए
इरफ़ान हबीब को असहिष्णु करार देते हुए आरिफ मोहम्मद ख़ान ने कहा कि वो उनके समीप आकर क्या करना चाह रहे थे, इसका उन्हें भान नहीं है। हालाँकि, उन्होंने कहा कि इरफ़ान हबीब शायद उनका कॉलर खींचना चाहते थे। राज्यपाल ख़ान ने बताया कि उनका कार्यक्रम 1 घंटे से ज़्यादा का नहीं हो सकता था लेकिन बाकी वक्ता डेढ़ घंटे तक बोलते रहे।
उन्होंने कहा कि वक्ताओं ने केंद्र सरकार के नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर भली-बुरी बातें कहीं और लगातार इसके विरोध में बोलते रहे। बकौल आरिफ मोहम्मद ख़ान, वो उन सभी बातों को चुपचाप सुनते रहे। वक्ताओं ने उस दौरान संविधान पर ख़तरे का भी आरोप लगाया। इरफ़ान हबीब ने राज्यपाल को बोलने से रोकने के लिए राज्यपाल के सुरक्षाकर्मी का बैज तक नोच लिया। इसके बाद उन्होंने वहाँ मौजूद अन्य सुरक्षाकर्मियों के साथ बदसलूकी की। कन्नूर यूनिवर्सिटी के वीसी ने बीच में खड़े होकर हबीब को रोका।
इरफ़ान हबीब, आरिफ मोहम्मद ख़ानमेरा कॉलर नोचना चाहते थे 88 वर्षीय असहिष्णु वामपंथी इतिहासकार: राज्यपाल ने सुनाई आपबीती
राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान ने कहा कि इरफ़ान हबीब न तो उन्हें सुनना चाहते थे और न ही कार्यक्रम से बाहर जाना चाहते थे। उन्होंने कहा कि इन असहिष्णु लोगों का पहले से ही यही रवैया रहा है। इरफ़ान हबीब की हरकतों को देख कर नीचे बैठे लोगों ने हंगामा भी किया। इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए ‘आजतक’ को आरिफ मोहम्मद ख़ान ने बताया:
“राज्यपाल होने के नाते संविधान और कानून की रक्षा करना मेरा कर्तव्य है। अगर मैं संसद द्वारा पारित किसी क़ानून से सहमत नहीं हूँ, तो मुझको इस्तीफा देकर अपने घर चले जाना चाहिए। लेकिन, अगर संसद द्वारा पारित किसी क़ानून से मैं सहमत हूँ, तो मुझको उसका बचाव करना चाहिए। अगर किसी को ऐसा लगता है कि मेरी मौजूदगी में कोई संसद से पारित क़ानून पर हमला करेगा और मैं चुप होकर सुनता रहूँगा और जवाब नहीं दूँगा, तो यह ग़लत है। संवैधानिक पदों पर बैठे हर शख्स की यह जिम्मेदारी है कि वह संसद से पारित कानून की रक्षा करे।”

राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ने कहा कि अज्ञानी लोगों को इसकी जानकारी नहीं रहती है कि संसद से पारित होने के बाद कोई क़ानून किसी राजनीतिक दल का एजेंडा नहीं रहता, देश का क़ानून बन जाता है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सहमति-असहमति जायज है लेकिन जिन्हें न क़ानून का ज्ञान है और जिन्होंने न कभी संविधान पढ़ा है, उनकी अज्ञानता का कोई समाधान नहीं है।

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